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हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कड़वी बातों के बावजूद विपक्ष ने मुख्यमंत्री की ईमानदारी की तारीफ की

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा का 17 दिसम्बर से आरंभ हुआ शीतकालीन सत्र इस बार कुछ खट्टी-मिठ्ठी यादों के साथ-साथ इस बात के लिए ऐतिहासिक पल का भी गवाह बना, जब सता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष व दो कार्यकाल के मुख्यमंत्री रहे विपक्ष के नेता ने भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल की ईमानदारी की सदन में सराहना की।  उल्लेखनीय है कि 26 अक्टूबर, 2014 को प्रदेश के सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री ने अपनी ईमानदार छवि का एहसास करवाना शुरू कर दिया था, जो आज भी निरंतर जारी है और इस सत्र में तो विपक्ष ने विधानसभा सदन में इस बात पर अपनी मोहर लगा दी। वर्ष 2014 में मुख्यमंत्री को अनुभवहीन राजनेता बताने वाले विपक्ष से कुछ तेज-तर्रार व विधि स्नातक विधायक भी आज मुक्त कंठ से उनकी प्रशंसा कर रहे हैं। विपक्ष के नेता भूपेन्द्र सिंह हुड्डा सहित पूर्व में नेता प्रतिपक्ष रहे दो सदस्यों द्वारा जब सदन में हरियाणा लोक सेवा आयोग के उप-सचिव  एचसीएस अधिकारी के रिश्वत कांड पर स्थगन प्रस्ताव लाया गया तो विधानसभा की कार्रवाई  देखने वाले प्रदेश की जनता के साथ-साथ मीडिया की भी निगाहें मुख्यमंत्री की जवाब की ओर टिकी हुई थी। यहां तक की कुछ राजनीति के जानकार तो यहां तक मानने लगे थे कि शायद एचपीएससी मामले पर सरकार घिर जाए और यह स्थगन प्रस्ताव पारित न हो जाए लेकिन एक मंझे हुए राजनेता की तरह मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सदन में इसका बिंदूवार जवाब देकर विपक्ष को आश्चर्यचकित कर दिया। इस मामले पर उन्होंने मजबूती के साथ एक-एक तथ्य को रखते हुए जांच कर रही एजेंसी हरियाणा राज्य चौकसी ब्यूरो की कार्यप्रणाली के बारे में सदन को अवगत करवाया।

सत्र के दौरान स्थगन प्रस्ताव सहित विपक्ष द्वारा जब-जब कोई ज्वलंत मुद्दा सरकार को घेरने के लिए लाया गया, मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सदन में एक-एक करके सभी मुद्दों का दृढ़ता से जवाब दिया, फिर चाहे वह कोयले की कमी के चलते बिजली का मामला हो, डी.ए.पी. या यूरिया की कमी का मामला हो या स्थगन प्रस्ताव पर अपना पक्ष रखने की बात हो। स्थगन प्रस्ताव पर तो कांग्रेस की श्रीमती किरण चौधरी ने 26 प्रश्न पूछकर सरकार को घेरने की भरपूर कोशिश की और यह दिखाने का प्रयास किया कि विधानसभा में वे ही लोगों की हितों का ख्याल रखती हैं, परंतु मुख्यमंत्री ने अपने जवाब में उनके सभी प्रश्नों का उत्तर देकर एक सुलझे हुए राजनेता का परिचय दिया। हरियाणा लोक सेवा आयोग में उप-सचिव का पद सृजित करने के मामले को भी विपक्ष ने सत्र आरंभ होने से पहले मीडिया में इस बात को उठाया था कि सरकार ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए इस पद को सृजित किया है परंतु सदन के नेता होने के नाते मुख्यमंत्री ने अपने जवाब में कहा कि यह कोई पहला मौका नहीं जब आयोग ने किसी आईएएस अधिकारी के सचिव रहते हुए उप-सचिव को कोई कार्यभार दिया हो। उन्होंने बताया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा 21.2.2014 को हरियाणा लोक सेवा आयोग ने उप-सचिव का पद सृजित किया गया था और उस समय एचसीएस अधिकारी  अमरजीत सिंह को उप-सचिव लगाया था। उसके बाद  मनीष लोहान और  प्रद्दुमन सिंह भी इस पद रहे। सत्र में मुख्यमंत्री ने एचएसएससी के 28 पेपर्स लीक होने के आरोप को सिरे से नकारते हुए सदन को अवगत करवाया कि उनके कार्यकाल में केवल 4 पेपर लीक हुए हैं और विपक्ष का 28 पेपर्स लीक होने का आरोप तथ्यों से परे है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि परीक्षा शुरू होने के बाद कोई पेपर आउट हो जाता है तो उसे पेपर लीक नहीं कहते हैं क्योंकि कई बार वहां कार्यरत कोई कर्मचारी उस पेपर की फोटो खींच कर उसे बाहर आउट कर देता है। जब विपक्ष के नेता  भूपेन्द्र सिंह हुड्डा द्वारा एचपीएससी मामले में आयोग के अधिकारी की मोबाइल पर हुई बात का विवरण सुनाया था और तब विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इसकी प्रति मांगे जाने पर उन्होंने इसे देने में अपनी असमर्थता व्यक्त की तो इस पर मुख्यमंत्री  मनोहर लाल ने अपने शायराना अंदाज में कहा कि, ‘यदि कांच पर पारा चढ़ा दिया जाए तो वह दर्पण कहलाता है, वही दर्पण दोष लगाने वाले को दिखा दिया जाए तो उसका पारा चढ़ जाता है।’यह सत्र इसलिए भी महत्वपूर्ण रहा कि सदन के नेता मनोहर लाल ने एक नई शुरूआत करते हुए यह घोषणा की कि सत्र के अंतिम दिन शून्यकाल के दौरान विधायकों द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों के उत्तर एक महीने के भीतर-भीतर सम्बंधित विधायकों को भिजवा दिए जाएंगे, जिसका सभी विधायकों ने सराहना की है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री द्वारा विभिन्न विभागों के नियम व नियमावली के अप्रासंगिक पुराने कानूनों को खत्म करने के लिए हरियाणा लॉ कमीशन द्वारा अध्ययन करवाने की भी घोषणा की। मुख्यमंत्री ने नंबरदारों का मानदेय 1500 रुपये से 3000 रुपये करने तथा स्मार्ट फोन के लिए 7000 रुपये उनको देने के निर्णय की जानकारी सदन को दी। जिन विधायकों ने सत्र के दौरान इस मुद्दे को उठाया था वे इस घोषणा पर मंद-मंद मुस्कराते हुए दिखाई दिए। सरकार की सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से किये जा रहे व्यवस्था परिवर्तन की जानकारी सदन को देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि  विधायकों को पांच वर्ष में पांच करोड़ रुपये उनके अपने क्षेत्र में स्थानीय विकास करवाने के लिए दिए जाते हैं और जिन विधायकों की शेष राशि लम्बित है उन्हें यह 31 मार्च, 2022 तक पहुंचा दी जाएगी, जिस पर सदन में उपस्थित कई सदस्यों प्रसन्नता जाहिर की। मुख्यमंत्री  मनोहर लाल, जो सदन के नेता भी हैं, ने विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता के अतिरिक्त सचिव  सुभाष चंद्र शर्मा को विधानसभा कार्रवाई  संचालन में उनकी भूमिका का कुशलतापूर्वक निर्वहन करने के लिए उनकी सराहना भी की। उल्लेखनीय है कि सुभाष चंद्र शर्मा, जिन्होंने वर्ष 1987 में सीनियर स्टेनोग्राफर के रूप में विधानसभा में अपनी सेवा की शुरुआत की थी। वे विधानसभा में विभिन्न पदों पर रहते हुए अपनी लगभग 35 वर्ष की सेवा के उपरांत 31 जनवरी, 2022 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और उनका यह अंतिम सत्र है।

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