अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: न्यू टाउन फरीदाबाद रेलवे स्टेशन के नजदीक पिछले 50 वर्षों से भी ज्यादा जिंदगी बिताते असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की बस्ती पर आज प्रातः काल में रेलवे प्रशासन ने पुलिस की फौज को लेकर 8 से ज्यादा अर्थमूवर मशीनों से हमला कर दिया जबकि यह मामला दीपक शर्मा बनाम भारत सरकार सुप्रीम कोर्ट में सुना गया। प्रातः काल में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संजय नगर बस्ती को स्टे दे दिया उसके बावजूद भी रेलवे प्रशासन ने एक न सुनी मजदूरों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए अधिवक्ताओं ने एक पत्र रेलवे प्रशासन फरीदाबाद एवं डीसीपी फरीदाबाद को भेजा, किंतु फरीदाबाद प्रशासन और रेलवे अथॉरिटी संडे को राजी नहीं हुई। संजय नगर बस्ती के मजदूर परिवारों ने पुनर्वास की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन भी शुरू किया और रेलवे प्रशासन को केवल दोपहर तक की मोहलत मांगी किंतु रेलवे प्रशासन ने पुलिस को लेकर मजदूरों के मकानों पर चढ़ाई कर दी और फिर लगभग 300 से ज्यादा घरों को धराशाई कर दिया।
निर्मल गोराना ने बताया कि हरियाणा सरकार तभी कोर्ट से आदेश लेकर उसके क्रियान्वयन के लिए पूरी ताकत के साथ आगे बढ़कर खोरी गांव महालक्ष्मी देरा इंदिरा नगर जैसे इलाकों को तोड़ डालती है किंतु आज जब सुप्रीम कोर्ट ने संजय नगर के मामले में स्टे दिया है तो उसको लागू करने के लिए तैयार नहीं है। आज एक ऐसी स्थिति बन चुकी है कि न तो कोर्ट के आदेशों का सही रूप में पालन किया जा रहा है और नहीं देश के मेहनतकश मजदूरों को न्याय दिया जा रहा है बस जो प्रशासन और सरकार चाहेगी उस रूप में क्रियान्वयन होगा अर्थात जिसकी लाठी उसकी भैंस। जिन रेलवे अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने चाहिए।
निर्मल गोराना ने आरोप लगाया है कि फरीदाबाद में जिस गति से मजदूरों के घर उजाड़े जा रहे हैं उस गति से सरकार पुनर्वास के बारे में चिंतित नहीं है जबकि सरकार इस राष्ट्र की संपत्ति का खुद ही नुकसान कर रही है जिसकी भरपाई सरकार को ही करनी होगी। गुड्डी देवी ने बताया कि टाइम मिलने के बावजूद भी उसका घर तोड़ दिया गया इसलिए अब वह रेलवे के अधिकारियों के खिलाफ हाई कोर्ट में केस फाइल करेगी। याचिकाकर्ता दीपक शर्मा ने बताया कि हरियाणा सरकार मजदूर विरोधी है और हमारे घर तोड़ रही है जबकि पुनर्वास हमारा अधिकार है जो सरकार हमसे जबरदस्ती छीन रही है।
मजदूर नेता जीतू ने बताया कि गरीब मजदूरों के पास में जो टूटे-फूटे बर्तन थे उनको भी रौंद दिया गया यह कार्य हरियाणा सरकार को शोभा नहीं देता है किंतु आज हरियाणा सरकार का और संवेदनशील चेहरा मजदूरों के सामने आ गया है। दलित राइट्स एक्टिविस्ट दीनदयाल ने बताया कि उनको और उनके कई साथियों को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया है और उन्हें पुलिस छोड़ नहीं रही है जबकि दीनदयाल तो प्रयास कर रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश रेलवे प्रशासन एक बार देख लें।
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