अजीत सिन्हा की कलम से
फरीदाबाद: “अथर्व न्यूज़” के मुख्य संपादक अजीत सिन्हा ने देशवासियों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, देशवासियों को ये मौका तो बिल्कुल नहीं छोड़ना चाहिए ,ये मौका लगभग बीते दो साल में बड़ी मुश्किल वक़्त के बाद मिला हैं, क्यूंकि ना इस खास अवसर को कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए श्री कृष्ण जन्माष्टमी बड़े ही धूमधाम के साथ मनाएं, आप लोग श्री कृष्ण जन्माष्टमी बड़े ही उत्साह के साथ बनाए, झूमते हुए बनाए, मस्तियों के साथ मनाए,लोगों में खुशियां बांटते हुए मनाएं, दुःखियों के चेहरे पर मुस्कान लौटा कर मनाए, बीते दिनों कोरोना काल में जिन्होनें अपनों को खोया हैं, उनके आंसुओं को पोछ कर श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव मनाए। इस जीवन का आगे क्या भरोसा हैं, ये शुभ अवसर मिले या ना मिले, कोरोना काल में जिनके अपने दुनिया से चले गए,
उनकी कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकता हैं, पर जो लोग मेरे अपने हैं मेरे नजदीक हैं, जो मेरे ऊपर निर्भर हैं, उसके अच्छे पालन पोषण के लिए हम सब के अंदर ऊर्जा का होना बहुत नहीं,बहुत जरुरी हैं, और ऊर्जा हम सभी को तभी मिलेगा, जब सभी लोग तनाव मुक्त रहेंगें और खुश मिजाज रहेंगें, इस के लिए श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव और आने वाले सभी पर्व उत्साहपूर्वक और पूरे मस्ती के साथ अवश्य मनाएंगे। इस दुनिया में ईश्वर ने हम सभी को भेजा कुछ अच्छा नहीं, बहुत अच्छा करने के लिए भेजा हैं।
जैसा कि आप सभी को मालूम हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी ने कोरोना काल में हम सभी को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से बहुत ही कठोर फैसला लिया था और पूरे देशभर में लॉकडाउन लगा दिया था। इस लॉकडाउन में देशभर के लोगों को घरों में बंद कर दिया गया, देश की इंडस्ट्रीज, ट्रांसपॉर्ट्स सिस्टम, दुकानें, स्कूल ,कॉलेज, यानी सभी संस्थानों को बंद कर दिया था,इस कोरोना महामारी में पीएम नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले तो हेल्थ सिस्टम को मजबूत करने की दिशा में काम किया, ताकि कोरोना संक्रमित लोगों को सभी अस्पतालों में सही उपचार मिल सके। इस दौरान बहुत से ऐसे लोग थे जिन्हें कोरोना संक्रमण ने अपने आगोश में ले लिया,ऐसे भी लोग भी हैं जो अपनों को मरते वक़्त और आखिरी वक़्त में उनका चेहरा तक बिल्कुल नहीं देख पाए, देश के सभी लोग अपने -अपने घरों में बंद रह कर तनाव में रहने लगे, इसमें मध्यम परिवार के लोगों का तो बहुत ही बुरा हाल रहा, उन्हें खाने-पीने की चिंता, दवाइयों की चिंता, मोबाइल बिल, इंटरनेट बिल, बैंक की ईएमआई की चिंता, स्कूल फीस भरने की चिंता, किराया देने की चिंता,ऐसे में घरों में कोरोना संक्रमित मरीज का होना,आप सभी की दर्द को गिनती के चार शब्दों में खत्म नहीं किया जा सकता हैं, इस बुरे वक़्त में अगर किसी का सहारा था, वह था ईश्वर का सहारा था, या उन लोगों का सहारा था जिन्होनें ईश्वर के रूप उनके दरवाजे पर मदद देने के लिए आए, उन लोगों का भी ईश्वर का दूसरा रूप था। चाहे वो पुलिस कर्मी हो, चाहे वो डॉक्टर हो, चाहे वो मेडिकल स्टाफ हो ,चाहे वो मीडिया कर्मी हो, चाहे वह सफाई कर्मी हो, चाहे कोई और कोरोना योद्धा हो,को सम्मान की दृष्टि कोण से जरूर देखें, श्री कृष्ण जन्माष्टमी की खुशियाँ जरूर शेयर करे, ये भी मेरे ही समाज के लोग हैं, ये लोग हम में से किसी के परिवार के सदस्य हैं,ये अच्छे बुरे वक़्त में अपनों से दूर रह के, हम सभी की सेवा करते हैं, ये लोग हम सब के बुरे वक़्त में निस्वार्थ भाव से सेवा की, हम तो अच्छे वक़्त में इनके साथ खुशियां शेयर कर हो सकतें हैं।इस संकट की घडी में हम सभी का जीवन तो बच गया, जिनकी जिंदगी नहीं बची तो, समझों उनकी जिंदगी इस दुनिया में उतनी ही लिखी थी। इस बीच में ना तो लोग मंदिर पहुंच कर भगवान् के दर्शन पाए, ना ही शादियों में मौज – मस्ती कर सकें,ना तो ठीक से दीपावली, होली उत्सव मना पाए। क्यूंकि इस दौरान बहुत से लोगों की नौकरियां चली गई। आर्थिक संकट से लोग जूझने लगे। “अर्थव न्यूज़” उन दिनों जो दर्द लोगों के आंखों में नजदीक से देखा, उन सभी शब्दों इसमें उतारे तो कई दिन गुजर जाएंगें, फिर भी वह लोगों की दर्दों को इस खबर में पूरा नहीं लिख सकतें हैं। इस लिए देशवासियों से साफ़ शब्दों में कहते हैं कि अपनों के साथ घर हो या मंदिर, कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए पूरे मस्ती के साथ श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्साहपूर्वक और पूरे मस्ती के साथ मनाएं और तनाव मुक्त हो जाए, और एक नई जिंदगी की शुरुआत उत्साह पूर्वक और नई जोश के साथ करें।
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