अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं आज की प्रेस वार्ता को जोड़ना चाहता हूं, यूथ कांग्रेस के अभियान से। ‘रोजगार दो अभियान’, ये मांग एक अभियान या यूथ कांग्रेस का एक स्लोगन ही नहीं है, बल्कि ये इस देश के सभी युवाओं की, प्रवासी श्रमिकों की, सैलरीड क्लासेस आदि की वेदना, उनके हृदय को चीर कर निकली हुई आवाज को एक प्रतीकात्मक रुप से बताता है, दिखाता है।
मैं सिर्फ आज जुड़ना चाहूंगा पूरी तरह से इस सकारात्मक कैंपेन से, आपको याद दिलाते हुए, जो आप अगले कुछ दिनों में अभियान में देखेंगे कि 2014 में जो बेरोजगारी की दर, मैं सिर्फ आंकड़ों की बात कर रहा हूं, ये ना कांग्रेस है ना नोन कांग्रेस है, आंकड़े कभी झूठे नहीं हो सकते हैं, सरकारी आंकड़े हैं, अधिकृत आंकड़े हैं- बेरोजगारी की दर 4.9 प्रतिशत थी, जब माननीय मोदी जी ने सरकार संभाली। मई, 2020 में लगभग 29 प्रतिशत, 30 में से एक कम, मई, 2019 में पिछले वर्ष 7.1 प्रतिशत , लॉकडाउन के पहले मार्च,2020 में 9 प्रतिशत से एक दशमलव कम, तो ये नहीं है कि इस सरकार की कोई कोरोना का बहाना बना लो, कोविड का बहाना बना लो, शुरुआत से 2014 से 20 की या 2014 से 19 और 19 से 20 की जो यात्रा है, उसमें दिन- प्रतिदिन सदैव, हमेशा बढ़ रही है। याद रहे कि आपके पास आंकड़ा है जो हमने पहले दिया है आपको कि अप्रैल में माना जाता है कि अप्रैल 2020 में कि 9 करोड़ ऐसे लोग हैं, जो तैयार हैं, तत्पर हैं काम करने को, जिनके पास काम नहीं है। ये मानता हूं कि अंडर स्टेटमेंट है, कम का आंकड़ा है और इस अभियान को युवा कांग्रेस को मैं उस दावे से जोड़ना चाहूंगा जो आपने बहुत बार सुना 2014 में, 2013 में, “बहुत हुआ रोजगार का इंतजार, अबकी बार मोदी सरकार”। अबकी बार मोदी सरकार का आपने प्रत्यक्ष प्रमाण देख लिया।
मैं अंत करुंगा अपनी इस बात का कि ये रोजगार का अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा है जो युवा कांग्रेस ने उठाया है, लेकिन इसका संदर्भ ज्यादा व्यापक है, आर्थिक ढांचे से है, हमारी आर्थिक दुर्दशा से है। जीडीपी आप जानते हैं उस संदर्भ से देखा जाए तो, क्योंकि रोजगार उस संदर्भ का अभिन्न अंग है, जीडीपी नेगेटिव में जा रही है, कोई जानता नहीं, कम से कम मानते हैं माईनस 5 प्रतिशत, माईनस 4 से 7 का एक रेंज दिया जाता है, नेगेटिव। हमारा टैक्स जो बटोरा जा रहा है, वो लगभग 46 प्रतिशत कम है। पूरा देखा जाए तो कहते हैं अभी आंकड़े वैरी करते हैं, मैं आपको न्यूनतम आंकड़े दे रहा हूं जो सबसे कम या सरकार के हक में हैं। 12 करोड़ लोगों ने अपना रोजगार गंवाया है। वैसे कहते हैं लोग कि 15 करोड़ का फिगर है और एक बडा दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन रोचक आंकड़ा है, जो आर्थिक पत्रिकाओं में अभी छपा भी है कि ये रोजगार की बात नहीं है, लेकिन जो लोग गरीबी की तरफ फिसल रहे हैं, उसमें लिखा गया है कि sliding into poverty, आपको याद है कि यूपीए 1 और 2 में कितने लोगों को बीपीएल से उठाया था। यहाँ जो सरक रहे हैं, स्लाईड कर रहे हैं गरीबी में, उनका आंकड़ा दिया गया है 40 करोड़।