अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
दिल्ली:प्रख्यात शिक्षाविद, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं पाग बचाओ आंदोलन के प्रणेता डॉ. बीरबल झा को वर्ष 2023 के मां जानकी पुरस्कार से सम्मानित किया। डॉ. झा ने हजारों युवा प्रतिभाओं को अंग्रेजी शिक्षा के साथ ही कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर समाज को सशक्त करने का काम किया है। उन्होंने कला क्षेत्र के साथ ही दर्जनों पुस्तकों की रचना कर भारतीय युवा वर्ग का जीवन संवारने का काम किया है। इस अवसर पर डॉ. झा ने कहा कि माता सीता महिला सशक्तिकरण की प्रतीक रही हैं और मां जानकी पुरस्कार ग्रहण कर वह कृतार्थ महसूस कर रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के निकट नोएडा के इंदिरा गांधी कला केंद्र में जानकी महोत्सव सह सम्मान कार्यक्रम में डॉ. बीरबल झा को शॉल एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर इस पुरस्कार से सम्मानित किया। इस अवसर अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद के अध्यक्ष शैलेन्द्र मिश्र ने डॉ. झा की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया है।
इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद ने कहा कि मिथिला के विकास, देश की संस्कृति, शैक्षणिक व आर्थिक विकास में डॉ. बीरबल झा का योगदान उत्कृष्ट एवं अनुकरणीय रहा है। मिथिला के इतिहास में डॉ. झा के कुशल नेतृत्व में चलाए गए अभूतपूर्व भारतीय सांस्कृतिक आंदोलन ‘पाग बचाओ अभियान’ मील का पत्थर साबित हुआ। इस आंदोलन के फलस्वरूप चार करोड़ मैथिल मिथिलालोक फाउंडेशन से जुड़े। साथ ही सन 2017 में उनके इस कार्यक्रम को रेखांकित करते हुए भारत सरकार ने मिथिला के सांस्कृतिक प्रतीक चिन्ह पाग पर एक डाक टिकट जारी किया, जो अभूतपूर्व है। संस्था ने साथ ही कहा कि डॉ. बीरबल झा का शिक्षण-प्रशिक्षण के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान रहा है। उन्होंने कला क्षेत्र के साथ ही दर्जनों पुस्तकों की रचना की जिसने भारतीय युवा वर्ग का जीवन संवारने का काम किया है। डॉ. झा के द्वारा स्थापित ब्रिटिश लिंग्वा ने भारतीय युवा पीढ़ी खासकर मिथिला के युवा वर्ग के स्किलिंग एवं जीवन उन्नयन में महती भूमिका निभाई है। अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद् ने कहा कि ऐसे ओजस्वी व्यक्तित्व के धनी डॉ.बीरबल झा को सम्मानित कर संस्था कृतार्थ महसूस कर रही है। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्था ब्रिटिश लिंगुआ के प्रबन्ध निदेशक डॉ. बीरबल झा ने इस अवसर पर कहा कि मां जानकी महिला सशक्तिकरण की प्रतीक रही हैं। आज संस्कृति और शिक्षा के माध्यम से ही युवाओं का सशक्तिकरण संभव हैं। सेवा और संस्कार भारतीय संस्कृति के आधारभूत तत्व हैं, जो मानवीय भावों को परिष्कृत करते हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृति और शिक्षा से ही सभ्य समाज का निर्माण संभव है। एक बच्चे को सुसंस्कृत बना देना, एक संस्था को पोषित करने के समान है। मैं उम्मीद करता हूं कि हमारी भावी पीढ़ी अपनी संस्कृति और अपने कर्तव्यों के प्रति सजग बनकर सशक्त बनेंगे और समाज को सशक्त करेंगे। मिथिलांचल की 25 प्रमुख हस्तियों के जीवन पर आधारित ‘द लिविंग लेजेंड्स ऑफ मिथिला’ नामक एक नॉन-फिक्शन किताब 2017 में प्रकाशित किया गया था, जिसमें डॉ बीरबल झा को सामाजिक योगदान के लिए ‘द यंगेस्ट लेविंग लीजेंड ऑफ मिथिला’ की उपाधि से नवाजा गया। डॉ बीरबल झा को कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है यथा राष्ट्रीय शिक्षा उत्कृष्टता पुरस्कार- 2010, कृति पुरुष पुरस्कार- 2011, पर्सन ऑफ द ईयर- 2014, स्टार ऑफ एशिया अवार्ड- 2016, ग्रेट पर्सनालिटी ऑफ इंडिया अवार्ड- 2017, बिहार अचीवर अवार्ड- 2017, पैगमैन अवार्ड, ग्लोबल स्किल्स ट्रेनर अवार्ड- 2022, मिथिला विभूति उपाधि आदि शामिल हैं।
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