अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा की टीम ने डीडीए के दो पूर्व कर्मचारी को फर्जी आवंटन पत्र जारी कर 1 करोड़ 90 लाख रूपए साजिश के तहत ऐठने के मामले में गिरफ्तार किया हैं। गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपितों में एक की उम्र 68 साल और दूसरे की उम्र 72 साल हैं। इन दोनों सीनियर सिटिज़न के खिलाफ आर्थिक अपराध शाखा थाने में भारतीय दंड सहिंता की धारा 420 , 467 , 468 , 471 , 120 बी के तहत मुकदमा नंबर -70 /2013 दर्ज हैं और इसी मुकदमे में दोनों आरोपित सीनियर सिटीजन को गिरफ्तार किया गया हैं।
पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार किए गए आरोपितों के नाम प्रेम शंकर शर्मा , उम्र 68 साल निवासी सी -3 /77 , दूसरी मंजिल, जनक पूरी, नई दिल्ली व राणा प्रताप चौहान, उम्र 72 साल, निवासी गांव करहरा , मोहन नगर, जिला गाज़ियाबाद , उत्तरप्रदेश हैं। आशीष शर्मा की शिकायत के अनुसार आरोपित प्रेमशंकर शर्मा, आरपी चौहान और शैलेंद्र भाटिया नाम के लोगों ने 250 वर्ग गज की दूरी पर डीडीए के प्लॉट नंबर-1/11, ब्लॉक-सी, कृष्णा नगर, दिल्ली के आवंटन के लिए परिवादी से 1.90 करोड़ रुपये लिए। उन्होंने प्लॉट दिखाया और बताया कि प्लॉट की खरीद कीमत सिर्फ 22 लाख रुपये है, लेकिन उन्हें प्लॉट के लिए करीब 2 करोड़ रुपये अतिरिक्त रूपए खर्च करने पड़ेंगें ।चूंकि उस समय प्लॉट का बाजार मूल्य काफी अधिक था, इसलिए शिकायतकर्ता पैसे खर्च करने के लिए तैयार था। आरोपित व्यक्तियों ने उससे एक करोड़ और 90 लाख नकद ले लिए और डीडीए की ओर से फर्जी आवंटन पत्र दे दिया। फर्जी आवंटन पत्र आदि के बारे में तथ्यों को जानते हुए शिकायतकर्ता ने अपने पैसे वापस मांगे लेकिन आरोपित ने अपने पैसे वापस नहीं किए, बल्कि उन्होंने उसे अस्सी लाख के चार चेक दिए, जो बेइज्जत भी हो गए। शिकायतें मिलने के बाद ईओडब्ल्यू में केस दर्ज किया गया है। जिसका मुकदमा न. 70/13 हैं जिसमें भारतीय दंड सहिंता की धारा 420, 467, 468, 471,120-B IPC, को दर्शाया गया हैं। जांच के दौरान डीडीए से आवंटन पत्र, कब्जा पत्र, रूपांतरण पत्र, एनओसी आदि का सत्यापन किया गया है।पता चला है कि डीडीए द्वारा ऐसा कोई आवंटन पत्र व अन्य पत्र जारी नहीं किए गए थे इसलिए वह फर्जी हैं।इसके अलावा डीडीए द्वारा ऐसा कोई मांग पत्र जारी नहीं किया गया था, इसलिए 22 लाख रुपये की राशि जो कथित द्वारा जमा की गई थी, वह डीडीए के सस्पेंस खाते में पड़ी है।
आरोपित पी.एस.शर्मा और उसके सहयोगी राणा प्रताप चौहान एक ही कार्यप्रणाली के साथ 13 से अधिक मामलों में शामिल हैं।वह पीड़ितों, खासकर व्यवसायी को पर्याप्त पैसे से निशाना बनाते थे और प्लॉट की तलाश में जुट जाते हैं।उन्होंने अपने लिंक के जरिए डीडीए की खाली संपत्तियों के बारे में जानकारी हासिल की।आरोपित व्यक्ति डीडीए में पीड़ितों से मिलते थे और चूंकि वह संघ के नेता थे, भोले-भाले पीड़ित फंस गए थे.आरोपित की आभा देखने के बाद, आवंटन से संबंधित फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए। डीडीए से जारी किए जाने वाले ये प्रामाणिक दिखने वाले दस्तावेज शिकायतकर्ता को उपलब्ध कराए गए थे। शिकायतकर्ता का भरोसा हासिल करने के लिए उन्होंने शिकायतकर्ता को डीडीए खाते में जमा राशि बना दी। इस मामले में डीडीए के खाते में 22 लाख रुपये जमा कराए गए थे। जब राशि का कोई लिंक डीडीए को नहीं मिला तो उसे डीडीए के सस्पेंस अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया गया। डीडीए ने इन सस्पेंस खातों की जमा राशि के संबंध में कोई पूछताछ नहीं की। आरोपितों व्यक्तियों ने इसी का फायदा उठाकर भोले-भाले निवेशकों को फंसा दिया। बीते मंगलवार को गिरफ्तार आरोपित प्रेमशंकर शर्मा,निवासी सी-3/77, दूसरी मंजिल, जनक पुरी, नई दिल्ली, उम्र- 68 वर्ष और राणा प्रताप चौहान निवासी गांव करहारा, पीओ मोहन नगर, जिला गाजियाबाद, यूपी को इस मामले में गिरफ्तारी हो चुकी है।