अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में यही कोशिश हो रही है कि किस प्रकार से छत्तीसगढ़ सरकार को दबाया जाए, बदनाम किया जाए, चाहे वो राजनेता हो, चाहे कार्यकर्ता हो, पार्टी के पदाधिकारी हों या फिर अधिकारी और कर्मचारी हों। ये सिलसिला शुरू होता है जुलाई 2020 से। झारखंड चुनाव में बुरी तरह से मात खाने के बाद, इन लोगों ने इसकी शुरूआत की और आईटी ने रेड डाली, जिसे शराब घोटाले के नाम से प्रचारित किया गया और इस शराब घोटाले में 2019-2020 की एक रिपोर्ट भी है, वहां उन्होंने जांच भी की। उसके बाद ढाई साल तक वो चुप रहे, चुनाव नजदीक आते ही… जबकि सारे कागजात ईडी को सौंप दिए गए थे, उसके बाद ईडी सक्रिय होती है और फिर उन्हीं लोगों को बुलाती है और कहा जाता है कि 2,168 करोड़ के घोटाले हुए हैं, इसमें ये भी कहा गया कि नकली होलोग्राम का प्रयोग किया गया, लेकिन सबसे मजेदार बात ये है कि नकली होलोग्राम का यदि प्रयोग हुआ, तो जो डिस्टलर है, वही तो करेगा, उसी फैक्ट्री में तो होगा, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई, अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई है।
उसके घर में ज्वैलरी भी पाई, नगद रुपए भी पाए गए, किसी को जब्त नहीं किया गया और कहा गया कि 2,168 करोड़ का घोटाला हुआ और चल-अचल संपत्ति, 2018 के पहले की भी जब्त करने के बाद भी 200 करोड़ के आस-पास की संपत्ति नहीं बन पाई, जबकि इस दौरान, 2018 के बाद जब हमारी सरकार बनी, उसके पहले जो रेवेन्यू है आबकारी का, वो 3,900 करोड़ का था, अब बढ़कर 6,500 करोड़ हो गया और आरोप ये लगा है ईडी के द्वारा की राज्य के खजाने को नुकसान पहुंचाया गया, जबकि राजस्व 3,900 करोड़ से बढ़कर 6,500 करोड़ हुआ और आज तक के वो 2,168 करोड़ में से केवल 200 करोड़ के आसपास, वो भी पैतृक संपत्ति और 2018 से पहले अर्जित की गई आय, उसको जोड़कर भी 200 करोड़ नहीं पहुंचा।
दूसरी बात- कोल स्कैम का आरोप लगाया 500 करोड़ का। एफआईआर दर्ज हुई कर्नाटका में, फिर दर्ज हो गई भोपाल में, अभी नोएडा में भी हुई और उसके बाद 4 बार वो सप्लीमेंट्री चालान प्रस्तुत कर चुके हैं और चल-अचल संपत्ति, सब मिलाकर अभी तक ये 150 करोड़ पहुंचा है, आरोप 500 करोड़ का है, लेकिन संपत्ति 150 करोड़, वो बता ही नहीं पा रहे हैं।
तीसरी बात – उसमें महत्वपूर्ण अभी लगातार जो कोशिश की जा रही है कि धान में भी, पैडी में भी स्कैम हुआ। सारे राईस मिल में छापे डाले गए आईटी के द्वारा, अब ईडी धीरे से घुसेगी। तकलीफ उनको ये है कि किसानों की 107 लाख मीट्रिक टन जो धान है, वो मिलिंग कैसे हो गया। अभी तक तो होता ये था कि धान बाहर पड़ी रहती थी, जैसे मध्य प्रदेश की खबरें आती हैं कि गेहूं बाहर पड़ा हुआ है और सड़ गया। छत्तीसगढ़ में खबरें आती थीं कि धान खुले में पड़ी हुई है, भीग गई, सूख गई और सड़ गई, वो सारे नुकसान हमने बचाए हैं, उनको हो गई परेशानी, अब उसमें घुसे हुए हैं। अभी मजेदार बात ये है कि भारत सरकार के द्वारा, बिना कोई ईसीआईआर के वो माइनिंग डायरेक्टर को चिट्ठी लिखते हैं कि कितना काम हुआ, वो हमको बताएं। उसी प्रकार से एक सवाल रजिस्ट्रार को भी किया जाता है कि कितनी जमीन की रजिस्ट्री इन 3-4 सालों में हुई , जबसे हमारी सरकार बनी है, 2018-19 के बाद कितनी रजिस्ट्रियां हुई हैं। इसका मतलब है कि वो सारी रजिस्ट्री लाएंगे और अभी काम कर क्या रहे हैं, कर ये रहे हैं कि ये घरों में जाते हैं, सबसे पहले मोबाइल जब्त करते हैं, फिर घर में जो संपत्ति है, जो रुपया नगद है, ज्वैलरी है, उसको सीज करते हैं, बैंक खाते सीज करते हैं, डायरी वगैरह भी हो या कच्चे में कुछ लिखा हुआ हो, सबको पकड़ते हैं, 5-6 दिन तक घर में बंधक बनाकर रखते हैं, चाहे वो वृद्ध माता-पिता हों, बीमार हों, उससे उन्हें कोई लेना-देना नहीं है, बैठे रहेंगे, क्योंकि सवाल तो इनके पास होते नहीं और जब तक कि ऊपर से आदेश नहीं होगा, तब तक ये खाली नहीं करते, फिर वो राजनीतिक सवाल करना शुरू करते हैं।तुम्हारी क्या भूमिका है? तुम किस पार्टी से हो? तुम कितनी सीट जीतने वाले हो? इससे क्या होगा? उससे क्या होगा? वो सारे राजनीतिक सवाल भी पूछना शुरू कर देते हैं। ऐसे-ऐसे केस हैं, जिसमें ईसीआईआर नंबर नहीं है और उनके घरों में ये लोग पहुंचकर प्रताड़ित करने, बदनाम करने की कोशिश करते हैं। अभी जब हमारा राष्ट्रीय महाअधिवेशन हुआ था छत्तीसगढ़ में, बहुत सारे पत्रकार साथी वहां गए भी थे और ईडी के अधिकारी, हमारी पार्टी के पदाधिकारियों के यहां, बिना ईसीआईआर नंबर के वहां पहुंच गए, जो कि ये नहीं कर सकते, नहीं करना चाहिए, वो तो जो वेंडर है, उसके यहां पहुंच गए। कल ही मेरे राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा के यहां पहुंच गए, मेरे जो ओएसडी है, चूंकि मुख्यमंत्री होने के नाते क्षेत्र में ओएसडी नियुक्त करते हैं, जो किसी की बीमारी का, किसी का और कोई काम है, जो जरुरतमंद लोग आते हैं और हम लोग समय नहीं दे पाते हैं, तो वो सारे काम वो लोग करते हैं, उसके घर में पहुंच गए, मिला कुछ नहीं, दिन-भर बैठाकर रखे।इसका मतलब ये है कि अब पाटन में भारतीय जनता पार्टी का प्रत्याशी नहीं लड़ेगा, बल्कि ईडी और आईटी लड़ेंगे। एक और बात आपसे कहना चाहता हूं कि पहले आईटी ने छापा डाला, फिर ईडी घुंसी, अब उन्होंने कोर्ट में एप्लीकेशन लगाई है कि इसमें अब सीबीआई जांच होनी चाहिए। तीन-साढ़े तीन साल जांच करने के बाद, सुप्रीम कोर्ट के जांच पर रोक लगाने के बाद, नोएडा में एफआईआर भी होती है और उसके साथ ही वो बिलासपुर हाईकोर्ट में एप्लीकेशन लगाते हैं कि इसकी सीबीआई जांच की जाए। इसका मतलब ये है कि आईटी और ईडी, दोनों अक्षम हैं और नाकारा हैं, उन्होंने खुद स्वीकार कर लिया, अब सीबीआई जांच, उन्हीं केसों में।तो कुल मिलाकर उद्देश्य ये है कि चलती हुई सरकार को किस प्रकार से बदनाम किया जाए, उसे किस प्रकार से बाधित किया जाए। एक मात्र उद्देश्य राजनीतिक है और राजनीति के अलावा कुछ भी नहीं है। हमारे गृहमंत्री जी जाते हैं यहां से, 2-2 बार गए, वो सीधा भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में जाते हैं, वहीं रात रुकते हैं, पता नहीं क्या करते हैं और चले आते हैं। तो कुल मिलाकर ये है कि आप प्रजातांत्रिक ढंग से चुनाव नहीं लड़ना चाहते, आप ईडी और आईटी के माध्यम से लोगों को डराकर, धमकाकर, उसके कार्य को बाधित करके, उसको प्रताड़ित करें और ईडी जो है, वो कितने लोगों से मारपीट कर रहे हैं, कितने लोगों को धमका रहे हैं, आप इस पेपर पर दस्तखत करो, नहीं तो आपको जेल भेज देंगे। रात-रात भर, मतलब 40-40, 45-45 घंटा लोगों को सोने ही नहीं दिया। रात को 10-11 बजे के बाद आपको पूछताछ करने का अधिकार नहीं, लेकिन आप ईडी ऑफिस के फुटेज निकालेंगे, तो सारी जो पूछताछ जो है, वो 11 बजे के बाद शुरू होती है, अमानवीय तरीके से। निरंकुश हो चुके हैं, जितने इन लोगों ने संशोधन किए, तो बेतहाशा उनको अधिकार मिला हुआ है और जमानत तो किसी की होना नहीं है। 8, 15 दिन, हफ्तों, महीने दिन की बात नहीं है, आप सालों पड़े रहिए, कोई जमानत-वमानत होना नहीं है।तो ये बताते हैं कि आप, हम जो कह रहे हैं, जो पेपर लिखकर लाए हैं, उस पर दस्तखत करो, हस्ताक्षर करो और नहीं तो आप जेल जाओगे और जेल जाने के बाद आपको जमानत नहीं मिलेगी। ये स्थिति छत्तीसगढ़ में है, अब इतनी… कम से कम उस छोटे से राज्य में 200 से अधिक आईटी और ईडी, डीआरआई के छापे पड़ चुके हैं, तो आज पूरा भय का माहौल है, केन्द्र सरकार खुद इस प्रकार से काम करवा रही है।संजय मिश्रा जी के बारे में तो जानते ही हैं, उनको टास्क मिला हुआ है 15 सितंबर तक, कल 23 अगस्त थी, अभी तो 15-20 दिन और बचे हैं, तो जितना वो उनको आतंक फैलाना है, वो पूरी ताकत के साथ करेंगे, क्योंकि उनके आकाओं ने एक्सटेंशन दी है, तो वो अपने आकाओं के हिसाब से काम करेंगे, क्योंकि उन्होंने दिलाया है, आगे भी कुछ मिलने की संभावना है।
तो ऐसे व्यक्ति यदि काम करेंगे, इस उद्देश्य से काम करेंगे, तो फिर प्रजातंत्र तो खतरे में है। दूसरी बात इसमें ये कहना चाहता हूं कि ये सत्ताधारी दल, इस प्रकार से कोई कार्रवाई करे, तो फिर कोर्ट की बड़ी जिम्मेदारी हो जाती है कि ऐसे जो हस्तक्षेप किया जा रहा है और लोगों को परेशान किया जा रहा है, उसमें रोक लगाएं। एक प्रश्न पर के उत्तर में भूपेश बघेल ने कहा कि देखिए, हमारे यहाँ छत्तीसगढ़ में जो नीति बनाई भारतीय जनता पार्टी ने बनाई, हमने कहीं कोई बदलाव नहीं किया। उसके बाद रेवेन्यू भी बढ़ाया, फिर भी छापा डाल रहे हैं। सबसे बड़ी बात ये है कोयला घोटाला और शराब घोटाला और अभी महादेव एप एक, उसके बारे में नहीं बोल पाया, तीनों में एक समानता ये है कि शराब घोटाले में डिस्टिलर की गिरफ्तारी नहीं हुई, धर पकड़ने की, उसकी संपत्ति जब्त नहीं की गई, बल्कि ये सुनने में आया है कि भारतीय जनता पार्टी के एक बड़े नेता के द्वारा दिल्ली और मुंबई के भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से संपर्क किया गया और उनके बाद उसके अभय मिलने के बाद उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई, नंबर एक। दूसरी बात, जो महादेव एप में अभी जो सट्टा चल रहा है, उसमें हमने पूरी कार्यवाही की, मेरे पास सारे पेपर हैं कि कितनी करोड़ संपत्ति हमने जब्त की, कितने लोगों की गिरफ्तारी की और कब से हम लोग कर रहे हैं।अचानक घुसे और जो राजनीतिक उद्देश्य के लिए कार्यवाही करना उन्होंने शुरु कर दिया, जो महादेव एप हमने तो लुकआउट सर्कुलर भी जारी किया हुआ है, उसमें कोई मदद नहीं कर रहे हैं। मतलब जिसके लिए काम हो रहा है, उसके लिए गिरफ्तारी की बात नहीं हो रही है। कोयला खदान में जिसके लिए कोयला खदान चला रहा है, उससे पूछताछ नहीं हो रही है, जबकि वो चीख-चीख कर कह रहा है कि मैं इसके लिए काम करता था। शराब घोटाले में भी वही, तीनों में एक समानता है, जो मुख्य आरोपी है, जो सबसे बड़ा लाभार्थी है, सबसे बड़ा, उसके खिलाफ ईडी, आईटी कोई कार्यवाही नहीं कर रही है, ये स्थिति है।एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री भूपेश बघेल ने कहा कि जैसे महादेव एप में मैंने बताया कि जो व्यक्ति उसमें रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकर दोनों दुबई में है। तो हमने मदद मांगी है, उसमें कोई कार्यवाही नहीं। दूसरी बात ये है कि शराब के मामले में हम लगातार कह रहे हैं कि आप इनको गिरफ्तार क्यों नहीं कर रहे हैं, हम पत्र भी लिख रहे हैं और मजेदार बात ये है कि चिट फंड घोटाला हुआ, उसमें मैंने भारत सरकार को चिट्ठी लिखी कि हजारों करोड़ रुपए छत्तीसगढ़ के लोगों का पैसा डूब गया, हमारा सीमित दायरा है, मनी लांड्रिंग हुआ है, दूसरे राज्यों में संपत्ति बनाई गई है, उसके लिए आप मदद करें तो आज तक कोई जवाब नहीं आया है। ये तो भारत सरकार का रवैया इस प्रकार है।एक अन्य प्रश्न पर कि क्या आप इस लड़ाई को कैसे आगे ले जाएंगे और क्या कोर्ट भी जाएंगे? भूपेश बघेल ने कहा कि देखिए, सभी राजनीतिक दल एक बार गए, तो उन्होंने कहा कि हम सबको रिलीफ नहीं दे सकते। यदि केस टू केस आए तो उसमें रिलीफ मिलेगा और निश्चित रुप से जैसे अभी लीकर वाले मामले में कोर्ट से रिलीफ भी मिला कि फर्दर जांच नहीं कर सकते। उसके बाद भी ईडी ने खुद एक एजेंसी है और एक एफआईआर दर्ज की है नोएडा में, तो कितना इनका मालाफाइड इंट्रस्ट है, वो समझ आ रहा है।एक अन्य प्रश्न पर कि आने वाले वक्त में चुनाव होने वाला है, चुनाव प्रक्रिया पर कितना बड़ा असर देखते हैं? भूपेश बघेल ने कहा कि
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