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दिल्ली नई दिल्ली

पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के पर्यावरण मंत्रियों की इमरजेंसी बैठक बुलाई जाए- गोपाल रॉय

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के पर्यावरण मंत्रियों की इमरजेंसी बैठक बुलाई जाए। पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं। पराली के प्रदूषण को रोकने के लिए तत्काल इमरजेंसी मीटिंग बुलाने के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को आज चिट्ठी भेज रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में 1 से 6 नवंबर तक के आंकड़े दिखा रहे हैं कि ज्यों ज्यों पराली जलने की घटनाएं बढ़ी हैं, उसी अनुपात में दिल्ली के अंदर प्रदूषण का स्तर बढा है। केंद्रीय और राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों के साथ हुई पिछली बैठक में भी हमने पराली के समाधान की  बात रखी, लेकिन इसे अनसुना कर दिया गया।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने रविवार को सिविल लाइन ,राज निवास मार्ग पर प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस दौरान गोपाल राय ने कहा कि पूरी दिल्ली पिछले 3 दिनों से प्रदूषण की मार को झेल रही है। दिल्ली के अंदर हवा दम घोटू बनी हुई है। पूरी दिल्ली इसको लेकर चिंतित है। दिल्ली में पिछले 1 नवंबर से प्रदूषण के स्तर में जो बदलाव हुए हैं उसका डीपीसीसी के वैज्ञानिकों के साथ अध्ययन किया है। उस अध्ययन में जो आंकड़े सामने आए हैं वह इस बात को साफ-साफ दिखा रहे हैं। दूसरी एजेंसियां भी अपने अपने शोध आंकड़ों को सामने रख रही हैं। जिस बात का अनुमान पहले से भी था कि अगर पराली जलने की घटनाएं कम नहीं हुईं तो दिल्ली को दोबारा से दमघोंटू माहौल से गुजरना पड़ेगा। दिल्ली में 1 से 6 नवंबर तक के आंकड़े दिखा रहे हैं कि ज्यों ज्यों पराली जलने की घटनाएं बढ़ी हैं, दिल्ली के अंदर प्रदूषण का स्तर उसी अनुपात में बढा है।
उन्होंने कहा कि नासा के सेटेलाइट से पंजाब, हरियाणा और यूपी में 1 नवंबर को 2077 जगहों पर पराली जलने की घटनाएं पता चलीं। दिल्ली के अपने बेस प्रदूषण के साथ उस दिन प्रदूषण का स्तर 281 था। दो नवंबर को पराली जलने की घटनाएं बढ़कर 3291 होती हैं। दिल्ली का प्रदूषण का स्तर 303 हो जाता है। तीन नवंबर को पराली जलने की जो घटनाएं 2775 और प्रदूषण का एवरेज स्तर 314 होती है। 4 नवंबर को पराली जलने की घटनाएं 3383 और प्रदूषण स्तर का एवरेज 382 रहता है। पांच नवंबर को पराली जलाने की घटना 5728 और प्रदूषण स्तर 462 आंका जाता है। जिसमें पटाखों का  प्रदूषण भी शामिल हो जाता है। 6 नवंबर को पराली जलने की घटनाएं 4369 होती हैं। प्रदूषण का एवरेज स्तर 437 होता है। गोपाल राय ने कहा कि आंकड़े इस बात को दिखा रहे हैं कि दिल्ली के अंदर प्रदूषण पराली जलने की घटनाओं के साथ-साथ तेजी के साथ खतरनाक स्थिति में पहुंच जाता है। पटाखों के प्रदूषण का योगदान दिवाली के दिन जुड़ जाता है जो कि प्रदूषण स्तर को खतरनाक बना देता है। पटाखों का जो प्रभाव है वह धीरे धीरे कम हो रहा है, लेकिन पराली का असर अभी लगातार बना हुआ है। इसलिए पराली का समाधान जब तक नहीं होगा, तब तक दिल्ली के ऊपर प्रदूषण का खतरा बना रहेगा।पर्यावरण मंत्री ने कहा कि दिल्ली के अंदर धूल प्रदूषण को कम करने के लिए एंटी डस्ट अभियान चलाया है। दिल्ली में हजारों निर्माण साइटों का निरीक्षण और एक्शन किया है। इसके अलावा रेड लाइट ऑन गाड़ी अभियान हम चला रहे हैं। दिल्ली के अंदर प्रदूषण वाले ईंधन से जितनी इंडस्ट्री चलती थीं, उनको पीएनजी पर शिफ्ट कर दिया है। दिल्ली के अंदर सीएनजी बसें चलती हैं। इसके अलावा 24 घंटे बिजली होने की वजह से जनरेटर का प्रदूषण नहीं हो रहा है। दिल्ली के अंदर इलेक्ट्रिक वाहन भी लॉन्च कर दिए हैं। लेकिन इस सारी मेहनत पर पराली जलने से पानी फिर जा रहा है। अभी भी स्थिति खतरनाक बनी हुई है।उन्होंने कहा कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को आज चिट्ठी भेज रहा हूं। दिल्ली के अंदर पानी का छिड़काव, कंस्ट्रक्शन साइट बैन सहित अन्य इमरजेंसी कदम उठा रहे हैं। लेकिन पराली के प्रदूषण को रोकने के लिए तत्काल इमरजेंसी मीटिंग बुलाई जाए।‌ जिसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के पर्यावरण मंत्री शामिल हों। पराली से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए तत्काल प्रभाव से क्या हो सकता है, इसको लेकर के बातचीत कर लागू किया जाए। जिससे कि पराली का प्रदूषण दिल्ली के सांसो में जो जहर बन करके घुल रहा है, उसे नियंत्रित किया जा सके। स्थाई तौर पर एक प्रक्रिया बनाई जाए, जिससे कि पराली को खत्म करने के लिए ज्वाइंट एक्शन प्लान लागू किया जा सके। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के अंदर हमने इस पराली की समस्या के समाधान के लिए पिछले साल ही पूसा के साथ मिलकर बायो डी कंपोजर का छिड़काव किया। यह प्रयोग सफल साबित हुआ। एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग आयोग और केंद्र सरकार को सभी रिपोर्ट दाखिल की गईं। यह रिपोर्ट बहुत पहले दे दीं थी ताकि इस साल राज्यों के साथ बातचीत करके इसका निदान किया जा सके। जब केंद्रीय मंत्रियों और पर्यावरण मंत्रियों के साथ मीटिंग हुई तब भी हमने यह बात रखी। लेकिन कहीं ना कहीं इस बात को इस कान से सुना गया और दूसरे कान से निकाल दिया गया। जिसका परिणाम है कि आज पूरी दिल्ली गैस चेंबर में तब्दील होने की तरफ बढ़ रही है। पिछले 3 दिनों में जिस तरह से प्रदूषण बढ़ा है उसकी वजह पराली है। इस प्रदूषण में 4 नवंबर को पटाखों ने बढ़ोतरी की है। इसलिए आज यह पत्र केंद्रीय पर्यावरण मंत्री  को लिख रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि तुरंत ऑनलाइन मीटिंग की जाए। जिससे की इन सभी राज्यों में तत्काल ठोस कदम उठाए जा सकें और दिल्ली को इस प्रदूषण से मुक्ति दिलाई जा सके।

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