नॉएडा: जिले में क्वारंटाइन सेंटर व वहां काम करने वाले कर्मचारी किस कगार पर हैं, इसकी एक बानगी रविवार को सेक्टर-39 स्थित क्वारंटाइन सेंटर में देखने को मिली। जहां वेतन न मिलने के विरोध में महिला समेत कई सफाई कर्मचारी क्वारंटाइन सेंटर की 18वीं मंजिल पर चढ़ गए और प्रदर्शन करते हुए जल्द वेतन भुगतान न होने पर कूदकर आत्महत्या की धमकी दी। इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने कर्मचारियों को किसी तरह से समझाया और मामले की जिला प्रशासन और पुलिस को सूचना दी।
सेक्टर-39 के सरकारी अस्पताल को जिला प्रशासन ने मार्च में क्वारंटाइन सेंटर बनाया था। यहां 400 संदिग्धों को निगरानी पर रखने की व्यवस्था थी। सेंटर में साफ-सफाई समेत अन्य सुविधाएं दुरुस्त रहे, इसके लिए 11 कर्मचारियों को संविदा पर रखा। कर्मचारी जान हथेली पर रखकर संदिग्धों की सेवा करते थे। करीब दस दिन पूर्व क्वारंटाइन सेंटर को स्वास्थ्य विभाग ने खाली करा दिया। टाटा कंपनी के सहयोग से यहां कोविड-19 अस्पताल बनाया जाएगा। कर्मचारी ने बताया कि 17 मार्च से 3 मई तक उन्हें वेतन नहीं दिया गया। ठेकेदार ने भी उनकी सुननी बंद कर दी.अफसरों से भी शिकायत की, लेकिन उन्होंने भी अनसुना कर दिया। इससे परेशान होकर आर्थिंक तंगी से जूझ रही पूनम व रेखा समेत तीन कर्मचारी आक्रोश में आकर क्वारंटाइन सेंटर की 18वीं मंजिल पर चढ़ गए और प्रदर्शन कर दीवार पर बैठकर आत्महत्या की धमकी दी।
इस बीच वहां मौजूद कर्मियों व अन्य लोगों ने उन्हें किसी तरह से समझाकर शांत किया। सूचना मिलने पर जिला प्रशासन और पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और वेतन भुगतान कर मामला शांत करा दिया। कर्मचारियों की 14200 रुपये प्रतिमाह सैलरी तय की गई थी। बाद में उन्हें 12 और 11 हजार रुपये देने की बात कहीं जाने लगी। धीरे-धीरे इसका जिक्र भी खत्म हो गया। ड्यूटी के समय उन्हें पीपीई किट तक नहीं दी गई। यहां कई संदिग्धों में कोरोना की पुष्टि हुई थी। इसके लिए हंगामा किया तो प्रशासन नींद से जागे थे। मामला हाईलाइट होने के बाद डीएम सुहास एलवाइ ने मामले का संज्ञान लिया और जांच बैठा दी है। सीडीओ अनिल कुमार व एसीएमओ डॉ. अमित विक्रम को मामले की जांच सौंपी गई है।