अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:बिजली की खपत कम करने और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिए केजरीवाल सरकार अपनी इमारतों, कार्यालयों और स्ट्रीट लाइट्स का ‘एनर्जी ऑडिट’ करवाएगी। इस एनर्जी ऑडिट का उद्देश्य बिजली के अधिक इस्तेमाल करने वाले स्थानों का पता लगाना और वहाँ स्मार्ट तरीक़ों से बिजली की खपत को कम करने की रणनीति तैयार करना है। साथ ही सरकारी भवनों के साथ-साथ, सभी वाणिज्यिक मॉल, प्लाजा, अस्पताल, संस्थागत भवन, बहुमंजिला और ऊंची गैर-घरेलू इमारतें, उद्योग आदि जिसमें स्वीकृत भार 500 किलोवाट और उससे अधिक है, को भी बीईई के नियमों के अनुसार अपना विस्तृत एनर्जी ऑडिट कराना होगा।
इस बाबत सरकार द्वारा जल्द ही एक नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। इसके अनुसार सभी मौजूदा और नए वाणिज्यिक मॉल, प्लाजा, अस्पताल, मल्टी-स्टोरी और हाई राइज गैर-घरेलू इमारतें, उद्योग, सरकारी,बोर्ड या निगम के स्वामित्व वाली इमारतें, जल आपूर्ति विभाग की इमारतें (ऊर्जा संरक्षण अधिनियम,2001 में नामित उपभोक्ता के अतिरिक्त) जिनका स्वीकृत लोड 500 किलोवाट या उससे अधिक है। इन्हें बोर्ड ऑफ़ एनर्जी एफ़िशि एन्सी (बीईई) द्वारा प्रमाणित एनर्जी ऑडिटर द्वारा अनिवार्य विस्तृत एनर्जी ऑडिट करवाना होगा। इन सभी उपभोक्ताओं को नोटिफिकेशन के 6 माह के भीतर एनर्जी ऑडिट करवाना होगा। साथ ही सभी को तीन साल में एक बार एनर्जी ऑडिट करवाना अनिवार्य होगा और ऑडिट रिपोर्ट की सिफ़ारिशों को अमल में लाना होगा।राजधानी भर में सरकारी भवनों, स्ट्रीटलाइट्स और 500 किलोवाट या उससे अधिक स्वीकृत लोड वाले भवनों के एनर्जी ऑडिट के विषय में साझा करते हुए ऊर्जा मंत्री आतिशी ने कहा, “केजरीवाल सरकार बिजली की हर यूनिट के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा उन सभी भवनों/स्थानों का एनर्जी ऑडिट करवाया जाएगा जहां बिजली की खपत 500 किलोवॉट से ज़्यादा है।उन्होंने कहा कि, इस प्रक्रिया में बिजली के सभी उपकरणों और उनकी वास्तविक ऊर्जा खपत को मापना, उसका आवश्यक अनुमानित न्यूनतम ऊर्जा के साथ तुलना करना और फिर बिजली की बचत के लिए आर्थिक और तकनीकी रूप से ज़रूरी तरीकों की पहचान करना शामिल है।” उन्होंने आगे कहा कि, एनर्जी ऑडिट से बिजली का दक्षतापूर्ण प्रयोग के लिए भी सुझाव मिलेगा जिसके परिणामस्वरूप बिजली और पैसे दोनों की बचत होगी। बिजली मंत्री ने कहा कि, “माना जाता है कि यदि कोई उपभोक्ता बिजली की एक यूनिट की बचत करता है, वो बिजली संयंत्र में उत्पादित 2 यूनिट के बराबर होता है। ऐसे में इन ऑडिट से प्राप्त ऊर्जा-बचत उपायों से दिल्ली की समग्र बिजली मांग को स्थिर करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, एनर्जी ऑडिट से न केवल दिल्ली भर में भवनों में ऊर्जा की खपत को कम करने के तरीकों का पता चलेगा बल्कि इससे वित्तीय बोझ भी कम होगा। साथ ही, यह पहल CO2 उत्सर्जन को कम करने में मददगार साबित होगा।”बता दें कि, दिल्ली में स्ट्रीट लाइटों के लिए भी एनर्जी ऑडिट करवाया जाएगा। वर्तमान में, दिल्ली में स्ट्रीटलाइट का रखरखाव मुख्य रूप से एमसीडी, एनडीएमसी और पीडब्ल्यूडी द्वारा किया जाता है। जहां विभाग अपनी स्ट्रीट लाइटों को कम बिजली की खपत वाले एलईडी स्ट्रीट लाइटों से बदल रहे है।बिजली मंत्री ने साझा किया कि एनर्जी ऑडिट, ऊर्जा संरक्षण और दक्षता के प्रति केजरीवाल सरकार का सक्रिय रुख को दिखाता है। इसके ज़रिए उन ग़ैर-ज़रूरी स्थानों की पहचान कर जहां बिजली का अत्यधिक उपयोग हो रहा है, वहाँ बिजली के बचत के प्रभावी उपायों को लागू करने जैसी ये पहल ज़िम्मेदार गवर्नेंस का उदाहरण तो है ही साथ ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी बेहद महत्वपूर्ण कदम है।***
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