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गुडगाँव

आने वाली पीढ़ियों को जीवंत करें-संजय कुमार चुघ

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
गुरुग्राम: ऊर्जा समिति ने आज पर्यावरण दिवस मनाते हुए आह्वान किया है कि सभी पौधों में निवेश करें और हमारी आने वाली पीढ़ियों को जीवंत करें।ऊर्जा समिति के महासचिव संजय कुमार चुघ ने कहा कि सभी मिलकर इस पृथ्वी को और हमारे पर्यावरण को बचाएं। पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की समष्टिगत एक इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं।महासचिव ने बताया कि प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के साथ-साथ कार्बन डाइऑक्साइड सोखने वाले पौधों को ज्यादा से ज्यादा लगाया जाए। पीपल 100 प्रतिशत, बेल 85, नीम, वटवृक्ष, इमली, कविट 80 प्रतिशत, आवला 74 और आम 70 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है। सभी ने ऐसे कार्बन डाइऑक्साइड सोखने वाले वृक्षों के पौधो का रोपण कर उनकी देखभाल करनी है।उन्होंने बताया कि पर्यावरण दिवस हर वर्ष एक नए थीम के साथ मनाया जाता है।

इस बार ‘विश्व पर्यावरण दिवस 2023’ की थीम ‘सॉल्यूशन टू प्लास्टिक पॉल्यूशन’ है। यह थीम प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान पर आधारित है। यह प्लास्टिक कचरे के निपटारे के समाधान खोजने पर जोर देता है। #BeatPlasticPollution बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन अभियान के तहत विश्व पर्यावरण दिवस 2023 मनाया जा रहा है। इस विषय को इसलिए चुना गया कि प्लास्टिक का इस्तेमाल करने वाले लोगों को इसके वैकल्पिक तरीकों के बारे में सोचने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को जागरूक करना है ताकि लोग इसके महत्व को समझ सकें। इस दिन लोगों को जलवायु परिवर्तन, जंगलों की कटाई, प्रदूषण, बायोडायवर्सिटी लॉस आदि मुद्दों को लेकर जागरूक किया जाता है।

*हर वर्ष 400 मिलियन टन प्लास्टिक का होता है उत्पादन*

संयुक्त राष्ट्र द्वारा सांझा की गई जानकारी के अनुसार हर वर्ष 400 मिलिटन टन प्लास्टिक का उत्पादन विश्व भर में होता है। इनमें से आधे का इस्तेमाल सिर्फ एक ही बार हो पाता है, जबकि सिर्फ 10 प्रतिशत की ही रिसाइकिलिंग हो पाती है। दूसरी तरफ, अनुमानत: 19 से 23 मिलियन टन प्लास्टिक कचरे को हर साल तालाबों, नदियों और समुद्र में डाल दिया जाता है, जो कि 2,200 एफिल टॉवर के वजन के बराबर है। साथ ही, प्लास्टिक सूक्ष्म कण (5 मिमी व्यास तक) किसी न किसी रूप में हमारे भोजन, पानी और हवा में घुले होते हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार हर व्यक्ति 50,000 प्लास्टिक कणों का हर साल किसी न किसी रूप में न चाहते हुए भी सेवन कर लेता है।वायु मंडल, जीव मंडल, स्थल मंडल और जल मंडल ही पर्यावरण के मुख्य घटक हैं। इसमें पर्यावरणीय सुधार की जरूरत है।संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पर्यावरणीय चुनौतियों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने और कार्रवाई को प्रोत्साहित करने के लिए इस विश्व पर्यावरण दिवस की स्थापना की। विश्व पर्यावरण दिवस पहली बार 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मनाया गया है। इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु वर्ष 1972 में की थी। इसे 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा ह्यूमन एनवायरनमेंट पर स्टॉकहोम में आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद शुरू किया गया था। इस सम्मेलन में करीब 119 देश शामिल हुए थे, जिसके बाद से ही दुनियाभर में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाने लगा।विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरणीय सार्वजनिक आउटरीच का सबसे बड़ा वैश्विक मंच है और दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा मनाया जाता है। 2023 में, इसे ‘कोटे डी आइवर’ द्वारा होस्ट किया गया है। भारत समेत विश्वभर में 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाते हैं। इस मौके पर सभी देश अलग अलग तरीके से पर्यावरण के प्रति जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन करते हैं। भारत में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 19 नवंबर, 1986 को लागू किया गया। हम सब ने मिलकर ही अपने पर्यावरण में सुधार लाना है।

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