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भाजपा सरकार हर रोज डीजल और पेट्रोल में दामों में वृद्धि का जनता पर बोझ डाल मुनाफा खोरी व जबरन वसूली कर रही है- सुरजेवाला 

नई दिल्ली/ अजीत सिन्हा 
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला द्वारा जारी वक्तव्य:भारत के 130 करोड़ लोग आज कोरोना महामारी से लड़ रहे हैं। भारत के लोग इस कठिन आर्थिक मंदी और महामारी की स्थिति में जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं, उन्हें सरकार से आर्थिक सहायता और मुश्किल समय में राहत की उम्मीद थी लेकिन इस सबके बावजूद जन विरोधी भाजपा सरकार हर रोज डीजल और पेट्रोल में दामों में वृद्धि का जनता पर बोझ डाल मुनाफा खोरी व जबरन वसूली कर रही है। पिछले 16 दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में क्रमशः 14 व 13 बार बढ़ोतरी की गई है। हाल ही में रसोई गैस की बिना सब्सिडी गैस सिलिंडर की कीमत में 50 रुपए की वृद्धि की गयी है।

रिकॉर्ड की बात है कि मोदी सरकार जब मई 2014 में सत्ता में आई तो पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क केवल 9.20 रुपये प्रति लीटर और 3.46 रुपये प्रति लीटर पर था, जिसमें भाजपा सरकार द्वारा पेट्रोल पर 23.78 प्रति लीटर और डीजल पर 28.37 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गयी है, जो यूपीए की तुलना में क्रमशः 258 और 820 प्रतिशत ज्यादा है। वर्ष 2014-15 से वर्ष 2019-20 तक साढ़े 6 वर्षों की अवधि के बीच, केंद्रीय भाजपा सरकार ने 12 बार पेट्रोल और डीजल पर करों में वृद्धि की और जनता से साढ़े छह साल में 19 लाख करोड़ रुपए वसूले हैं। आज की कठिन परिस्थितियों में जब लोगों का गुजर-बसर मुश्किल हो रहा हो तब किसी भी सरकार को लोगों पर भारी कर लगाने का कोई अधिकार नहीं है। सस्ता पेट्रोल और डीजल के वायदे कर सत्ता पर काबिज हुई मोदी सरकार यदि पिछले साढ़े छह वर्षों के दौरान स्वयं के द्वारा बढ़ाए गया उत्पाद शुल्क को ही वापस ले ले तो जनता को भारी राहत मिल सकती है। मोदी सरकार ने लॉकडाउन के बाद से पिछले आठ महीनों में पेट्रोल-डीजल कीमतों में बार-बार बढ़ोतरी कर मुनाफा खोरी व शोषण के सभी हदों को पार कर दिया है। कोरोना काल में ही पेट्रोल पर 13 रुपए और डीजल में 16 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गयी है। 5 मार्च, 2020 को पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 3 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की गई थी। 5 मई 2020 को मोदी सरकार ने डीजल पर उत्पाद शुल्क में 13 रुपये प्रति लीटर और पेट्रोल पर 10 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गयी है।

गौरतलब है कि 26 मई 2014 को जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली थी, तब भारत की तेल कंपनियों को कच्चा तेल 108 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल मिल रहा था, जो तत्कालीन डॉलर-रुपया के अंतर्राष्ट्रीय भाव के अनुसार 6,330 रुपए प्रति बैरल बनता है, जिसका अर्थ है तेल लगभग 40 रुपए प्रति लीटर के भाव पर पड़ रहा था। उस समय पेट्रोल व डीजल क्रमशः 71.41 और 55.49 रुपए प्रति लीटर में उपलब्ध था, जो आज क्रमशः 83.13 और 73.32 रुपए प्रति लीटर बेचा जा रहा है। कच्चे तेल की कीमत में 56 प्रतिशत कमी के बावजूद पेट्रोल व डीजल की कीमतें कहीं ज्यादा हैं और आसमान छू रही हैं। 3 दिसंबर, 2020 को कच्चे तेल का अंतर्राष्ट्रीय भाव 48.18 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल था, जो डॉलर-रुपए भाव के अनुसार 3560.46 रुपए प्रति बैरल बनता है, यानि कुल लागत 22 रुपए 39 पैसे प्रति लीटर पड़ती है। यदि पेट्रोल-डीजल और एलपीजी गैस के दामों में इसी अनुपात में कमी की जाए, तो इनके दाम 56 प्रतिशत से ज्यादा कम हो सकते हैं। पेट्रोल व डीजल की लागत 23 रुपए प्रति लीटर से कम आ रही है, उसे क्रमशः 83.13 और 73.32 रुपए प्रति लीटर क्यों बेचा जा रहा है?

कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि :-

घटे हुए अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों का लाभ आम लोगों को मिलना चाहिए और पेट्रोल-डीजल-एलपीजी गैस की कीमतों में कमी की जाए।
पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के अंतर्गत लाया जाना चाहिए।
पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के अंतर्गत लाये जाने तक मोदी सरकार द्वारा कोरोना काल में पांच मार्च, 2020 के बाद की गयी उत्पाद शुल्क वृद्धि को तुरंत वापस लिया जाए।

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