अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पानी की एक-एक बूंद बहुमुल्य है और इसे बचाने के लिए सरकार भविष्य की नीतियां बना रही है। इन नीतियों को बेहतर बनाने और धरातल पर अमलीजामा पहनाने के साथ-साथ पानी बचाने जैसे अच्छे परिणाम लाने के लिए किसानों से सुझाव और फीडबैक लिया जा रहा है। इस समय प्रदेश में कई ब्लाक में भूजल स्तर 40 मीटर नीचे तक पहुंच गया है, जोकि एक चिंता का विषय है। सरकार ने पानी बचाने के लिए फसल विविधिकरण के तहत ‘‘मेरा पानी मेरी विरासत योजना’’ तैयार की है।मुख्यमंत्री आज चंडीगढ़ से करनाल जाते समय पिपली पैराकीट, कुरुक्षेत्र के सभागार में भूजल स्तर में सुधार लाने और पानी को बचाने जैसे गम्भीर विषयों को लेकर किसानों से फीडबैक ले रहे थे।मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने पानी बचाने के लिए फसल विविधिकरण के तहत ‘‘मेरा पानी मेरी विरासत योजना’’ तैयार की है। इस योजना के तहत कुरुक्षेत्र जिले के पिपली, शाहबाद, बाबैन और इस्माईलाबाद ब्लाक को शामिल किया गया है, क्योंकि इन खंडों में भूजल स्तर 40 मीटर से ज्यादा नीचे चला गया है, साथ ही प्रदेश में फतेहाबाद के रतिया ब्लाक, कैथल के सीवन व गुहला, सिरसा के सिरसा ब्लाक को भी शामिल किया गया है। इन ब्लाकों में भूजल स्तर की स्थिति बहुत चिंताजनक है, किसानों को प्रेरित किया जा रहा है कि पानी को बचाना है और इसके लिए किसानों को फसल विविधिकरण की तरफ अग्रसर होना होगा। सरकार इन फसलों का एमएसपी पर एक-एक दाना खरीदेगी और मक्का लगाने पर 7 हजार रुपए प्रति एकड़ अनुदान राशि भी दी जाएगी। इसके अलावा भी कई अन्य सहुलियते किसानों को दी जाएंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने पिछले वर्ष पानी को बचाने के लिए जल ही जीवन योजना को शुरु किया था, लेकिन इस वर्ष योजना में सुधार करते हुए मेरा पानी मेरी विरासत स्कीम को लागू किया है। इस योजना पर काफी विचार-विमर्श किया गया। इस योजना को तैयार करने से पहले किसानों, वैज्ञानिकों, विधायकों और सरकार से जुड़े अन्य लोगों से भी गम्भीरता के साथ मंथन के बाद ही मेरा पानी मेरी विरासत स्कीम को तैयार किया। इस योजना से भावी पीढ़ी को फायदा होगा। उन्होंने यह भी कहा कि एक से दो एकड़ वाले छोटे किसानों को भी इस स्कीम में कुछ रियायतें मिलेंगी। सभी का एक ही लक्ष्य है कि पानी को बचाना है, जमीन से पानी कम निकालना है और भूजल स्तर में सुधार करना है। इस गम्भीर विषय को लेकर ही सभी को सोचने और मंथन करने की जरुरत है। इस दौरान जो भी बेहतर सुझाव आएंगे,उन्हें सरकार लागू करेगी और पानी की एक-एक बूंद बचाने का प्रयत्न करेंगी। इस दौरान कुरुक्षेत्र के किसानों ने जो सुझाव दिए है इन सुझावों पर भी सरकार कार्रवाई करेगी ताकि किसानों को सभी तरह के लाभ मिल सके और पानी को बचाया जा सके। मुख्यमंत्री ने किसान कर्णराज सिंह तूर,रवि कुमार मथाना,अश्विनी कुमार बाबैन,सुरेश् चंद, प्रीतम सिंह, विक्रम अटवाण, डिम्पल सैनी बाबैन, राजपाल, रोशन लाल, बरखा राम, गोपाल राणा,सतबीर सिंह, तेवर खान, सर्वजीत सिंह सहित अन्य किसानों से कुरुक्षेत्र में धान की फसल की बजाए मक्का की फसल लगाने और पानी को बचाने जैसे विषय को लेकर एक-एक करके बातचीत की और सभी से पानी को बचाने के बारे में सुझाव भी लिए। इस दौरान किसानों ने कुरुक्षेत्र में मारकंडा के साथ बाढ़ वाले क्षेत्र के किसानों के हित को लेकर और सीधी बिजाई को लेकर भी कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए है। इस दौरान गांव बिहोली के सरपंच प्रीतम सिंह ने पंचायत की 20 एकड़ जमीन पर गऊशाला बनाने का प्रस्ताव रखा, इस प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उपायुक्त धीरेन्द्र खडगटा को आदेश दिए कि गांव बिहोली में गऊशाला बनाने का एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार करके भेजा जाए।