अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
प्रो. गौरव वल्लभ ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि एक नया 3 स्टेप मॉडल मोदी सरकार ने विकसित किया है भ्रष्टाचार का और उस मॉडल की सारी परते मैं लेकर आया हूँ, आपके सामने। देश में 75 प्रतिशत बिजली का उत्पादन कोयला आधारित जो बिजली घर हैं, वो करते हैं। तो अगर हमारे देश में सौ यूनिट बिजली मान लो बनती है, तो 75 यूनिट बनाते हैं, कोयला आधारित जो बिजली घर हैं, वो। मोदी सरकार ने इन कोयला आधारित बिजली घरों को सबसे पहले बोला कि आपको 10 प्रतिशत कोयला इंपोर्टेड खरीदना पड़ेगा, क्योंकि जब तक इंपोर्टेड कोयला ब्लैंड नहीं होगा, मिक्स नहीं होगा, अच्छी बिजली नहीं उत्पन्न होगी। ये मैं नहीं कह रहा, सरकार ने ऐसा नोटिफिकेशन निकाला है। ये तो हुआ स्टेप नंबर- 1, कि पहले 10 प्रतिशत कोयला बाहर से मंगाने की एक नेसेसरी कंडीशन जोड़ दी जाए। फिर स्टेप नंबर-2 आता है। स्टेप नंबर-2 के तहत 2.416 मिलयन टन, अर्थात लगभग ढाई मिलयन टन कोयला इंपोर्ट करने का जो कॉन्ट्रैक्ट है, जो ठेका है, ढाई मिलियन टन कोयला इंपोर्ट करने का ठेका, कोई गैस (Guess) करने की जरुरत नहीं है, देश को, सबको पता है कि वो अडानी को ही मिला होगा।
तो स्टेप नंबर-1 में पहले कोयला आधारित बिजली घरों को बोलो कि 10 प्रतिशत कोयला बाहर से इंपोर्ट करके लाना है, देशी कोयला नहीं चलेगा। स्टेप नंबर-2 में लगभग ढाई मिलियन टन कोयला इंपोर्ट करने का ठेका सरकार दे देती है, अडानी एन्टरप्राइजेज लिमिटेड को और यहाँ पर ये चीज एक महत्वपूर्ण प्वाइंट आपके सामने मैं रखना चाहता हूँ कि जो इंपोर्ट करने का ठेका है, अडानी को दिया जाता है, 16,700 रुपए प्रति टन कोयला, जबकि जो देशी, डोमेस्टिक कोल सप्लायर हैं, वो 1,700 से 2,000 रुपए प्रति टन में कोयला सप्लाई कर देंगे, पर यहाँ पर अडानी को ठेका दिया जाता है, 16,700 रुपए प्रति टन।
अब स्टेप नंबर-3, ये जो देश के कोल आधारित, कोयला घर जो बिजली बनाने वाले संयंत्र लगाकर बैठे हैं, वो आज इंपोर्टेड कोयला, अडानी एन्टरप्राइजेज लिमिटेड से, जो देशी कोयला है, उससे 7 से 10 गुना ज्यादा दाम पर खरीद रहे हैं। नतीजा क्या हुआ इस 3 स्टेप मॉडल का कि आपको, मुझे, उद्योंगो को जो कोयले से बिजली बन रही है, क्योंकि 75 प्रतिशत बिजली देश में कोयले से आ रही है, उसके भाव आने वाले समय में बढ़ जाएंगे। तो What an arrangement Sir Ji! This is called a 3 step friend benefit model. कि आप पहले जो कोयले पर आधारित बिजली संयंत्र हैं, जो भले ही निजी क्षेत्र में हो, या सरकारी उपक्रम हो, उनको बोलो 10 प्रतिशत विदेशी आयातित कोयला लाना पड़ेगा। उसके बाद ढाई मिलियन टन का जो ठेका है, विदेश से आयात करने का, वो 16,700 रुपए प्रति टन का ठेका अडानी एन्टरप्राइजेज को दे दो और देश में जो डोमेस्टिक सप्लायर हैं, वो 1,700 रुपए प्रति टन में दे रहे हैं, अडानी एन्टरप्राइजेज वही कोयला विदेश से आयात करके 20,000 रुपए प्रति टन पर दे रही है।
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