अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट
देश में चल रही कोरोना महामारी की आपदा के बीच कुछ लोग नकली दवाओं का कारोबार कर अपनी तिजोरी भरने में लगे थे। मुंबई पुलिस द्वारा ऐसे ही एक नकली दवाओं का रैकेट का खुलासा करने के बाद इसके तार ग्रेटर नोएडा से जुड़ते मिले और मुंबई पुलिस के इनपुट के बाद मेरठ के ड्रग कमिश्नर के नेतृत्व में की गई छापामारी के दौरान ग्रेटर नोएडा में नकली दवाओं की पैकेजिंग यूनिट पकड़ी गई है। जहां नकली दवाओं के विभिन्न ब्रांड के नाम से दवाओं को पैक कर सप्लाई किया जा रहा था। छापामारी के दौरान दवा पैक करने वाली की मशीनें और लाखों रुपए की दवा, दवा के रैपर और कार्टन बरामद किया गया है।
ग्रेटर नोएडा की ईकोटेक के पी-241 स्थित इस फैक्ट्री में चल रही नकली दवाओं के पैकेजिंग कारोबार का पर्दाफाश किया गया है। मेरठ के ड्रग असिस्टेंट कमिश्नर वीरेंद्र कुमार, नायब तहसीलदार सचिन पंवार और एडीसीपी अंकुर अग्रवाल की संयुक्त रूप से की गई छापेमारी के दौरान ड्रग डिपार्टमेंट को यहां से जो दवाएं मिली है उनका उपयोग कोरोना संक्रमित के इलाज में भी किया जाता है। इन दवाओं अजिथ्रोमाइसिन, फेवि फ्लू, हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन, एसफुरेक्स सीवी,फरोपिनम, फेवीमैक्स एंटीबायोटिक दवाई शामिल है, जिनकी कीमत 20 लाख से ज्यादा बताई जा रही है। दवाओं पर हिमाचल की मैक्स कंपनी का लेवल लगा सप्लाई किया जा रहा था जांच में पता चला है कि यहां सिर्फ नकली दवाओं की पैकेजिंग का काम होता था। औषधि निरीक्षक वैभव बब्बर ने बताया कि फैक्ट्री में छापेमारी के दौरान मिली सभी दवाओं के सैंपल को जांच के लिए लखनऊ स्थित प्रयोगशाला भेजा जाएगा। छापेमारी के दौरान फैक्टरी में कोई भी कर्मचारी मौके पर नहीं मिला है। जांच में औषधि बनाने के लिए जरूरी मौके से कोई लाइसेंस भी नहीं मिला है।ग्रेटर नोएडा के एडीसीपी अंकुर अग्रवाल ने बताया कि पुलिस की छानबीन में पता चला है कि फर्जी फैक्टरी चलाने वाले संचालक ने एक महीने पहले इसे किराए पर लिया था। इस मामले में पहले ही कुछ गिरफ्तारी महाराष्ट्र और मेरठ में की जा चुकी है। इस फैक्ट्री के संचालक और इस फर्जी कारोबार से जुड़े लोगों के बारे में जानकारी की जा रही है। कौन-कौन लोग इस फर्जी कारोबार में जुड़े थे उन सभी पर कार्रवाई की जाएगी।
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