Athrav – Online News Portal
फरीदाबाद

फरीदाबाद : गंभीर निमोनिया से ग्रस्त युवक को एक्मो तकनीक द्वारा नया जीवन

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
फरीदाबाद : मेरठ निवासी 19 वर्षीय यश गंभीर निमोनिया से पीड़ित होने के कारण उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। तकलीफ इतनी ज्यादा थी कि घबराहट महसूस होने लगी। यश की स्थिति देखकर परिजन भी बेहद परेशान थे। उन्होंने आनन-फानन में परिजन को नजदीकी अस्पताल में दाखिल कराया, लेकिन यश की स्थिति को देखते हुए वहां के डाॅक्टरों ने मरीज को दिल्ली के अस्पताल में दिखाने की सलाह दी। दिल्ली में डाॅक्टरों ने हाइ-रिस्क केस होने के कारण इलाज करने से मना कर दिया। ऐसे में परिजन यश को गंभीर हालत में सेक्टर-21 ए स्थित एशियन अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर पहुंचे ।
क्या है निमोनिया: निमोनिया में फेफड़ों में संक्रमण होने के कारण सांस लेने में तकलीफ होती है। दोनो फेफड़ों में तरल पदार्थ और पस भर जाने के कारण ऑक्सीजन  लेने में तकलीफ होती है। इसकी शुरूआत खासी-जुकाम से होती है, जो धीरे-धीरे निमोनिया में बदल जाती है। यह संक्रमण वायरस,बैक्टीरिया और फंगल इंफ्ेक्शन के कारण होता है। एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अस्पताल के श्वांस रोग विशेषज्ञ डाॅ. मानव मनचंदा ने मरीज की जांच की तो पता चला कि गंभीर निमोनिया के कारण यश के फेफड़ों में संक्रमण बढ़ने के कारण उसके शरीर में  कार्बनडाई आॅक्साइड की मात्रा बढ़ गई और आॅक्सीजन लेवल कम हो गया। जब वेंटीलेटर पर डालने के बाद भी मरीज की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा था तो उसकी स्थिति को ध्यान में रखते हुए डाॅ. मानव ने परिजनांे को मरीज का एक्मो (एक प्रकार की डायलिसिस) कराने की सलाह दी।
क्या है एक्मोः इस तकनीक के माध्यम से शरीर के अंदर अधिक मात्रा में मौजूद कार्बन डाई आॅक्साइड को शरीर से बाहर निकाला जाता है और आॅक्सीजन शरीर के अंदर डाला जाता है। इस प्रक्रिया का इस्तेमाल ऐसी स्थिति में किया जाता है जब मरीज को वेंटीलेटर पर डालने पर भी उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं नज़र आता।  इस प्रक्रिया के इस्तेमाल से मरीज को सांस लेने बहुत मदद मिलती है।एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अस्पताल के कार्डियोवेस्कुलर सर्जरी विभाग के सीनियर कंसलटेंट डाॅ. अमित चौधरी ने बताया कि एक्मो एक ऐसी तकनीक है जिसमें हम मशीन के माध्यम से (कृत्रिम फेफड़ों) फेफड़ों को चलाते हैं। कई ऐसे कारण हैं जो सांस लेने में तकलीफ और गंभीर निमोनिया के कारण बनते हैं। इनमें डेंगू और स्वाइन फ्लू के वायरस मुख्य हैं। इस तकनीक में पैर की नस से अशुद्ध रक्त लेते हैं और इसे एक विशेष मशीन में शुद्ध (प्यूरीफाई) किया जाता है। मशीन से शुद्ध रक्त रोगी की गर्दन की नस के माध्यम से डाला जाता है। यह प्रक्रिया तब तक जारी रखी जाती है जब तक मरीज के फेफड़े सामान्य रूप से सांस लेने में सक्षम नहीं हो जाते हैं। इस प्रक्रिया में  4 हफ्ते तक तक समय लग सकता है।

Related posts

राहुल गांधी लखन सिंगला द्वारा आयोजित विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए लाइव सुने इस वीडियो में

Ajit Sinha

चंडीगढ़ ब्रेकिंग: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत सरकार ने की पद्म पुरस्कार 2022 की घोषणा

Ajit Sinha

फरीदाबाद: नीमका जेल में जेल बंदियों के शपथ ग्रहण समारोह में स्वच्छता की शपथ दिलाई और पौधारोपण भी किया, गुर्जर।

Ajit Sinha
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
error: Content is protected !!
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x