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फरीदाबाद: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद खोरी गांव के लोग बोले पीएम और सीएम को इसी दिन के लिए वोट दिया-देखें वीडियो

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
फरीदाबाद:  सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनबाई करते हुए  फरीदाबाद नगर निगम और पुलिस को जंगल की जमीनों पर हुए अवैध निर्माणों और खोरी गांव में जंगल की जमीन पर कब्जा करने वाले लगभग 10 हजार परिवारों को 6 हफ्ते के अंदर जगंल की ज़मीन को हटाने के आदेश दिए है । कोर्ट के आदेशों के बाद इलाके के लोगों में हड़कंप मच गया है लोग साफ तौर पर कह रहे हैं कि पहले उन्हें रहने की वैकल्पिक जगह दी जाए उसके बाद ही उन्हें हटाया जाए । 

दिखाई दे रहा यह नजारा फरीदाबाद और दिल्ली के बॉर्डर पर खोरी गांव की पहाड़ियों का है ।  दरअसल यहां पर प्रॉपर्टी डीलरों ने भोले भाले लोगों को फंसा कर जंगल की जमीन बेच दी, जिस के बाद लोगों ने यहां अपने आशियाने बना लिए । काफी लंबे समय से यहां रह रहे हैं । जमीन खरीदने के बाद लोगों ने जब अपने मकान यहां बनाएं तो यहां के पते पर राशन कार्ड  समेत तमाम तरह की सुविधाएं भी मुहैया करा दी गई थी । सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पहले भी जंगल पर बने अवैध निर्माणों को हटाने के आदेश दिए थे जिसके बाद नगर निगम की टीम में खोरी गांव में तोड़फोड़ भी की थी लेकिन तोड़फोड़ पूरी नहीं हो पाई ।  सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई करते हुए सभी अवैध निर्माणों को हटाने के आदेश जारी किए । सुप्रीम कोर्ट ने समय सीमा तय करते हुए  निगम को आदेश दिए हैं कि 6 हफ्ते के अंदर अवैध निर्माणों को यहां से हटा दिया जाए । सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की खबर जब इलाके में रहने वाले लोगों तक पहुंची तो उनके होश उड़ गए ।

इलाके के लोगों का कहना है कि उन्होंने यह जगह पैसे देकर खरीदी है और इलाके के प्रॉपर्टी डीलर उन्हें यह जगह बेचकर अब यहां से फरार हो गए उनका कहना है कि वह निगम को सभी तरह के टैक्स बिजली के बिल और बाकी सभी करों का भुगतान कर रहे हैं ,उसके बाद भी उन्हें यहां से हटाने के आदेश दे दिए गए । लोगों का आरोप है कि जब यह बन रहा था तब नगर निगम के अधिकारी आते थे और पैसे लेकर चले जाते थे यहां तक कि पुलिस वाले भी कई बार पैसे लेकर गए । उनका साफ तौर पर कहना है कि जब यह जमीन बेची जा रही थी तब आकर प्रशासन के लोग कहां थे । लोगों का साथ तौर पर कहना है कि पहले सुप्रीम कोर्ट उनके रहने की वैकल्पिक व्यवस्था के बारे में सोचना चाहिए इसके बाद ही उन्हें यहां से हटाना चाहिए। इस बारे में जब नगर निगम के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई तो कोई भी अधिकारी कैमरे पर कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं हुआ  ।

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