अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: ग्रीन फील्ड में रिहायशी प्लाटों की बिल्डिंगों में बनी अवैध बेसमेंट में चल रही गतिविधियों पर अब होने जा रही सख्त कार्रवाई। ये कार्रवाई के लिए डीटीपी इंफोर्स्मेंट की टीम अब सर्वे की कार्रवाई शुरू हो चुकी है। सम्भवता साथ के साथ सीलिंग की भी कार्रवाई हो सकती है। इस मामले में डीटीपी इंफोर्स्मेंट राजेंद्र शर्मा का कहना है कि वह लगातार अवैध बनी बेसमेंट में चल रही गतिविधियों पर उनकी सर्वे की कार्रवाई चल रही है। इसी क्रम में उन्होंने बीते दिनों ग्रीन फील्ड के मॉल रोड स्थित दो बेसमेंट में सीलिंग की कार्रवाई की गई, जिसका प्लॉट नंबर -2389 और 106 है ,को भी सर्वे के दौरान फिर से चेक किए जाएंगे, और किए गए सीलिंग की कार्रवाई से अगर छेड़छाड़ की गई होगी , तो उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा।
खबर के मुताबिक ग्रीन फील्ड कॉलोनी के मॉल रोड स्थित जितनी बिल्डिंगें बनी हैं, सभी के सभी बिल्डिंगें रिहायशी प्लाटों पर बनी है, की बिल्डिंगों में बनी अवैध बेसमेंटों में खुल कर गतिविधियां चल रही है,ये कॉलोनी अरावली पहाड़ों के ऊपर बसी है। यहां जब भी बारिश होती है, तो पहाड़ों से पानी रिष कर यहां की बेसमेंट में भर जाती है, साथ में बेसमेंट की दीवारों में सीलन आ जाती है। भरे हुए पानी को मोटर और पाइप के सहारे सड़कों पर बहा दी जाती है। आज की ये मुश्किलें नहीं है,ये मुश्किलें बहुत पुरानी है। ये सब सम्बंधित विभाग के अधिकारी की जानकारी हमेशा से है, इस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की। ये भी पता चला है कि यहां की ज्यादातर बेसमेंट में डांसिंग स्कूल, दुकानें, प्रॉपर्टी डीलर के कार्यालय,सेनेटरी की दुकानें, कोरियर ऑफिस और अन्य कई प्रकार की दुकानें और गोदाम धड़ल्ले से चल रही है। इन सभी बेसमेटों में एक ही रास्ता हैं। इसके पीछे निकलने, और पानी निकासी का कोई भी रास्ता नहीं है, और इनमें प्राकृति हवाओं को आने जाने स्थान बिल्कुल नहीं है। दुकान मालिकों के द्वारा अपने- अपने दुकानों, और कार्यालयों में कई -कई स्टाफ भी रखे होते है, ऐसे में कहीं -कहीं इन सभी लोगों के जीवन खतरे में होती है। ऐसे में ऐसे बेसमेंट और बेसमेंट बनाने वाले बिल्डरों के खिलाफ संगीन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए जो चंद पैसों के लिए आमजनों के जीवन को खतरे में डालते है। इस दिशा में जागा जिला प्रशासन अब सख्त कार्रवाई करने में लगा है, पर अब तक एक भी बड़े से बड़े संस्थानों में सम्बंधित विभागों के द्वारा कोई भी बड़ी कार्रवाई नहीं की गई है। सिर्फ छोटे -छोटे दुकानों और कार्यालयों में कार्रवाई की गई है , क्यूंकि बचे हुए दुकान और ऑफिस वाले कार्रवाई से डर कर सम्बंधित अधिकारीयों के जेबें नोटों से भर देते है।
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