अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: इस वर्ष 2 से 6 दिसंबर तक ‘राष्ट्रीय इन्फ्लूएंजा टीकाकरण सप्ताह’ मनाया जा रहा है। फ्लू वैक्सीन लगवाने के फायदों पर महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए रेस्पिरेटरी एवं स्लीप मेडिसिन, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स, डॉ. पंकज छाबरा ने बताया कि हम अक्सर देखते हैं कि साँस के मरीज जिन्हें सीओपीडी या ब्रोन्कियल अस्थमा होता है वे सर्दियों के महीने में हमारे पास खांसी, जुकाम और निमोनिया के साथ भर्ती होते हैं क्योंकि ठंड की वजह से इन मरीजों की साँस की समस्या बढ़ जाती है। निमोनिया होने का मुख्य कारण वायरस होते हैं इन्हीं में से एक मुख्य कारण है इन्फ्लुएंजा वायरस।
निमोनिया के कारण मरीजों में आईसीयू में एडमिट करना पड़ता है। निमोनिया मरीजों की जान जाने का एक बड़ा कारण है। इन्फ्लूएंजा को फ्लू भी कहते हैं। इन्फ्लूएंजा वायरस से फैलने वाली बीमारी मुख्य रूप से सांस की नली को प्रभावित करती है और तेज बुखार, खांसी, गले में खराश, शरीर में दर्द और थकान जैसे लक्षण पैदा करती है। गंभीर मामलों में खासकर बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को फ्लू के कारण निमोनिया, ब्रोंकाइटिस हो सकता है और यहां तक कि कई बार जान जाने का जोखिम भी बढ़ सकता है।
इन्फ्लूएंजा से बचने के लिए मरीजों को इन्फ्लुएंजा वैक्सीन लगवाने की सलाह दी जाती है जिसे फ्लू वैक्सीन भी कहते हैं। स्वाइन फ्लू या एच1एन1 भी एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा वायरस होता है। ये वैक्सीन आपको स्वाइन फ्लू से भी बचाती है। यह वैक्सीन हर साल लगवाने की सलाह दी जाती है। इस वैक्सीन को लगाने का सही समय सितंबर से नवंबर महीने के बीच का समय रहता है क्योंकि यह वायरस हर साल अपना स्ट्रेन बदलता है इसलिए इन्फ्लुएंजा वैक्सीन हर साल लगानी चाहिए। इस वैक्सीन का कोई बड़ा साइड इफ़ेक्ट नहीं है। जिन लोगों को एग एलर्जी है वे भी ये वैक्सीन लगवा सकते हैं। इस वैक्सीन को लगाने के बाद दो हफ्ते बाद ये आपको सुरक्षा देना शुरू कर देती है। हाई रिस्क मरीज यानी जिन मरीजों को साँस की परेशानी है, सीओपीडी, अस्थमा या हार्ट की समस्या, किडनी की समस्या या लिवर की समस्या (क्रोनिक लिवर डिजीज) या डायबिटीज है उन मरीजों को ये वैक्सीन हर साल लगवानी चाहिए। फ्लू वैक्सीन शरीर में फ्लू के खिलाफ एंटीबॉडी पैदा करती है जो मरीज के गंभीर रूप से बीमार होने और हॉस्पिटल में एडमिट होने की संभावना को भी कम करती है।बच्चे, बूढ़े और गर्भवती महिलाएं सभी डॉक्टर की सलाह अनुसार इन्फ्लुएंजा का वैक्सीन लगवा सकते हैं। इस वैक्सीन की सबसे ज्यादा जरूरत उन्हें होती है जिन्हें कोई क्रोनिक डिजीज है चाहे क्रोनिक किडनी डिजीज, लंग डिजीज (जैसे अस्थमा, सीओपीडी), लिवर डिजीज, डायबिटीज या हार्ट की बीमारी हो। इसके साथ साथ एक न्यूमोकोकल वैक्सीन भी आती है जो आपको न्यूमोनिया संक्रमण से बचाती है। यह वैक्सीन भी बच्चे, जवान, बूढ़े किसी भी लगाई जा सकती है और यह वैक्सीन 5 साल में एक बार लगती है। फ्लू वैक्सीन लगवाने से सीजनल इंफेक्शन का खतरा करीब 40 से 60% तक कम हो जाता है हर साल लगाई जाने वाली इस वैक्सीन को फ्लू शॉट्स भी कहा जाता है। फ्लू से बचने के लिए शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता (इम्यूनिटी) का मजबूत होना बेहद जरूरी होता है। इसके लिए आप अपनी डाइट में विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर फूड्स को शामिल कर सकते हैं। रोजाना एक्सरसाइज करने और लाइफस्टाइल को बेहतर बनाने से भी इम्यूनिटी को बूस्ट (मजबूत) किया जा सकता है।
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