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फरीदाबाद स्वास्थ्य

फरीदाबाद ब्रेकिंग: मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स ने स्ट्रोकोलॉजिस्ट कार्यक्रम शुरू किया, क्या है जानने के लिए अवश्य पढ़े।


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली/फरीदाबाद: ‘स्ट्रोक’ तीन सबसे बड़ी आपात स्थितियों में से एक है जिसमें लोगों की जान जा सकती है। बताया गया है कि दिल्ली एनसीआर में हर दिन स्ट्रोक के लगभग 600 मामले दर्ज होते हैं। भारत में हर साल होने वाले स्ट्रोक के अनुमानित 15 लाख मामलों में से, दिल्ली एनसीआर में सबसे ज़्यादा मामले हैं। जेंडर के आधार पर, जंक फूड, शराब और धूम्रपान का अत्यधिक सेवन करने वाले पुरुषों को स्ट्रोक का उच्च जोखिम रहता है, जबकि महिलाओं में मेनोपॉज यानी पीरियड बंद होने के बाद अधिक जोखिम रहता है। मोटापा, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, अत्यधिक जंक फूड का सेवन, उच्च कोलेस्ट्रॉल, शराब का सेवन और धूम्रपान भी स्ट्रोक के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं। भारत में स्ट्रोक के लगभग 15% मामले 40 वर्ष से कम आयु के युवाओं में होते हैं। इसके अलावा, वर्तमान में, दिल्ली एनसीआर में अत्यधिक वायु प्रदूषण के कारण स्ट्रोक के मामले बढ़ रहे हैं।

स्ट्रोक होने पर ‘सही उपचार के लिए सही समय पर सही हॉस्पिटल में पहुंचना’ बहुत जरूरी है। स्ट्रोक से होने वाली मौतों में वृद्धि और तुरंत कार्रवाई के बारे में जागरूकता की कमी के कारण, हेल्थकेयर इंडस्ट्री लोगों की जान जाते हुए देख रही है जबकि ‘गोल्डन ऑवर’ के दौरान समय पर इलाज मिलने से मृत्यु या विकलांगता को टाला जा सकता है। नेटवर्क को मजबूत करने और नर्सिंग होम, नर्सों एवं सहायक कर्मचारियों को तैयार करने के लिए, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स ने स्ट्रोकोलॉजिस्ट कार्यक्रम शुरू किया है, जिसका उद्देश्य फिजिशियन, क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट और आईसीयू और ईआर डॉक्टरों के समुदाय को प्रशिक्षित करना है और स्ट्रोक रोगी के उनकी देखभाल में आते ही समय पर डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट के लिए कौशल प्रदान करना है। कार्यक्रम का नेतृत्व न्यूरोलॉजी विभाग के क्लीनिकल डायरेक्टर एवं एचओडी तथा स्ट्रोकोलॉजिस्ट प्रोग्राम के डायरेक्टर डॉ. कुणाल बहरानी द्वारा किया जा रहा है।
न्यूरोसाइंसेस में एक अच्छी तरह से कुशल टीम के साथ, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स सर्वश्रेष्ठ न्यूरो फिजिशियन, न्यूरो सर्जन और न्यूरो रेडियोलॉजिस्ट की चिकित्सा विशेषज्ञता, सर्वश्रेष्ठ न्यूरो कैथ लैब में से एक और सर्वश्रेष्ठ स्ट्रोक एम्बुलेंस प्रदान करता है, जो संकट कॉल का जवाब देकर सबसे कम समय मात्र 15 मिनट में रोगी के पास पहुंच जाती है। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स का सिद्धांत है ‘हम स्ट्रोक का इलाज और नियंत्रण ऐसे करते हैं जैसा कोई नहीं करता’। प्रत्येक बैच में 50-60 से अधिक डॉक्टरों और नर्सिंग होम के नेटवर्क की भागीदारी के साथ, एडवांस्ड ज्ञान के संदर्भ में तकनीक का लाभ उठाने के लिए प्रशिक्षित,डॉक्टर और सहायक कर्मचारी भी अधिक से अधिक जिंदगी बचाने के लिए मरीजों को विशेषज्ञता प्रदान करने के लिए ज्ञान का लाभ उठाएंगे। मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स की न्यूरोसाइंसेस की टीम डॉक्टरों और नर्सों को बैचों में प्रशिक्षित और प्रमाणित करेगी। यह निश्चित है कि देश भर के डॉक्टर स्ट्रोक के रोगियों में विकलांगता या मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी लाने की बात पर अमल करेंगे। एडवांस्ड तकनीक डॉक्टरों की शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और उन्हें गंभीर स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया के लिए उपकरणों से सशक्त बनाएगी। नेटवर्क में शामिल डॉक्टरों की कम्युनिटी इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रमाणित किसी भी डॉक्टर के पास आने वाले प्रत्येक मरीज के लिए एक कनेक्टर्स का काम करेगा, क्योंकि इससे अधिक से अधिक लोगों की जिंदगी बचाने में अत्यधिक और महत्वपूर्ण सहायता मिलेगी।क्लिनिकल डायरेक्टर एवं एचओडी, न्यूरोलॉजी विभाग, तथा स्ट्रोकोलॉजिस्ट कार्यक्रम के डायरेक्टर डॉ. कुणाल बहरानी कहते हैं, “स्ट्रोक युवाओं को तेजी से प्रभावित कर रहा है, जिससे यह धारणा चुनौती बन गई है कि यह मुख्य रूप से बुजुर्ग लोगों को प्रभावित करता है। दुःख की बात यह है कि अक्सर महत्वपूर्ण समय सीमा के भीतर चिकित्सा देखभाल न मिलने के कारण लोगों की जान चली जाती है। इस पहल का उद्देश्य डॉक्टरों को गोल्डन आवर के अंदर थ्रोम्बोलिसिस करने के लिए शिक्षित और सुसज्जित करना है। ऐसा करने से, यह न केवल चिकित्सा पेशेवरों को स्ट्रोक के मामलों के प्रबंधन में कुशल के रूप में प्रमाणित करता है, बल्कि स्कैन की सटीक व्याख्या करने और उचित दवाएं देने की उनकी क्षमता को भी बढ़ाता है। हम फरीदाबाद और उसके बाहर नर्सिंग होम के साथ एक हब-एंड-स्पोक नेटवर्क स्थापित कर रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक प्राथमिक स्ट्रोक केंद्र में एडवांस्ड तकनीक से सुसज्जित हो, जिससे विकलांगता को रोकने और स्ट्रोक के मामलों में जीवन बचाने के लिए तुरंत इलाज किया जा सके।”मैनेजिंग डायरेक्टर एवं ग्रुप सीईओ डॉ.राजीव सिंघल ने कहा, “हमारे “रोगी पहले” के दृष्टिकोण में, हर जीवन मायने रखता है, हर मिनट मायने रखता है। समय पर इलाज होना महत्वपूर्ण है, क्योंकि स्ट्रोक से प्रति मिनट लगभग दो मिलियन मस्तिष्क कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। स्ट्रोकोलॉजिस्ट कार्यक्रम का उद्देश्य डॉक्टरों द्वारा तुरंत चिकित्सा प्रतिक्रिया को बढ़ावा देना तथा चिकित्सकों एवं आम जन के बीच सामाजिक जागरूकता बढ़ाना है। नर्सिंग होम के पूरे नेट वर्क के माध्यम से,हमारी पहल एडवांस्ड तकनीक की शुरुआत करती है और डॉक्टरों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान करती है, ताकि इन सुविधाओं को उच्च डायग्नोस्टिक सटीकता के साथ स्ट्रोक केंद्रों में परिवर्तित किया जा सके। हमारा मिशन फरीदाबाद के हर कोने में, और यहां तक कि हरियाणा राज्य में भी, बड़े स्तर पर स्ट्रोक देखभाल का विस्तार करना है, जिसका उद्देश्य जानलेवा और विकलांगता पैदा करने वाले परिणामों को कम करना है। अत्याधुनिक तकनीक को सहानुभूतिपूर्ण देखभाल के साथ जोड़कर, हम महत्वपूर्ण ‘गोल्डन ऑवर’ के भीतर उपचार में तेजी लाने का प्रयास करते हैं। लगभग तीन दशकों से उच्च-स्तरीय थक्का-नाशक दवाओं की उपलब्धता के बावजूद,केवल दो प्रतिशत स्ट्रोक रोगियों को ही ये दवाएं मिल पाती हैं। हमारा कार्यक्रम इन दवाओं के प्रभाव को समझने में डॉक्टरों की विशेषज्ञता को बढ़ाने पर केंद्रित है, तथा यह सुनिश्चित करता है कि विकलांगता या मृत्यु जैसी जटिलताओं को रोकने के लिए इन्हें प्रभावी ढंग से दिया जाए। निरंतर और नियमित प्रशिक्षण के माध्यम से, हमारा लक्ष्य अधिक डॉक्टरों को सशक्त बनाना और पूरे क्षेत्र में स्ट्रोक देखभाल स्टैण्डर्ड को ऊंचा उठाना है।”फैसिलिटी डायरेक्टर सत्यम धीरज कहते हैं, “हमारा मानना है कि मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स स्ट्रोक के डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट में एक नया स्टैण्डर्ड स्थापित करेगा। एक हेल्थ केयर प्रोवाइडर के रूप में, हमने विभिन्न विशेषज्ञताओं में सुलभ और उच्च स्तरीय उपचार समाधान सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हमारा लक्ष्य देश भर में अधिक से अधिक डॉक्टरों को प्रशिक्षित और प्रमाणित करना है ताकि देश में विकलांगता और मृत्यु दर को जितना संभवत कम किया जा सके। स्ट्रोक देखभाल और नियंत्रण की इस पहल में हमारे साथ जुड़ने वाले डॉक्टर समाज को बेहतर स्वास्थ्य की ओर ले जाने में हमारे साथ भागीदार होंगे।” प्रतिदिन लगभग 4000 स्ट्रोक के मामले सामने आते हैं, जिनमें से 2 से 3 प्रतिशत का भी इलाज नहीं हो पाता। वर्तमान में विश्व भर में स्ट्रोक के 60 प्रतिशत रोगी भारत में हैं। 4 में से 1 से भी कम भारतीय स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में जानते हैं। हर साल लगभग तीन मिलियन लोग स्ट्रोक के कारण मरते हैं। विश्व स्तर पर स्ट्रोक से होने वाली सभी मौतों में से लगभग 6% 15-49 वर्ष की आयु के लोगों में होती हैं। 69 मिलियन लोग ऐसे हैं जिन्हें स्ट्रोक का अनुभव हुआ है। हर साल स्ट्रोक के कारण विकलांगता और मृत्यु के कारण 143 मिलियन से ज्यादा स्वस्थ लोगों की जान चली जाती है। चार में से एक व्यक्ति को स्ट्रोक होने का खतरा है। अब समय आ गया है कि जागरूकता लोगों को ऐसी परिस्थितियों में तुरंत प्रतिक्रिया करने के लिए सक्षम बनाए।

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