अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद:सीजेएम कम सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती सुकिर्ती गोयल ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा जारी हिदायतों के अनुसार राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से आगामी 13 मई को न्यायिक परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। परिवादी इस राष्ट्रीय लोक अदालत में सुलह व समझौते के लिए स्वयं या अपने अधिवक्ता के माध्यम से अपने केसों का निस्तारण राजीनामा करके करा सकते हैं।सीजेएम सुकिर्ती विस्तृत जानकारी देते हुए आगे बताया कि न्यायालय में लंबित मामलों को परस्पर सहयोग व सौहार्दपूर्ण माध्यम से निपटाने के लिए पिछले लगभग 15 वर्षों से राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति का कोई मामला न्यायालय में लंबित है, वह आपसी सहमति सुलह करके राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से उसका निपटारा करवा सकता है।
सीजेएम कम जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव सुकिर्ती गोयल ने विभिन्न अदालतों में विचाराधीन केसों से सम्बंधित लोगों से अपील करते हुए कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत में आपसी समझौते करके केसों के निपटान करवा कर समाज में भाईचारा बढ़ाने के भागीदार बनें। वहीं इससे धन और समय की भी बचत होती है और समाज में भाईचारे की भावना भी बढ़ती है। उन्होंने आगे बताया कि लोक अदालत में दोनों पक्षों की आपसी सहमति व राजीनामे से सौहार्दपूर्ण वातावरण में पक्षकारों की रजामंदी से विवाद निपटाया जाता है। सीजेएम सुकिर्ती गोयल ने कहा कि कानूनी रूप से राष्ट्रीय लोक अदालत में सुलह किए गए केसों का भी अन्य केसों के बराबरी ही होती है। इससे शीघ्र व सुलभ न्याय, कहीं कोई अपील नहीं होती।
अंतिम रूप से निपटारा, समय की बचत जैसे लाभ मिलते हैं।राष्ट्रीय लोक अदालत में कारगर सिद्ध होती है इन केसों की सुनवाई की किसी भी ऊपरी अदालत में अपील नहीं की जा सकती है।
राष्ट्रीय लोक अदालत में ये केस होते हैं सुलह:-
सीजेएम सुकिर्ती गोयल ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में बैंक लोन से संबंधित मामले, मोटर एक्सीडेंट, एनआई एक्ट, फौजदारी, रेवेन्यू, वैवाहिक विवाद का निपटारा किया जाता है।वहीं आपसी सहमति से हल होने वाले मामलों में लोक अदालत बहुत ही कारगर सिद्ध हो रही हैं और लोक अदालत में सुनाए गए फैसले की भी उतनी ही अहमियत है जितनी सामान्य अदालत में सुनाए गए फैसले की होती है। उन्होंने यह भी बताया कि लोक अदालत में सुनाए गए फैसले के खिलाफ अपील दायर नहीं की जा सकती। लोक अदालत में सस्ता और सुलभ न्याय मिलता है। इन राष्ट्रीय लोक अदालतों के माध्यम से लोगों का बिना समय व पैसा गवाएं केसों का समाधान किया जाता है। राष्ट्रीय लोक अदालतों में ना तो किसी पक्ष की हार होती है और ना ही जीत बल्कि दोनों पक्षों की आपसी सहमति से विवादों का समाधान करवाया जाता है।