अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: एसएसबी अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने आज 124 किलो की महिला के एक साथ तीन सफल ऑपरेशन कर उसे नया जीवन देने का काम किया है। अस्पताल के वरिष्ठ लैप्रोस्कोपिक सर्जन डा. सचिन मित्तल व उनकी टीम ने ऑपरेशन किए। महिला को मोटापे के साथ ओएसए (नींद में सांस की दिक्कत), पित्त की थैली, पथरी, हर्निया की शिकायत भी थी। डा. सचिन मित्तल द्वारा तीनों आप्रेशन मोटापा, पित्त की थैली, हर्निया के लैप्रोस्कोपिक विधि के साथ किए। इतने वजन वाले मरीज में तीन ऑपरेशन एक साथ करना काफी मुश्किल रहता है, जिसे एसएसबी अस्पताल में सफलतापूर्वक किया गया। सर्जरी के बाद मरीज को ऑपरेशन वाले दिन ही चला दिया गया और पीने की चीजें शुरू कर दी। सर्जरी के तीन दिन बाद मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया।
एसएसबी अस्पताल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डा. एस.एस. बंसल ने इस सफल सर्जरी पर डा. सचिन व उनकी टीम को बधाई देते हुए कहा कि एसएसबी अस्पताल का उद्देश्य एक ही छत के नहीं मरीजों को बेहतर और आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाना है। गौरतलब है कि आजकल मोटापे की समस्या लोगों में सामान्य हो गई है, जिसका मुख्य कारण गलत खान-पान व व्यायाम आदि नहीं करना होता है। जब मरीज का बॉडी मास इंडेक्स 35 से ज्यादा हो जाता है, तब से मोरबिड ओबेसिटी कहा जाता है। साथ में ऐसे मरीज को डायबिटीज, बीपी, ओएसए, ज्वाइंट पेन, हार्ट से संबंधित समस्याएं भी रहती हैं। मोरबिड ओबेसिटी वाले मरीजों को मोटापा कम करने की सर्जरी की जरूरत पड़ती है। इस सर्जरी से ना केवल वजन कम होता है बल्कि बीपी, थायराइड, ओएसए, इनफर्टिलिटी, जोड़ों में दर्द आदि समस्याएं भी ठीक हो जाती हैं। भविष्य में दिल और दिमाग का दौरा पड़ने का रिस्क भी कम हो जाता है। यह सर्जरी दूरबीन विधि से की जाती है, जिसमें एक सेंटीमीटर और उससे कम के चार से पांच कट लगते है। छोटे चीरों की वजह से मरीजों को ऑपरेशन के बाद दर्द नहीं होता है तथा उसी दिन से उन्हें चला दिया जाता है। ऑपरेशन के बाद मरीजों को थोड़े समय तक डॉक्टर की सलाह के अनुसार विशेष डाइट प्लान फॉलो करना पड़ता है। मोटा सर्जरी सामान्य स्लीव गेस्ट्रोक्टॉमी व बाईपास विधि के ऑपरेशन होते हैं, जिसका निर्णय मरीज के बीएमआई एवं अन्य संबंधित बीमारियों के आधार पर लिया जाता है। स्लीव गेस्ट्रोक्टॉमी में मरीज के पेट का साइज छोटा कर दिया जाता है तथा बाईपास में पेट का साइज छोटा करने के साथ-साथ आंतों का बाईपास होता है।
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