अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
देश भर में कोरोना महामारी के हाहा कार के बीच में ही जहां मजदूर वर्ग के अपने रोज़गार छीन जाने एवं भूख को लेकर परेशान है किंतु फिर से अब उनके आवास की समस्या उठ खड़ी हुई है। खोरी गांव में कई लंबे समय से तोड़ फोड़ का कार्य नगर निगम फरीदाबाद द्वारा चलाया जा रहा है। आज फिर से सुप्रीम कोर्ट ने सरीना सरकार एंड अदर्स बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा मामले में खोरी गांव के मजदूर वर्ग के परिवारों को हटाने का आदेश दिया है।
बंधुआ मुक्ति मोर्चा, महासचिव निर्मल गोराना ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से लगभग बीस हज़ार घरों में रहने वाले एक लाख से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे। कोरोना महामारी की इस दूसरी लहर से परेशान ये समस्त लोग ऐसे हालात में कहा जाएंगें। जबकि कोरोना की तीसरी लहर कभी भी अपना प्रकोप दिखा सकती है। ये लोग कौन है ? कहा से आते है और क्यों आते है? यह सब सरकार को पता है । गांवों से नगरों की तरफ रोजगार की तलाश में आए फिर शहर में बसे ये लोग आखिर आवास के लिए आज भी मोहताज क्यों है ? जबकि शहर के विकास में इनका भी योगदान है।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है जिसकी अनुपालन राज्य सरकार को करनी चाहिए किंतु राज्य सरकार पहले अपने दायित्व को समझे और अपनी भूमिका का भी निर्वाह करे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार छः सप्ताह में सभी परिवारों को बेदखल करे किंतु सरकार को तत्काल अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए पहले 2 सप्ताह में सभी परिवारों को अस्थाई पुनर्वास प्रदान करना चाहिए। इन जीते जागते इंसानों के प्रति भी राज्य की अपनी भूमिका है। संगठन राज्य सरकार से अपील करता है की खोरी गांव के समस्त परिवारों को पुनर्वास दे। साथ ही स्लम ड्वेलर्स के पुनर्वास हेतु कट ऑफ डेट में परिवर्तन कर तेलंगाना एवं दिल्ली के मॉडल के अनुरूप कट ऑफ डेट का प्रावधान लागू करे।
Related posts
0
0
votes
Article Rating
Subscribe
Login
0 Comments
Oldest
Newest
Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments