अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: नेशनल आई एम ए और स्टेट आई एम ए के आवाहन पर पूरे भारत में मिक्सौपैथी के खिलाफ एक जंग का आह्वान किया गया है। इसके तहत 1 फरवरी से 15 फरवरी तक भिन्न भिन्न प्रकार के आंदोलन किए जाएंगे। 2 फरवरी और 9 फरवरी को जगह-जगह पर कैंडल मार्च का आयोजन किया जाएगा 6 और 7 फरवरी को दिल्ली चलो का आयोजन किया जाएगा और दिल्ली आई एम ए हेड क्वार्टर पर डॉक्टर भूख हड़ताल पर बैठेंगे।इसके अलावा पूरे भारत में कई जगह-जगह दो 2 घंटे की ओपीडी को बंद करने का भी आयोजन किया जा रहा है।
डॉ सुरेश अरोड़ा और डॉ पुनीता हसीजा ने बताया कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है अभी नवंबर में भारत सरकार ने एक नई पॉलिसी बनाई है जिसके तहत आयुर्वेद के डॉक्टरों को डिग्री देकर भिन्न भिन्न प्रकार की सर्जरी करने की अनुमति प्रदान की जाएगी। डॉ करन पुनिया, स्टेट प्रेसिडेंट हरियाणा का कहना है कि हमारा यह मानना है कि इस प्रकार की अनुमति देने से मरीजों को नुकसान होने की संभावना है। एलोपैथी में जो सर्जरी डॉक्टर को एमबी बीएस और उसके बाद 3 साल की एमएस की डिग्री करने के बाद भी कुछ और समय के एक्सपीरियंस के बाद करनी आती है, ऐसी सर्जरी करने के लिए अगर आयुर्वेद के डॉक्टर को अनुमति दी जाती है, तो यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है हम इसका विरोध करते हैं। यहां पर यह समझना भी बहुत मुश्किल है, कि आयुर्वेद की पद्धति में अगर एलोपैथिक सर्जरी कराई जाएंगी तो इसमें बेहोश करने की व्यवस्था कैसे होगी व ऑपरेशन करने के लिए दवाएं कौन से इस्तेमाल की जाएंगी वह उन दवाओं की जानकारी इन डॉक्टरों को कैसे दी जाएगी।
हम यहां पर यह बताना चाहते है कि आइ एम ए किसी पद्धति के खिलाफ नहीं है। हमारा यह मानना है कि आयुर्वेद, होम्योपैथी ,यूनानी व अन्य पद्धति अपने हिसाब से बहुत ही अच्छी पद्धतियां हैं ।हम चाहते हैं कि वह अपने विज्ञान को अच्छी तरह चलाएं, उसमें रिसर्चस करें और आगे बढ़े ।लेकिन एलोपैथी के अंदर इनका कोई मिश्रण नहीं किया जाना। चाहिए इससे दोनों ही पद्धतियों में खराबी होगी और इसके परिणाम दुर्भाग्यपूर्ण होंगे ।आगे आने वाली जेनरेशंस के डॉक्टर और आम जनता के लिए यह स्थिति बहुत ही खराब है। हम सरकार से अपील करते हैं कि जल्द से जल्द इस पॉलिसी को वापस ले।