अजीत सिन्हा की रिपोर्ट फरीदाबाद:भारत के किसानों की आमदनी कम होने का कारण भारतीय किसानों की लैंड होल्डिंग साइज एक हेक्टेयर के आसपास होना है जबकि विकसित देश अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया की तुलना में बहुत ही कम है यह बात दिल्ली स्थित भारतीय विदेश व्यापार संस्थान के सह-आचार्य प्रोफ़ेसर सचिन कुमार शर्मा ने फ़रीदाबाद पंचनद शोध केंद्र द्वारा आयोजित ‘कृषि के भविष्य पर विश्व व्यापार संगठन और भारत की चिंता’ नामक ई-संगोष्ठी में विषय विशेषज्ञ के रूप में कही उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका मेंकिसानों का लैंड होल्डिंग साइज 180 हेक्टेयर के आसपास है वही ऑस्ट्रेलिया में 4000 हेक्टेयर के आसपास है जिस कारण भारत का किसान इन देशों के किसानों के उत्पाद का मुकाबला नहीं कर पा रहा है और उसकी फसल का उत्पादन मूल्य बढ़ता जा रहा है फलस्वरूप वह अक्सर घाटे में अपनी फसल बेचने को मजबूर हो जाता है।
ऐसे में सरकारी मदद से वह अपनी आमदनी सुरक्षित कर पाता है। जिस कारण भारत अक्सर विश्व व्यापार संगठन में इन विकसित देशों के निशाने पर रहता है मुख्य वक्ताप्रोफेसर सचिन शर्मा ने आगे कहा कि भारत के किसानों के आर्थिक पिछड़ेपन का एक अन्य कारण उनकी फसल का उन्हें मूल्य नहीं मिलना है। कभी-कभी जब उनकी फसल ज्यादा अच्छी हो जाती है तो वे अपनी फसल का मार्केटिंग नहीं कर पाते हैं और उनको प्राइस फ्लकचुएशन से दो-चार होना पड़ता है। परेशान किसान फसल का अच्छा उत्पादन होने के बावजूद फसल को सड़कों पर फेंक देता हैं। ऐसे में सरकार की ज़िम्मेदारी हो भी बढ़ जाती है प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि हर देश स्थिति के अनुसार अपने किसानों की आमदनी को सुरक्षित करने के लिए पॉलिसी बनता है अब वह चाहे अमेरिका हो या यूरोप हो या फिर पाकिस्तान हो या बांग्लादेश हो या फिर अफ्रीकन देश या भारत ।
कोई भी देश अपने किसानों को मार्केट फोर्सेज पर नहीं छोड़ सकता है और उनको सुरक्षित करने के लिए कोई ना कोई सपोर्ट सिस्टम किसानों को देते हैं। देखिए वर्तमान भारत सरकारयानि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पिछले टाइम में एमएसपी बहुत ज्यादा प्रमोट किया है जिसके तहत सरकार हर साल हर फसल का मिनिमम सपोर्ट प्राइस अनाउंस करती है जिसमें यह होता है कि जो फसल का मार्केट मूल्य है अगर वह फिक्स प्राइस से नीचे आ जाता है तो किसान अपनी फसल सरकार को बेच सकते हैं ।इससे किसान को नुकसान से बचाया जा सकता है । उन्होंने आगे कहा कि भारतीय किसान विश्व में सबसे अच्छी स्थिति में है जिसका पूरा श्रेय भारत सरकार को जाता है जो विश्व व्यापार संगठन में विकसित देशों का विरोध को दरकिनार करते हुए अपने किसानों को विश्व स्तर पर लाने के लिए लगातार किसानों की अनेको प्रकार से मदद कर रही है।संगोष्ठी की अध्यक्षता पंचनद शोध संस्थान एवं हरियाणा उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर बृज किशोर कुठियाला ने की उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि विश्व के विकसित देश भारतीय किसान कोविकसित नहीं देखना चाहते है तभी अक्सर अमेरिका, ब्रिटेन आदि विश्व व्यापार संगठन में भारतीय किसानों को दी जाने वाली सरकारी मदद का विरोध करते रहते है तथा उसकोपूर्ण रूप से बंद करने की मांग करते रहते है। इस अवसर पर फ़रीदाबाद पंचनद शोध केंद्र की अध्यक्ष प्रोफेसर सविता भगत ने कहा कि विश्व व्यापार संगठनमें विकसित देशों का कब्जा है जो ‘जिसकी लाठी, उसकी भैंस’ वाली नीति अपना विकासशील देशों के किसानो के हितो को अनदेखा कर अपने हिसाब से फैसले कर लेते है जिसका नुकसान गरीब और विकासशील देशों के किसानों को झेलना पड़ता है।संगोष्ठी में देश के कई जाने-माने शिक्षण संस्थानों के 60 अधिक शिक्षकों एवं छात्रों ने भाग लिया। इस अवसर पर श्रोताओं ने विषय विशेषज्ञ से भारतीय कृषि एवं किसानों की स्थिति से जुड़े सवाल भी किए। गौरतलब है कि पंचनद शोध केंद्र जनजागृति लाने के समसामयिक विषयों पर हर माह संगोष्ठी आयोजित करता है।इसी कड़ी में केंद्र अब तक 50 से अधिक संगोष्ठी आयोजित कर चुका है।
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