अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: ईश्वर ने ये जिंदगी दी हैं, जीने के लिए और इस जिंदगी को जीने का समय भी निश्चित हैं, इससे साफ़ जाहिर हैं कि इस दुनिया में आए हैं तो एक ना एक दिन इस संसार जाना निश्चित हैं। इस बीच में अच्छे जिंदगी जीने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता हैं। तब जाकर के अच्छे जीवन जीने के लिए एक साघन जुटा पाते हैं और अपने समाज, अपने शहर, अपने प्रदेश व अपने देश में अपना नाम और अपने देश का नाम रोशन कर पाते हैं। यानी आप साफ़ तौर पर कह सकते हैं कि लम्बें संघर्ष, लम्बें त्याग -तपस्या के बाद ही किसी भी इंसान को कोई मुकाम मिलता हैं पर फरीदाबाद की ग्रीन फिल्ड कालोनी में एक ऐसा पॉकेट हैं जहां पर मामूली बात पर बाप-बेटे पर लात घूसों की बरसात कर उनकी जमकर पिटाई कर देते हैं। और ये सारा वाक्या वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो जाती हैं और इस वीडियो का वायरल करने का सिलसिला शुरू जाता हैं। झगड़ा हो पुलिस मौके पर ना पहुंचे, ऐसा कभी नहीं हो सकता हैं। और पुलिस पहुंची और मामला ग्रीन फिल्ड पुलिस चौकी में पहुंच गई।
वहां दोनों पक्षों के लोग भी पहुंचे और पुलिस ने दोनों पक्षों को सुना और दोनों पक्षों का आपस में समझौता हो गया हैं। इस फैसले से असंतुष्ट अविनाश कुंद्रा की बेटी इशिका एक शिकायत पुलिस कमिश्नर ओ. पी सिंह को देती हैं और सूरजकुंड थाने में आधा दर्जन से अधिक आरोपितों के खिलाफ में भारतीय दंड सहिंता की धारा 147,149 , 323 व 506 के तहत, दिनांक 13 जून 2021 को दर्ज कर लिया जाता हैं। इस मामले में ग्रीन फिल्ड पुलिस चौकी इंचार्ज विष्णु मित्र का कहना हैं कि उनकी ड्यूटी इस वक़्त सूरजकुंड के निकट खोरी गांव में लगी हुई हैं जहां सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तोड़फोड़ होना हैं। इस कारण से इस केस में किसी भी आरोपितों को अभी अरेस्ट नहीं किया गया है। यहां से जब भी वह फ्री होंगें तो सभी आरोपितों को निश्चित तौर पर अरेस्ट किया जाएगा।
अविनाश कुंद्रा बतातें हैं कि फरीदाबाद के ग्रीन फिल्ड कालोनी के गेट नंबर -15 के अंदर में एक व्हाइट नाम की एक बिल्डिंग हैं जिसका नंबर – 4066 -बी है। उनका दिल्ली के ओखला में प्रिंटिंग प्रेस हैं और इस कंपनी में वह निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। इस व्हाइट बिल्डिंग में वह ग्राऊंड फ्लोर के फ्लैट में रहते हैं। इस फ्लैट में वह लोग दिल्ली से वर्ष 1 मई 2016 को शिफ्ट हुए थे। उनके परिवार में कुल चार लोग हैं। जिनमें उनकी पत्नी कमलेश, उम्र 42 साल,बेटी इशिका , उम्र 18 साल, बेटा मयंक कुंद्रा , उम्र 13 साल, शामिल हैं। उनका कहना हैं कि अपने फ्लैट में लगभग 5 साल से परिवार के संग रह रहे हैं। इसके बाद से ही वह लोग अपने फ्लैट सड़क पर झाड़ू लगा कर सफाई करते हुए आ रहे हैं। पर लगभग ढेड़ साल पहले धर्मेंद्र बिधूड़ी दिल्ली से इस पॉकेट के एक फ्लैट में शिफ्ट हुए हैं।
इसके थोड़ी दिनों के बाद से ही ये लोग जमीन कब्ज़ा करने की नियत से तुलसी गार्डन बना दिया जोकि सड़क के किनारे हैं जिसमें तार फैंसिंग करके उनमें छोटे-छोटे पेड़-पौधे लगा दिए हैं। उनका कहना हैं कि जमीन कब्ज़ा करने की शिकायत सबसे पहले उन्होनें बीते 5 मई 2021 को इलाके के रेजिडेंट वैलफेयर एसोसिएशन से की, इसके बाद उन्होनें दूसरी शिकायत बीते 15 मई 2021 अर्बन इम्प्रोवमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (यूआईसी ) में की थी। उनका कहना हैं कि इन दोनों स्थानों पर शिकायत देने का कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद धर्मेंद्र बिधूड़ी, राजेश अरोड़ा, अनिल चौधरी व अन्य 3-4 लोगों ने उनके और उनके नाबालिंग बेटे मयंक के ऊपर हमला कर दिया। और इस हमले में लात घूसों की बरसात की गई । मारपीट का ये सारा वाक़्या वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई।
उनका कहना हैं कि इस मारपीट की शिकायत उन्होनें ग्रीन फिल्ड कालोनी पुलिस चौकी में की, इसके बाद घटना स्थल पर पुलिस पहुंच गई। और घटना स्थल पर दोनों पक्षों की बातें सुनने के बाद पुलिस चौकी पहुंच गए और घंटों तक पुलिस ने दोनों पक्षों की बातें सुनी, इसके बाद दोनों पक्षों का आपस में समझौता हो गई। उनका कहना हैं कि उनकी बेटी इशिका ने अपने पिता अविनाश कुंद्रा और छोटे भाई मयंक कुंद्रा को पीटते हुए देख उसका मन नहीं माना और आरोपितों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो इस बात की एक शिकायत पुलिस कमिश्नर ओ पी सिंह को सेक्टर -21 सी, फरीदाबाद कार्यालय में दी। जिस पर एक मुकदमा सभी आरोपितों के खिलाफ सूरजकुंड थाने दर्ज हो गई। इस मामले में ग्रीन फिल्ड कालोनी पुलिस चौकी के इंचार्ज विष्णु मित्र का कहना हैं कि इस केस में अभी किसी भी आरोपितों को अरेस्ट नहीं किया गया हैं। क्यूंकि उनकी डयूटी खोरी गांव में लगी हुई जहां पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तोड़फोड़ होना हैं। उधर, धर्मेंद्र बिधूड़ी का कहना हैं कि जिस दिन झगड़ा हुआ था उस दिन वह तो घटना स्थल पर थे ही नहीं, फिर भी उनका नाम दर्ज एफआईआर में दे दिया गया।
ये जो झगड़ा हुआ था जमीन कब्ज़ा करने के ऊपर और झाड़ू लगाने व साफ़ सफाई करने के ऊपर नहीं हुआ हैं। इन सभी शब्दों को सिर्फ लोगों और कानून को गुमराह करने के लिए किया जा रहा हैं। असल में वजह कोई और हैं। झगड़े की वजह चाहे कोई भी हो, ये तो पुलिस की जांच में सच सामने अवश्य आ जाएगी। क्या पड़ोस में रहने वाले लोगों को इस तरह से झगड़ा करना उचित हैं,क्या लोग इंसानियत को सिर्फ मजाक बना दिया हैं। ऐसे लोगों को उनलोगों से पूछना चाहिए जिन लोगों ने कोरोना महामारी में अपनों को खोया हैं, अब उनकी और उनके परिवार की हालात क्या हैं। जरा उन से पूछ कर तो देखों। इस कोरोना महामारी जो लोग जीवित रह गए हैं समझों को उनकों एक नई जिंदगी मिली हैं। ऐसे में पड़ोसियों को जानवरों की तरह मार पीट करना क्या पढ़े लिखे लोगों को ये शोभा देता हैं। लोगों को चाहिए की पहले अपने घर के वातावरण को सुंदर बनाए, फिर अपने गली महल्लों का वातावरण सुंदर बनाए, फिर समाज और शहर , प्रदेश व देश के वातावरण बहुत ही सुंदर बनाए।
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