अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: हरियाणा में रजिस्ट्री एक बहुत बड़ी जंजाल बन कर रह गई हैं। प्रोपट्री और बिल्डरों को पहले तो दो महीने तक लगे लॉकडाउन ने डुबों दिया। इसके बाद ग्रीन फिल्ड कालोनी में गिने चुने कोरोना संक्रमित केसों के मिलने के कारण कंटेनमेंट जोन होने के कारण लगभग 437 एकड़ का पूरा एरिया बिल्कुल बंद कर दिया गया। जब उनकी इस ग्रीन फिल्ड कालोनी को कंटेनमेंट जोन से मुक्ति मिली तो मजदूरों की कमियों से जूझते रहने। जो मजदूर उस दौरान मिले तो उन्हें डबल मजदूरी देनी पड़ी. उनकी मजदूरी डबल हो गई। मामला यही नहीं थमा।
इसके बाद कभी हरियाणा सरकार ने बॉर्डर को सील किया, कभी दिल्ली सरकार ने बॉर्डर को सील किया। कभी उत्तरप्रदेश सरकार ने बॉर्डर को सील कर दिया। इस समस्याओं के कारण से बिल्डिंग से जुड़े सभी सामग्रियों की जिले में कमियां होने लगी। ऐसे हालत में बिल्डिंग से जुडी सभी सामग्रियों की कीमत बढ़ना लाजमी हैं, कीमत भी दोगुनी- तीनगुनी हो गई होगी। प्रॉपर्टी एंव बिल्डर कारोबारी इन सभी दिक्कतों से बुरी तरह से जूझते चले गए। जब हालात जरा सामान्य होने लगी तो रजिस्ट्री को बंद कर दिया। पता करने पर मालूम हुआ कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सॉफ्टवेयर में बदलाव किया जा रहा हैं। इसके लिए भी प्रॉपर्टी एंव बिल्डरों को लगभग एक महीने तक और खामोश रहना पड़ा। इस सभी दिक्कतों को झेलते हुए लगभग पांच महीने बीत गए। अब तो प्रॉपर्टी एंव बिल्डरों की हालत बहुत ज्यादा ख़राब हो चुकी हैं। यहां के सभी बिल्डर कर्ज के नीचे दबते ही चले जा रहे हैं। अब तो उनके खुशियों में एक तरह से आग लग चुकी हैं। सरकार के एक के बाद एक तुरंत लिए गए किसी भी निर्णय का आमजनों पर कितना ज्यादा असर पड़ता हैं। ये फैसले लेने वाले लोग कभी नहीं सोचते। सरकार के इस रवैये और लेटलतीफी के कारण अब शहर के लगभग सभी बिल्डर डिप्रेशन हैं।
उनका तो अब अपने कार्यालय पर बैठना बहुत ही ज्यादा मुश्किल हो गया हैं क्यूंकि कभी रजिस्ट्री करवाने वाले लोग जान खाने आने लगे हैं, कभी ईट वाले, कभी सीमेंट वाले , कभी सरिया वाले, कभी पत्थर वाले, कभी ठेकेदार लोग पैसे मांगने आते रहते हैं और पैसे उनके पास अब बिल्कुल खत्म हो चुके हैं। यहां के बिल्डर बुरी तरह से कर्ज के नीचे दबे हुए हैं। इस मामले में ग्रीन फिल्ड कालोनी प्रॉपर्टी एंव बिल्डर एसोसिएशन के प्रधान आकाश गुप्ता व उमा शंकर गर्ग का कहना हैं कि हाल में जब रजिस्ट्री खुलने की खबर आई तो जैसे की प्रॉपर्टी एंव बिल्डरों की लॉटरी निकल गई हो , वह ये समझ बैठे की रजिस्ट्री खुलने से उनकी कुछ हद तक मुश्किलें कम हो जाएगी। असल में सरकार की तरफ से जो खबरें आई दरअसल में प्रॉपर्टी व बिल्डरों के लिए बहुत बड़ी समस्या बन कर आई हैं। इस वक़्त एक भी लाइसेंस वाली कालोनियों में एक भी रजिस्ट्री नहीं हो पा रहीं हैं। उनका कहना हैं कि बदलाव किए गए सॉफ्टवेयर में इतने ज्यादा नए नोम्स जोड़े गए हैं। जिससे कोई भी शख्स जल्दी से पूरा नहीं कर सकता हैं। आमजनों को ऐसा लगने लगेगा की प्रॉपर्टी खरीदना एक बहुत बड़ा श्राप हैं। सरकार को भ्र्ष्टाचार रोकना ही था तो अवैध कालोनियों की रजिस्ट्री को बंद कर देते जहां पर गड़बड़ झाला अक्सर होता रहता था।
इन बिल्डरों ने बताया कि जल्द से जल्द सरकार रजिस्ट्री वाले सॉफ्टवेयर को ठीक करें क्यूंकि सिर्फ प्रॉपर्टी एंव बिल्डर लोग ही परेशान नहीं हैं। साथ में वह लोग भी परेशान हैं जो सालों साल से किराए के मकानों में रह रहे हैं। अब उन्होनें अपना मकान जैसे तैसे करके लिया हुआ हैं। ऐसे लोगों ने बैंकों से लोन लिया हैं। अब उनकी फ्लैटों की रजिस्ट्री नहीं हो रहीं हैं। ऐसे लोगों को अपने मकान का भी किराया देना पड़ रहा हैं साथ में बैंक के ईएमआई भी देना पड़ रहा हैं। इनमें काफी लोग ऐसे हैं जिन्हें लॉकडाउन से पूर्व में फ्लैट बुक कराया था अब उनकी नौकरी भी चली गई हैं। ऐसे लोग अब काफी डिप्रेशन में हैं। सरकार को इस बिषय पर गंभीरता से सोचना चाहिए। जिससे प्रॉपर्टी एंव बिल्डरों के साथ ऐसे लोगों को राहत मिल सके। अब पितरपक्ष खत्म हो चूका हैं आगे नवरात्र आने वाला हैं।
इस अवसर पर सरकार को आमजनों का दिल जितने का मौका हैं की रजिस्ट्री के सॉफ्टवेयर जल्द से जल्द ठीक करें। इसमें जितने भी फ़ालतू के नोम्स जोड़े गए जो लोगों के लिए मुश्किल पैदा का रहीं हैं उस को खत्म करे। इस मामले में डीसी यशपाल यादव व तहसीलदार रणवीर विजय से यह जानने के लिए मोबाइल फोन पर संपर्क किया गया पर इन में से दोनों अधिकारियों ने अपना फोन नहीं उठाया। इस के बाद अतिरक्त उपायुक्त सतवीर मान से संपर्क किया तो उनका कहना हैं कि जहां उनके जानकारी हैं कि जो भी रजिस्ट्री में आमजनों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं उसे ठीक करने का कार्य किया जा हैं। इस बारे में और ज्यादा अच्छा इससे सम्बंधित अधिकारी ही बता पाएंगें।