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फरीदाबाद राजनीतिक

फरीदाबाद: 1975 में लोकतंत्र की हत्या करके आपातकाल लगाकर कांग्रेस ने देशद्रोह का कार्य किया : राम बिलास शर्मा

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
फ़रीदाबाद :आज मिलन वाटिका सेक्टर -11 फ़रीदाबाद  पर भारतीय जनता पार्टी, फ़रीदाबाद के ज़िला अध्यक्ष गोपाल शर्मा के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस द्वारा लोकतन्त्र की हत्या कर 1975 में लगाए गए आपातकाल के लिए कांग्रेस पार्टी की घोर भर्त्सना की और आपातकाल के विरोध में काला दिवस मनाया।  भारतीय जनता पार्टी के पूर्व शिक्षा मंत्री और वरिष्ठ नेता रामबिलास शर्मा और कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा विशेष रूप इस बैठक में उपस्थित रहे।  पूर्व शिक्षा मंत्री राम बिलास शर्मा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता प्रांत सम्पर्क प्रमुख गंगाशंकर मिश्र, फ़रीदाबाद महानगर पश्चिम के संघचालक संजय अरोड़ा, लघु उद्योग भारती के ज़िला अध्यक्ष रवि भूषण खत्री ने आपातकाल के इस दर्द को स्वयं झेला था।  जिलाध्यक्ष गोपाल शर्मा ने आपातकाल के समय में यातनाएं सहने वाले इन सभी लोकतन्त्र के रक्षकों का सम्मान किया।  पूर्व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने कांग्रेस द्वारा देश को आपातकाल का जो ज़ख़्म दिया था उसका विवरण कार्यकर्ताओं से साँझा किया । नाहड सत्याग्रह जत्थे से उनको अन्य 7 देशभक्त कार्यकर्ताओं के साथ जेल में डालकर यातनाएँ दी गई थी। 

आपातकाल के दौरान यह सभी 19 महीने कारागार में रहे ।आपातकाल पर कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 12 जून 1975 को इंदिरा गांधी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दोषी पाया और छह साल के लिए पद से बेदखल कर दिया।लेकिन इंदिरा गांधी ने कोर्ट का फ़ैसला नहीं माना।अलोकतांत्रिक तरीक़े से 25 जून 1975 तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने इन्दिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी। स्वतंत्र भारत के लोकतंत्र और राजनीति के इतिहास का यह एक बेहद दु:खद और काला अध्याय और अलोक तांत्रिक काल था।आपातकाल की घोषणा के साथ ही सभी नागरिकों के मौलिक अधिकार खत्म कर दिए गए थे। अभिव्यक्ति का अधिकार ही नहीं, लोगों के पास जीवन का अधिकार भी नहीं रह गया था I प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई।सैंकड़ों युवाओं को पकड़ पकड़ कर नसबंदी कर दी गई जिससे उनको नारकीय जीवन जीने पर मजबूर कर दिया गया। इंदिरा गांधी के तानाशाही रवैए के खिलाफ आवाज उठाने वाले जनसंघ के हमारे नेता अटल बिहारी वाजपेयी, कुशाभाई ठाकरे, लाल कृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडिस, नानाजी देशमुख, अरुण जेटली और हमारे मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं को इंदिरा गांधी ने जेल में डलवा दिया था I जेल में उनको यातनाएँ देकर प्रताड़ित किया गया।  हालांकि, आपातकाल के विरोध में आवाज बुलंद करने वालें राष्ट्रभक्त नेताओं के हौसले बचे हुए थे और उन सभी नेताओं के पुरुषार्थ के कारण 21 महीने के बाद 21 मार्च 1977 को देश से आपातकाल के क्रूर काल का अंत हुआ I इन सभी नेताओं के कठिन परिश्रम और ओजस्वी नेतृत्व से देश की जनता ने इंदिरा गांधी को नकारते हुए सत्ता से बेदखल कर दिया और कांग्रेस को सत्ता से उखाड़ फेंका। उन्होंने कहा आंदोलन को हमेशा बहुत ही प्रशंसनीय दृष्टि से देखा जाता था।  लोग यातना सहन करके जेल जाकर आंदोलन करते थे लेकिन आज स्वरूप बदल गया है I किस तरह विपक्षी पार्टियाँ ने अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा पूरी करने के लिए कृषि सुधार क़ानूनों का विरोध कर रहीं हैं। किसान आंदोलन के नाम पर दिल्ली की सीमाओं पर कब्ज़ा कर लोगों के व्यापार और जीवन पर छोट करने का काम कर रहीं हैं। किसानों के नाम पर उपद्रवी तत्वों का सहारा लेकर देशद्रोह का कार्य कर रहीं है।  आन्दोलन की आड़ में माता बहनों के साथ दुराचार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री जी ने आन्दोलन कारी किसान नेताओं को 12 से ज्यादा बार बातचीत के लिए आमंत्रित किया और पूछा कि किसान आन्दोलन में काला क्या है और वो निरुत्तर हैं क्योंकि वो सिर्फ अपनी राजनीती चमकाने का काम कर रहें हैं। एक वो राज था जब अपनी राज गद्दी बचाने के लिए कांग्रेस ने देश में आपातकाल लगा दिया और एक ये राज है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किस तरह देश हित में कार्य कर रहे हैं। देश और देशवासियों को सशक्त करने का काम कर रहे हैं |गरीब मजदूर किसान और महिला सभी को जन कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से मुख्यधारा में जोड़कर आगे बढ़ाने का कार्य किया जा रहा हैं। आज की बैठक में प्रदेश भाजपा अनुशासन समिति की अध्यक्षा नीरा तोमर, प्रदेश सचिव रेणु भाटिया, विधायक सीमा त्रिखा, नरेन्द्र गुप्ता, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सोहनपाल सिंह, ओमप्रकाश रेक्षवाल, ज़िला महामंत्री मूलचंद मित्तल, आर एन सिंह,प्रदेश सह प्रवक्ता बिजेंद्र नेहरा,ज़िला पदाधिकारी, मंडल अध्यक्ष व मंडल महामंत्री, मोर्चों के ज़िला पदाधिकारी और मीडिया  व सोशल मीडिया के कार्यकर्ता उपस्थित रहे।  

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