अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: आज हरियाणा स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड वर्कर्स यूनियन की वार्ता समिति की एक आवश्यक मीटिंग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संपन्न हुई । जिसमें प्रान्तीय प्रधान बिजेंदर बेनीवाल, महासचिव सुनील खटाना व मुख्य संगठनकर्ता महाबीर पहलवान के नेतृत्व मे निगम के डायरेक्टर ऑपरेशन आर.के. सोढा दवारा जारी किया गया। पत्र जिसमें बिजली कर्मचारियों के द्वारा उनकी जायज़ माँगों को ना मानने के विरोध में किए जाने वाले धरने प्रदर्शन की अवधि को अनुपस्थिति अवधि माना जाने के विरोध में एचएसईबी वर्कर्स यूनियन की वार्ता समिति ने इस पत्र की कड़े शब्दों में निन्दा की ।
दक्षिणी हरियाणा बिजली वितरण निगम मे आज के मौजूदा हालातों को देखते हुए निगम में कर्मचारियों के हजारों पद खाली पड़े हैं। इसके बावजूद कर्मचारी दिन रात एक कर अथक प्रयासों से अपने काम को पूरी मेहनत, लगन और ईमानदारी से कर रहे है।
जिस के फलस्वरूप निगम को घाटे से उबारने का काम भी इन बहादुर बिजली कर्मचारियों ने किया। कोरोना काल में भी बिजली निगम के 1-1 कर्मचारी ने कोरोना वरियर्स के रूप में अपनी अभूतपूर्व सेवाएं देकर बिजली निगम का नाम रोशन करने का काम किया है। आज कर्मचारियों के लिए काम के कोई घंटे निश्चित नहीं है । वह दिन प्रतिदिन निर्बाध 24-24 घंटे अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं । कर्मचारियों के लिए किसी भी प्रकार की कोई छुट्टी नहीं है । अपितु छुट्टी वाले दिन भी कार्यालय लगाए जा रहे हैं। इसके बावजूद इस तरह के कर्मचारी विरोधी तुगलकी फरमान कर्मचारियों पर जबरन थोपे जा रहे है। जिसकी एचएसईबी वर्कर्स यूनियन कड़े शब्दों में निंदा करती है। इस अवसर पर प्रदेश महासचिव सुनील खटाना ने डायरेक्टर ऑपरेशन आर.के. सोढा को चेताया कि यदि इस तरह के तुगलकी फरमानों को तुरन्त प्रभाव से वापस नही लिए तो यूनियन आपके विरुद्ध आन्दोलन करने को मजबूर होगी । धरने प्रदर्शन श्रमिक संघटनो के संवैधानिक अधिकार है ।
आप इस तरह के पत्र के जारी करने और इसके माध्यम से कर्मचारियों के अधिकारों का तानशाही का सबूत है । किसी भी कर्मचारी या कर्मचारी संगठनों का बेवजह प्रदर्शन करने का कोई शौक नही होता। यह कर्मचारियों की मजबूरी होती है। जब कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करने में कोई अधिकारी नाकाम रहता या जानबूझकर नही करता है । ऐसी लापरवाही ही कर्मचारियों को प्रदर्शन करने पर विवश करती है और यूनियन के पदाधिकारियों की यह मजबूरी बन जाती है कि वह अपनी आवाज को उनके कानों तक आंदोलन के रास्ते पहुंचाए । इस तरह के तानाशाही फरमान तुरन्त निरस्त करें अन्यथा यूनियन के डॉयरेक्टर ऑपरेशन के विरुद्ध पूरे प्रदेश में आंदोलन करने को मजबूर होगी । जिसका खामियाजा निगम मैनेजमेन्ट व सरकार को भुगतना होगा । क्योंकि ऐसे अधिकारी सरकार की छवि को धूमिल करने में कर्मचारियों व आमजन के कामों में जानबूझकर बाधा डलवा कर यूनियन और सरकार का टकराव कराना चाहते हैं । यूनियन चेताती है कि यदि प्रदर्शनों और आंदोलनों के चलते हरियाणा प्रदेश में किसी तरह शान्ति भंग होती है । तो इसके लिए सीधे तौर पर नैतिक जिम्मेदारी के हकदार डायरेक्टर ऑपरेशन आर.के. सोडा की स्वयं होगी ।