अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद:भारत सेवा प्रतिष्ठान फरीदाबाद तथा ग्रीन इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा वायु, जल और भूमि विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन ‘इको-2022’ संपन्न हो गया। समापन सत्र में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के चेयरमैन न्यायमूर्ति आदर्श गोयल मुख्य वक्ता रहे। जाने-माने पर्यावरणविद एवं पद्म विभूषण डॉ अनिल प्रकाश जोशी समापन सत्र में मुख्य अतिथि रहे। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पी. राघवेंद्र राव तथा इको-बाबा के नाम से लोकप्रिय पद्मश्री संत बलबीर सिंह सीचेवाल सत्र में विशिष्ट अतिथि रहे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. एस.के. गर्ग, भारत सेवा प्रतिष्ठान फरीदाबाद के चेयरमैन श्रीकृष्ण सिंघल तथा ग्रीन इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. जगदीश चौधरी भी उपस्थित थे।
सत्र को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति आदर्श गोयल ने कहा कि पर्यावरण और प्रकृति के प्रति भारतीय सोच हमेशा पूजनीय रही है। लेकिन औद्योगिकीकरण एवं आधुनिकीकरण की होड़ में हमने पर्यावरणीय मूल्यों को पीछे छोड़ दिया है। हमें विकास के मूल विचार को लेकर चलना होगा, जोकि पर्यावरण हितैषी हो। पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार पर निर्भर रहने की बजाय हम सबको खुद आगे आना होगा। सरकार अपना काम कर रही है, लेकिन नागरिकों को भी पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान देना चाहिए। सख्त कानूनों के साथ-साथ इसे प्रकृति के संरक्षण को नैतिक जिम्मेदारी के रूप में भी लिया जाना चाहिए। पर्यावरण संतुलन के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को नियंत्रित करना भी सरकार के हाथों में है, जो नाकाफी है। यह प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्तर पर भी करना चाहिए।
उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को एक जन-आंदोलन का रूप देने पर बल दिया। इससे पहले, सम्मेलन में विशेषज्ञ वक्ता रहे “वाटरमैन ऑफ इंडिया” के रूप में लोकप्रिय प्रसिद्ध जल संरक्षणवादी डॉ. राजेन्द्र सिंह ने जल संकट से निपटने के लिए पारंपरिक जल प्रणाली अपनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि गिरते भूजल को नियंत्रित करने के लिए जल संचयन के लिए गांव में तालाबों और जाहड़ों को पुनर्जीवित करना होगा। उन्होंने कहा कि तालाबों पर आधारित पारंपरिक जल प्रणाली जल संकट का समाधान बताया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से दुनिया में विस्थापन हो रहा है, जिससे युद्ध जैसे हालात बन रहे है। इस विस्थापन के विश्व युद्ध से बचने तथा विश्व शांति के लिए विश्वव्यापी जल साक्षरता अभियान की आवश्यकता है। राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन सचिव डॉ अरविन्द गुप्ता ने बताया कि दो दिवसीय सम्मेलन में 200 से ज्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया तथा पर्यावरण एवं संबंधित विषयों पर लगभग 100 शोध कार्यों पर तकनीकी सत्रों में चर्चा हुई। सम्मेलन के दौरान कुल सात सत्र आयोजित किये गये तथा इन सत्रों में 17 विशेषज्ञ वक्ताओं ने वायु, जल एवं भूमि से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विचार-मंथन किया। सत्र में 10 से ज्यादा राज्यों के प्रतिभागियों की भागीदारी रही, जिसमें हरियाणा के अलावा दिल्ली, पंजाब, हिमाचल, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर तथा मध्य प्रदेश शामिल हैं। सत्र के अंत में कुलसचिव डॉ. एस.के. गर्ग ने धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया। राष्ट्रीय सम्मेलन भारत सेवा प्रतिष्ठान फरीदाबाद के चेयरमैन श्रीकृष्ण सिंघल तथा ग्रीन इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. जगदीश चौधरी की देखरेख में संपन्न हुआ।
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