अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी आपके प्रदेश के फरीदाबाद जिले की ग्रीन फील्ड कॉलोनी के लगभग 500 से अधिक लोग बेहद परेशान हैं, जिसका समाधान सिर्फ आप अपने स्तर पर ही कर सकते हैं,लोगों की ये परेशानी हैं कि उनकी जीवनभर की पूंजी उनके मकान और जमीनों में लगी हैं, जो कई साल पूर्व में खरीदी हुई हैं, उन मकानों पर नॉन कंस्ट्रक्शन ज़ोन (एनसीजेड) लगी हुई हैं। इसे लगने की वजह, एनसीजेड के अंतर्गत आने वाले अपने खाली प्लाटों पर न तो मकान बनाया जा सकता हैं, ना ही इन जमीनों को बेचा जा सकता हैं, ये उन लोगों पर भी लागू हैं जो मकान बना कर उनमें रह रहे हैं, ये लोग भी अपने बिल्डिंगों को तोड़ कर नई बिल्डिंग नहीं बना सकतें हैं, नाही उसे किसी कीमत पर बेच सकतें हैं। ऐसे में इन लोगों की परेशानी लाजमी हैं, इसलिए मुख्यमंती मनोहर लाल जी इन लोगों की आवाजें आप अवश्य और स्वंय सुनों, और इसका समाधान आप जल्दी करों, ग्रीन फिल्ड में एक ऐसा परिवार हैं, जोकि अपने जीवन के अंतिम पड़ाव के निकट हैं,
जो चाहता हैं वह अपने मकान को बेच कर अपने और अपनी पत्नी का बेहतरीन इलाज करा सकें, अपना जीवन, चाहे भगवान ने जितनी ही लिखी हो,वह अच्छी तरह से जी सकें। ये परिवार एक रिटार्यड परिवार हैं। इनके परिवार में सिर्फ पति -पति हैं, जो अक्सर बीमार रहते हैं। इस मामले में ग्रीन फील्ड बिल्डर एंव प्रॉपर्टी एसोसिएशन के प्रधान आकाश गुप्ता का कहना हैं कि एनसीजेड में लगभग 500 से अधिक प्लाट हैं, इस कालोनी में प्लाटिंग1962 में की गई थी,और लाइसेंस 1980 में मिला था। इस कॉलोनी का फैलाव लगभग 437 एकड़ में हैं। उस दौरान लोगों ने ये सोच कर प्लाट लिया था कि या तो रिटार्यड होने के बाद यहां मकान बना कर रहेंगें, या बच्चों की अच्छी शिक्षा या शादी करने के लिए पैसे की जरुरत आगे होगी, इस लिए निवेश किया था। इनमें बहुत से ऐसे लोग हैं जो नक्शा पास करा कर मकान लिया और कंप्लीशन सर्टिफिकट भी लिया हुआ हैं और उसमें लोग रह भी रहे हैं, कुछ साल पूर्व इन सैकड़ों प्लाटों पर एनसीजेड लगा दिया हैं।
अब सरकार द्वारा एनसीजेड लगाने की वजह से ना तो लोग अपने प्लाटों को बेच सकते हैं, ना ही खरीद सकते हैं, नाही इन प्लाटों पर बिल्डिंग बना सकतें हैं, नाही तोड़कर नई बिल्डिंगें बना सकतें हैं। ऐसे में तो लोगों के सामने मुश्किलें तो है, पर समाधान मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पास हैं, अब लोगों को इंतज़ार हैं कि प्लॉट धारकों को ये सरकार कब राहत देती हैं। इस संबंध में सीनियर टाउन प्लानर (एसटीपी) रवि सिहाग का कहना है कि इस मामले में जिला उपायुक्त और जिला टाउन प्लानर (डीटीपी) बेहतर तरीके से बता पाएंगे, क्यूंकि वह लोग एनसीजेड मामले में गठित कमेटी के सदस्य हैं। इसके बाद जिला टाउन प्लानर (डीटीपी) रेणुका से फोन पर बात की गई तो उनका कहना है कि ये मामला अभी प्रदेश स्तर हैं, और पीछे प्रदेश स्तर पर इस मसले पर एक बैठक भी हुई थी, अब अगली मीटिंग कब होगी, इसकी तारीख अभी तय नहीं है, पूछने पर उन्होंने कहा कि एनसीजेड में जिन लोगों के प्लाट हैं उनके लिए अच्छी खबर तो एक दिन जरूर आएगी,पर कब आएगी इसका समय अभी निश्चित नहीं हैं पर जनहित में ये अच्छी खबर जरूर आएगी।
ग्रीन फील्ड कालोनी के मकान नंबर-2051 में रहने वाले वी के वर्मा का कहना है कि उनकी उम्र 78 साल है,उनकी पत्नी वीरा वर्मा की उम्र 75 साल है,उनकी बेटी अंजू हैं जिसकी उन्होंने शादी कर दी थी, अब उसका अपना परिवार हैं, वह दिल्ली में रहती हैं, पर उसकी मामली हालत अच्छी नहीं हैं,कभी -कभी मिलने के लिए आती हैं। अपने घर में वह पति -पत्नी रहते हैं, अब हम दोनों की सेहत ज्यादा ठीक नहीं रहती हैं, वह लोग अक्सर बीमार ही रहते हैं। वह एक इन्शुरन्स कंपनी से रिटार्यड हैं,अब उनका और उनकी पत्नी का गुजरा सिर्फ पेंशन से मिले पैसे से ही होता है। उनका कहना है कि उन्हें चलने फिरने में काफी दिक्कतें हैं, वह खुले रूप में कहीं जा नहीं सकते, ना ही आ सकते हैं। वह लोग काफी दिक्कत में हैं। और परेशानी भी बहुत ज्यादा है। और परेशानी के कई कारण हैं, के बारे में ज्यादा सोच कर और ज्यादा परेशान हो जाते हैं। उनका कहना है कि वर्ष -1963 में 275 गज जमीन ग्रीन फील्ड कालोनी में खरीदी थी, वह 2003 में सेवानिवृत्त हुए थे,सेवानिवृत्त होने के बाद जो पैसा उन्हें मिला उससे उन्होंने 2005 में अपना मकान बना लिया। पहले उन्होंने नक्शा बनवा कर ग्राऊंड फ्लोर पर मकान बनाया फिर उन्होंने 2006 में कंप्लीशन सर्टिफिकेट ले लिया। इसके बाद उन्होंने वर्ष- 2009 में पहली और दूसरी मंजिल पर नक्शा बनाकर मकानें बना ली। और वर्ष- 2011 में कंप्लीशन सर्टिफिकेट ले लिया। इस तरह से उन्होंने कुल ढाई मंजिला मकान बना लिया । अब मेरी उम्र 78 साल की हैं और मेरी पत्नी वीरा वर्मा की उम्र 75 साल है। अब दोनों पति -पत्नी बीमार रहते हैं, उन्हें चलने -फिरने में दिक्कत हैं। अब वह ऊपरी मंजिल के मकानों को बेचना चाहते हैं, तो ये कहा जाता हैं कि ये मकान नॉन कंस्ट्रक्शन ज़ोन (एनसीजेड) में हैं, इस की वजह से मेरा मकान बिक नहीं रहा हैं , ऊपर के हिस्सों को बेचना चाहते हैं तो बिक नहीं रहा, वह लोग बीमार रहते हैं, इलाज के लिए पैसा चाहिए होता हैं , कहां से लाए, एनसीजेड की वजह से कोई सही रेट दे नहीं रहा हैं। ये सोच कर वह बहुत परेशान हैं, उनका दिमाग बिल्कुल काम नहीं कर रहा हैं कि वह करे तो क्या करें। उनका कहना है कि उनके पास मकान का नक्शा हैं और कंप्लीशन सर्टिफिकेट हैं फिर एनसीजेड क्यों लगाया गया। इसका जवाब मुझे कौन देगा। मैं सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट नहीं सकते और मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी से मिल नहीं सकते, उनसे वह फ़रियाद कर नहीं सकते, क्यूंकि वह चलने फिरने में बहुत असमर्थ हैं। ऐसे में “अथर्व न्यूज़” उनकी आवाज बना, जो मेरी आवाजों को सरकार यानी मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी तक पहुंचाए। मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी मेरी आवाज सुनों और मेरी समस्या का समाधान करों, मेरी जिंदगी अब बहुत कम बची हैं।
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