अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: आज खोरी गांव में सुबह जब लोगों की आंखें भी नहीं खुली थी की पुलिस की एक बड़ी फौज उनके घरों के बाहर तैनात नजर आई। मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव के साथी मोहम्मद शमशेर एवं इकरार अहमद को कल शाम को क्राइम ब्रांच पुलिस ने अगवा कर लिया। सूरजकुंड पुलिस एवं क्राइम ब्रांच पुलिस शमशेर एवं इकरार के परिवार को एक थाने से दूसरे स्थान दौड़ाती रही है किंतु यह नहीं बता रही है कि इकरार एवं शमशेर पुलिस संरक्षण में है। ऐसी स्थिति में शमशेर के परिवार का रो-रोकर हाल बुरा है।
पुलिस ने मजदूर आवास संघर्ष समिति के सदस्यों को धर दबोच ने के लिए कवायद शुरू कर दी है। पुलिस फोन करके मजदूर आवाज संघर्ष समिति के सदस्यों को चकमा देकर पकड़ना चाहती है। जबकि मजदूर आवास संघर्ष समिति के साथी इकरार अहमद गत 12 जुलाई 2021 को जमानत पर फरीदाबाद कोर्ट द्वारा रिहा किए गए हैं। इकरार को पुलिस ने गत 9 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद उन्हें नीमका जेल भेज दिया गया था। जमानत मिल जाने के बाद भी पुलिस का यह दमन खोरी गांव के निवासियों पर टूट कर पड़ रहा है। ऐसे हालात में जब खोरी गांव की छाती पर सैकड़ों फौज खड़ी हो और महामारी काल बनकर जिनके सामने खड़ी हो उस समय भी फरीदाबाद पुलिस प्रशासन खोरी गांव वासियों पर रहम नहीं कर रही है। इधर नगर निगम ने भयंकर बारिश के बीच तोड़फोड़ का श्रीगणेश कर दिया है। गत 13 जुलाई 2021 को फरीदाबाद प्रशासन के द्वारा एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई गई जिसमें नगर निगम आयुक्त श्रीमती गरिमा मित्तल के द्वारा खोरी गांव के लोगों को पुनर्वास की योजना के बारे में बताया गया था। पर अभी 24 घंटे भी नहीं बीते थे की प्रशासन के झूठे वादों की पोल खुल गई इससे यह साफ पता चलता है की सरकार की नियत मे खोट है। प्रशासन के द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस केवल बुद्धिजीवियों एवं जन संगठनों का मुंह बंद करने की लिए बुलाई गई थी किंतु लगभग 150 से अधिक जन संगठनों ने पूरे भारतवर्ष से हरियाणा सरकार के द्वारा बिना पुनर्वास के तोड़फोड़ का कड़ा विरोध दर्ज़ किया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार का पूरा जोर खोरी के पुनर्वास के बजाय लोगों को उजाड़ने में ही लगा रहा। सरकार लोगों को उजाड़कर् करोना कॉल में मजदूरों, गर्भवती महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों का वध करने पर उतारू है जबकि मौसम अपना कहर अलग बरपा रहा है। जिन मजदूरों ने हरियाणा को विकसित करने के लिए अपना खून और पसीना लगाया है आज उन्हीं मजदूरों के परिवारों को सरकार के बुलडोजर से उजाड़ने का काम कर रहे हैं। जिन मजदूरों ने इस सुंदर शहर को बनाया है उन्ही को आज शहर में रहने का अधिकार छीना जा रहा है। लगभग 10 बुलडोजर को लेकर नगर निगम ने लगभग 300 घरों को तोड़ डाला है।
मजदूर आवाज संघर्ष समिति के सदस्य निर्मल गोराना ने बताया कि नगर निगम ने पुनर्वास की बात की जिसे वह खुद लागू नहीं कर पाए और आज खोरी में तोडफोड़ पर उतर आईं। किंतु नगर निगम को कोर्ट में जवाब देना पड़ेगा की आखिर पॉलिसी में निहित प्रक्रिया को फॉलो क्यों नहीं किया गया ? मानवता का ग्राउंड देकर पुनर्वास की बात करने वाली आयुक्त नगर निगम को तनिक भी दया तक नहीं आई की पहले लोगो को ट्रांसिट कैंप में ले जाए फिर आगे की कार्रवाई करे। सरकार तत्काल ट्रांसिट कैंप में लोगो को आश्रय दे जब तक की पुनर्वास की व्यवस्था नहीं हो जाती। यह प्रक्रिया गलत है कि लोग खुद नगर निगम कार्यालय जाए और वहां जाकर पुनर्वास के लिए आवेदन प्रस्तुत करें। जिन लोगों का घर टूट गया है, जिनके बच्चे बिलख रहे हैं, जिनका घर का सारा सामान बिखरा पड़ा है भला वो यह सब छोड़ कर कैसे प्रशासन के दरबार जाकर वहां पर आवेदन कर सकता है ? यह जमीनी स्तर पर असंभव है। अभी भी समय है सरकार संयुक्त सर्वे करे अन्यथा इसका नुकसान प्रशासन होगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में उन्हें ही जवाब तलब करना हैं। खोरी में आज अपने टूटे घर में विलाप करती ममता देवी ने बताया कि उनके पति बृजेश कुमार एक ऑटो ड्राइवर है। जोकि 11 साल से खोरी में रह रही है । उनकी 9 साल की बेटी लक्ष्मी कक्षा 4 और 6 साल का बेटा समक्ष है जो कक्षा 2 मे पढता है। उसका सरकार से सवाल है के वह इन मासूमों को लेकर कहां इस महामारी एवं बारिश में कहां जाए ? अबतक वो सरकार की कार्रवाई और परिवारों की भूख से जंग लड़ रही थी अब वह बच्चों के साथ रोड़ पर आ गई है। घरेलू कामगार राजमणि जोकि खोरी गांव में पिछले 12 सालों से रह रही है उसके दो बच्चे हैं बड़ा बेटा आशु जो कि 16 साल का है 11वीं कक्षा में पढ़ता है छोटा बेटा अंशु जो 13 साल का है नौवीं कक्षा में पढ़ता है। आज उनका घर फरीदाबाद नगर निगम द्वारा बुलडोजर से तोड़ दिया है जहां एक और परिवार करोना महामारी के चलते जीविकोपार्जन के लिए लड़ाई लड़ रहा है वहीं दूसरी ओर नगर निगम की कार्रवाई की वजह से रोड पर आ गए हैं। राजमनी का कहना है की सरकार उन्हें तिल तिल मरने को मजबूर ना करें सीधे गोली मार दे। खोरी निवासी ब्रज रानी जो कि 65 साल की है वह पिछले 9 साल से खोरी गांव में रह रही है उनके पति बृजलाल जोकि सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते थे। कोरोना महामारी के चलते उनकी नौकरी चली गई। ऐसी मुश्किल घड़ी में जब कोरोना की वजह से ना तो नौकरी है और ना ही घर में राशन और नगर निगम ने छत भी छीन ली। बिना पुनर्वास के अब वह परिवार को लेकर कहा जाए। उसका कहना है की हरियाणा सरकार ने उनसे रोटी कपड़ा और मकान सब छीन लिया अब उसके पास जीने का कोई रास्ता नही बचा है। सरकार ने सर्वे नही किया इसलिए उनका नाम भी कही दर्ज नहीं होगा जब पुनर्वास यदि मिलेगा तो सरकार यह कह देगी की ये परिवार यह नहीं रहता था।
Related posts
0
0
votes
Article Rating
Subscribe
Login
0 Comments
Oldest
Newest
Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments