अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: 7 जून 2021 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जस्टिस ए एम खानविलकर की पीठ ने नगर निगम फरीदाबाद को आदेश जारी किया की नगर निगम छ हफ्ते के भीतर खोरी गांव में वन विभाग की जमीन पर बसे हुए परिवारों को बेदखल किया जाए। जिसको लेकर नगर निगम ने 10,000 से भी ज्यादा परिवारो के लगभग एक लाख लोगों को बेदखल कर दिया। इसी संबंध में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी जिसके दौरान जस्टिस ए एम खानविलकर पीठ ने फिर कहा कि यदि कोई भी स्ट्रक्चर वन विभाग की जमीन पर काबिज है तो उसको तुरंत बेदखल किया जाए।
मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव जो की खोरी गांव के पुनर्वास के मुद्दे पर काफी लंबे समय से कार्य कर रहा है। मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव के सदस्य निर्मल गोराना ने बताया कि गत 31 जुलाई तक नगर निगम फरीदाबाद को खोरी गांव के आवास एवं पुनर्वास की पॉलिसी को नोटीफाई करना था किंतु आज नगर निगम फरीदाबाद ने सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले की सुनवाई के दौरान बताया कि उन्होंने पुनर्वास की पॉलिसी बना कर राज्य सरकार को अप्रूवल के लिए भेज दी गई है और अभी राज्य सरकार को इस पॉलिसी को अप्रूव करने के लिए कुछ समय की आवश्यकता है इसलिए अगली 25 अगस्त 2021 को सुनवाई के लिए रखी गई है। इस मामले में चल रही सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी बताया कि अस्थाई पुनर्वास के मुद्दे पर नगर निगम कमिश्नर 25 अगस्त तक एक स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करें। नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट प्रस्तुत किया जिसमें बताया गया कि राधा स्वामी सत्संग भवन में खोरी गांव से बेदखल हुए परिवारों को पुनर्वास दिया जा रहा है किंतु सत्य कुछ अलग है। 100000 बेदखल लोगों में से 2 से ज्यादा लोगों ने राधा स्वामी सत्संग भवन में आश्रय नहीं लिया और भोजन को तड़पते हुए 100000 लोगों में से प्रतिदिन 100 से 400 लोगों के मुंह तक ही सरकार भोजन मुहैया करवा पाई बाकी आज भी भोजन को तरस रहे है।
मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव के सदस्य मोहम्मद सलीम ने बताया कि पुनर्वास के नाम पर जब तक खोरी गांव से बेदखल हुए परिवारों को घर नहीं मिल जाता तब तक नगर निगम को अस्थाई रूप से ट्रांजिट कैंप में आश्रय देने की आवश्यकता है किंतु नगर निगम जबरदस्ती लोगों को राधा स्वामी सत्संग भवन में धकेलना चाहती है जबकि लोग राधा स्वामी सत्संग भवन में नहीं जाना चाहते। साथ ही पुनर्वास के लिए प्रस्तुत आवेदन पत्र के संबंध में मोहम्मद सलीम का कहना है कि बेदखल हुए परिवारों ने नगर निगम के समक्ष पुनर्वास हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत किए किंतु नगर निगम ने बड़ी चालाकी के साथ आवेदन पत्र तो ले लिया किंतु उसकी एवज में आवेदन कर्ता को कोई रसीद नहीं दी ताकि ना रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी को नगर निगम सार्थक कर सके। सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाकर्ता सरीना सरकार ने बताया कि उसे किसी प्रकार की कोई भी पुनर्वास संबंधी सहायता नगर निगम की ओर से प्रदत्त नहीं की जा रही है। उल्टा नगर निगम बेदखल परिवारों को खोरी गांव की जमीन से जबरन भगाना चाहती है जबकि समस्त बेदखल परिवार अस्थाई रूप से भी आश्रम की मांग कर रहे हैं किंतु नगर निगम बेदखल परिवारों की मांग को अनसुना एवं अनदेखा कर रही है जोकि निंदनीय है। मजदूर आवास संघर्ष समिति के सदस्य निर्मल गोराना ने बताया कि लगभग 10,000 से ज्यादा घरों को नगर निगम द्वारा बेदखल किया गया किंतु आवेदन ऊंट के मुंह में जीरे के समान भी नहीं हुए क्योंकि बेदखल परिवारों की राधा स्वामी सत्संग भवन तक पहुंच नहीं बन पाई है। यह काम नगर निगम को करना चाहिए जबकि मजदूर परिवारों पर थोप दिया गया। ऐसी स्थिति में मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव अपनी ओर से खोरी गांव के बेदखल हुए परिवारों के दस्तावेज नगर निगम कार्यालय तक पहुंचा कर पुनर्वास की मांग करेगी। जहां एक ओर खोरी से बेदखल हुए मजदूर परिवार पुनर्वास की आस लगाए बैठे हैं और काफी लंबे समय से माफियाओं के अत्याचार से त्रासद थे वहीं पर फिर से कई समूह पुनर्वास के नाम पर लोगों को गुमराह कर पैसा बटोरने का धंधा चला रहे हैं। 25 अगस्त को होने वाली सुनवाई के दौरान नगर निगम कमिश्नर एवं मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट पुनर्वास की पोल खोल देगी। मजदूर आवाज संघर्ष समिति खोरी गांव ने यह भी मांग की है कि पुनर्वास हेतु नोडल ऑफिसर तैनात किए जाए।
Related posts
0
0
votes
Article Rating
Subscribe
Login
0 Comments
Oldest
Newest
Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments