अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद : अगस्त महीने में एनएच 2 पुलिस चौकी पुलिस ने मेरी भांजी की शिकायत पर उसके ससुरालियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर देती तो आज उनकी भांजी युक्ति जिंदा और अपने मम्मी -पापा के बीच होती, पर पुलिस की कोताही बरतने की वजह से युक्ति अब इस दुनिया में नहीं हैं, उसे इंसाफ दिलाने के लिए उसके परिजन अब दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। कोतवाली थाना पुलिस ने युक्ति के ससुरालियों के खिलाफ भारतीय दंड सहिंता की धारा 498,304 बी व 34 आईपीसी के तहत मुकदमा तो दर्ज कर लिया पर पुलिस ने उसके ससुरालियों में से किसी एक को भी आज तक गिरफ्तार नहीं किया।
इस मामले में एनएच -2 पुलिस चौकी इंचार्ज महावीर सिंह का कहना हैं कि एफएसएल की रिपोर्ट अभी आना हैं उस रिपोर्ट में क्या आता हैं के बाद ही गिरफ्तारी आरोपी सचिन की होगी या नहीं होगी वह तय किया जाएगा। उनका कहना हैं कि वैसे भी डॉक्टरों ने अपने रिपोर्ट में लिख दिया हैं कि युक्ति की मौत ब्रेन ट्यूमर के कारण हुई हैं। मृतका युक्ति के मामा दिनेश भाटिया जोकि एनएच -2 ई के मकान नंबर 178 में रहते हैं। उनका कहना हैं कि उनकी भांजी युक्ति को बीते 20 अगस्त को उसके पति सचिन जटवानी, बहन संगीता, अंजू व उसके पति अशोक ने जमकर पिटाई कर दी थी जिससे उसकी भांजी युक्ति को गुम चोटें लगी थी
जिसकी शिकायत उन्होनें एनएच -2 पुलिस चौकी में कर दी थी। इसके बाद युक्ति को ईलाज हेतु बी. के अस्पताल में ले आए और ईलाज शुरू कर दिया था के थोड़े देर के बाद ही पुलिस चौकी से उनके पास फोन आया की अब वहां ईलाज मत करवाना हैं और आप लोग पुलिस चौकी में आ जाओ वह लोग पुलिस चौकी में पहुंच गए। उनका कहना हैं कि उनकी बातों को मान कर वह लोग युक्ति का ईलाज बीच में छुड़वा कर ,पुलिस चौकी में पहुंच गए और वहां पर पुलिस ने दोनों पक्षों के बीच समझौता करवा दिया। जिससे उसका ईलाज ठीक से नहीं हो सका।
उनका मानना हैं कि उस समय जो चोट उनकी भांजी युक्ति को लगी थी उसी के कारण व संभवता के बाद भी ससुरालियों ने उसके साथ बीते 25 नवंबर -2017 को मारपीट की होगी। तभी जाकर उसकी अचानक से जाएदा तबियत ख़राब हो गई। उसके बाद वह लोग उसे चांदना नर्सिंग होम में ईलाज कराने हेतु ले गए पर युक्ति की तबियत गंभीर होने के कारण उसे डॉक्टरों ने क्यूआरजी हॉस्पिटल में ले जाने की सलाह दी के बाद वह लोग युक्ति को क्यूआरजी हॉस्पिटल में ले गए वहां पर डॉक्टरों ने युक्ति को वेंटिलेटर पर रखने की बात की पर मौके पर उपस्थित लोगों ने लिखित रूप में कहा कि वह लोग यहां पर उसका ईलाज नहीं करायेंगें। इसके बाद वह लोग उनकी भांजी युक्ति को उन लोगों को बिना सूचित किए हुए दिल्ली के सफ़दर जंग अस्पताल में बिना ऑक्सीजन वाली एम्बुलेंस में गए वहां पर उन्होनें डॉक्टरों को दौड़ा पड़ने की गलत बात बता दी और क्यूआरजी हॉस्पिटल के जो भी पेपर थे उन पेपरों को वहां के डॉक्टरों को नहीं दिखाया।
उनका कहना हैं कि तीन चार घंटो तक यह लोग युक्ति को यूँ ही घुमाते रहे जिसका पता उन लोगों को बिल्कुल नहीं था और एक दिन मालूम पड़ा कि वह फोर्टिस हॉस्पिटल में भर्ती हैं। उनका कहना हैं कि पति सचिन व उसके परिजन उनकी भांजी युक्ति से छुटकारा पाने की वजह से इधर -उधर घुमाते रहे जिसकी वजह से उसकी मृत्यु हो गई। उन्होनें पुलिस कमिश्नर हनीफ कुरैशी से मांग की हैं कि इस केस के जांच अधिकारी को बदल कर व निष्पक्ष जांच कराई जाए और उनकी मृतका भांजी युक्ति को इंसाफ दिलाया जाए। उनका कहना हैं कि मुकदमा न. -648 हैं जोकि 29 नवम्बर को कोतवाली थाने में दर्ज किया था। इस केस में अभी तक मृतका युक्ति के मां -बाप को किए गए कार्रवाई के बारे में पुलिस ने सही बाते नहीं बताई हैं जिससे पुलिस के प्रति परिजनों की नाराजगी हैं। इस मामले में आरोपी सचिन जटवानी से उनका पक्ष जाने हेतु संपर्क किया गया पर उसने अपना फोन दोनों ही बार नहीं उठाया।