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फरीदाबाद शिक्षा स्वास्थ्य

फरीदाबाद: माइंड सेट सही है तो स्ट्रेस नहीं होगा : डॉ. के.के. गुप्ता


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
फरीदाबाद:हरियाणा उच्च शिक्षा महानिदेशालय के तत्वावधान में डीएवी शताब्दी महाविद्यालय द्वारा एक बहुविषयक राष्ट्रिय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय ‘स्ट्रेस मैनेजमेंट: वर्क लाइफ बैलेंस एंड रोल ऑफ़ पॉजिटिव साइकोलॉजी एट वर्कप्लेस’ रहा।  महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. कृष्णकांत गुप्ता ने संगोष्ठी के मुख्य अतिथि, एमडीयू के पूर्व प्रोफेसर व वाणिज्य विभागाध्यक्ष डॉ.रविंदर विनायक ने विशिष्ट अतिथि के रूप में तथा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, नोएडा की डीन अकादमिक डॉ. नीलम सक्सेना ने मुख्य वक्ता के रूप में शिरकत की।  संगोष्ठी का उद्देश्य शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और पेशेवरों के लिए कार्यस्थल पर तनाव के दबावपूर्ण मुद्दों और सकारात्मक मनोविज्ञान की परिवर्तनकारी शक्ति पर विचार-विमर्श करने के लिए एक बौद्धिक रूप से समृद्ध मंच करना व तनाव को जीवन से दूर रखने के उपायों पर विचार करना रहा। महाविद्यालय प्राचार्या डॉ. अर्चना भाटिया ने स्वागत वक्तव्य के साथ छात्रों और युवाओं के बीच जीवन लक्ष्य के रूप में खुशी को पोषित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। भगवद गीता की शाश्वत शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हुए, उन्होंने अनावश्यक अपेक्षाओं को त्यागते हुए कर्म-उन्मुख मानसिकता विकसित करने के महत्व को रेखांकित किया। 

डॉ. के.के. गुप्ता ने तनाव व मनोविज्ञान को परिलक्षित करने के लिए भारतीय दार्शनिकों के दोहों को उद्धृत किया | तनाव को जीवन से दूर रखने के लिए डॉ. गुप्ता ने पंचकोष के सिद्धांत; प्रकृति व जीवात्मा के संबंध को पहचानते हुए सच्चिदानंद परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग; दैनिक जीवन में घर व ऑफिस पर सही निर्णय लेने के लिए माइंड सेट व पॉजिटिव – नेगेटिव अलजेब्रा को समझाया।  उन्होंने छात्र-शिक्षक मनोविज्ञान, शिक्षण व्यवस्था खामियों व उनके निराकरण पर भी प्रकाश डाला।  छात्रों की प्रतिभा का सही नजरिए से विश्लेषण कर उनका एक कार्य टीम में संकलन पर बल दिया।  डॉ. नीलम सक्सेना ने आंतरिक, बाह्य, एक्यूट, क्रोनिक स्ट्रेस को दैनिक जीवन के साथ जोड़ते हुए वर्क लाइफ बैलेंस व पॉजिटिव साइकोलॉजी पर अपने विचार रखे।  उन्होंने तनाव प्रबंधन के लिए टाइम मैनेजमेंट, फिजिकल वर्कआउट, कोपिंग स्ट्रेटेजीज, रिलैक्सेशन, प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स जैसे तरीकों को अपनाने पर जोर दिया।  प्रो. डॉ. रविंदर विनायक ने शरीर, मन व आत्मा के मध्य प्रबंधन के जरिये स्ट्रेस को दूर रखने के बारे में समझाया। दैनिक जीवन में समय के साथ परिवर्तित होते हुए व्यक्तिगत व व्यावसायिक पर्यावरण में बदलती हुई उम्मीदें जो भौतिकता से जुड़ी हुई हैं, उनको तनाव का मुख्य कारण बताया। समापन सत्र में मुख्य अतिथि डॉ. सुजाता खंडाई, निदेशक, एमिटी कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड फाइनेंस ने सचेत जीवन, अच्छे मानसिक स्वास्थ्य और खुशी और उत्पादकता के बीच सीधे सकारात्मक संबंध के महत्व पर जोर दिया। पैनलिस्ट डॉ. विनीत बंगा निदेशक और प्रमुख, न्यूरोलॉजी और न्यूरो वैस्कुलर इंटरवेंशन, डॉ. रीमा देहल, दौलत राम कॉलेज, डीयू, और डॉ. पारुल खन्ना, वाइस-प्रिंसिपल,आईएमटी, फरीदाबाद और डॉ. भावेश प्रकाश जोशी, निदेशक और एचओडी विभाग,यूजी मैनेजमेंट स्टडीज, एमआरआई आईआरएस द्वारा तनाव पर मनोविज्ञान व शोध से जुड़े प्रश्नों का जवाब उपस्थित प्रतिभागियों के समक्ष दिया गया।  संगोष्ठी संयोजिका डॉ. अंजू गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन प्रतुत किया जिसमें उन्होंने सभी उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों, प्राचार्या, साथी संयोजिका डॉ. रुचि अरोड़ा, समिति सदस्यों डॉ. अंकिता महिंद्रा, डॉ. सुमन गुप्ता, डॉ. रश्मि रतुरी, दिनेश चौधरी, गार्गी शर्मा, अमित दहिया, रचना कसाना, डॉ. सोनम अरोड़ा के साथ शिक्षकों, शोधार्थियों, व छात्रों का आभार व्यक्त किया।  चार समानांतर तकनीकी सत्र के दौरान कुल 60 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। सत्रों में जीवंत बौद्धिक आदान-प्रदान हुआ, जिसमें तनाव और कल्याण पर अंतःविषय दृष्टिकोण प्रदर्शित किए गए।

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