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फरीदाबाद

फरीदाबाद : पुलिस ने हम तीनों को बचाई नहीं होती तो वह लोग हम तीनों को तेजाब से जिंदा जला दिया होता, सम्मानित होंगें, सीपी हनीफ कुरैशी।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट

फरीदाबाद : अगर समय पर पुलिस नहीं पहुंची तो आज हम तीनों लोग जिंदा ना होतें, यह कहना हैं उन तीनों पीड़ितों  का जिसे तक़रीबन तीन घंटों तक कमरे में बंधक बना कर चाकुओं व लात -घुसों से पीटतें रहे थे और लोगों की भीड़ ना होती शायद वह लोग हम तीनों को तेज़ाब से जिंदा जला दिए होते,जो भीड़ उन्हें बचानें की दिशा में आगे आ  रही थी उसको तो यह बदमाश लोग उनके ऊपर तेज़ाब छिड़क कर भगा रहे थे। उनका मक़सद था कि भीड़ में शामिल लोग हम तीनों को बचाने के लिए आगे नहीं आए । आज जो आपसे थानें के प्रांगण में  बातचीत जो कर पा रहा हूँ, वह हैं सिर्फ पुलिस की वजह से। इस मामलें में पुलिस कमिश्नर हनीफ कुरैशी का कहना हैं कि जो पुलिस कर्मी घटना स्थल पर पहुंचें थे उन सभी कर्मियों को पुलिस प्रशासन की तरफ सम्मानित किया जाएगा।

           शयाम कालोनी निवासी खैतुनी निशा का कहना हैं कि उसका बेटा वाजिद अली व नरेश के बीच क्रिकेट खेलने को लेकर इस घटना से एक दिन पहलें इनका आपस में झगड़ा हुआ था के बाद घटना वाले दिन नरेश ने वाजिद अली के साथ गाली -गलौज की और उसकी पिटाई कर दी थी । उनका कहना हैं कि वाजिद अली  के साथ हुई पिटाई की शिकायत करने के उद्देश्य से अपने पति अलाउद्दीन व बेटा वाजिद अली के साथ नरेश के घर पर गए थे और वह लोग उन लोगों को  सिर्फ इतना कहां था कि हम सब बहुत गरीब आदमी हैं और आप लोग सात भाई हो, अगर आप लोग मेरे बेटे को रोज -रोज मारोगें तो हम सब लोग कोई काम नहीं कर पाएगें, सिर्फ इतना ही कहना था कि उन लोगों ने हम तीनों को अपने घर के अंदर खींच लिया और घर के मेन गेट बंद करके हम तीनों को लात – घुसों व चाकुओं से जमकर मारने पीटनें लगें  और हम तीनों लोग चोट लगने की वजह से जोर -जोर चिल्लानें लगे और इस दौरान मै, मेरे पति अलाउद्दीन व  बेटा वाजिद खून से लथपथ हो गए और  उनके चिल्लानें की आवाजों को सुन कर वहां पर लोगों की भीड़ एकत्रित हो गईं। उनका कहना हैं कि जो लोग दरवाजा खोलवानें का प्रयास करते थे तो वह लोग उनके ऊपर तेज़ाब फेंक देते थे। जिससे बचानें वाले लोग पीछे हट जातें थे के बाद अजीत, सुजीत , नरेश, प्रभा उर्फ़ गुड़िया, विभा उर्फ़ सोनी व नितीश व अन्य लोग नीचे से खींच कर मकान के ऊपरी मंजिल के एक कमरे में ले गए और वहां  पर भी सभी लोग चाकू व लात घूसों से जमकर पीटते रहे।
                       उनका कहना हैं कि उनका छोटा राजू जिसनें अपने फोन से पुलिस कंट्रोल रूम में फोन लगाया तो वह फोन दिल्ली के पुलिस कंट्रोल में जाकर लगी और उन्हें सारी घटना क्रम की जानकारी दी के बाद  दिल्ली पुलिस ने पल्ला पुलिस को फोन कर ,इस घटना क्रम की जानकारी दी। फिर वहां पर पहलें तो दो पुलिस वालें घटना स्थल पर पहुंचें और उन्होनें दरवाजा खोलवानें की पुरी की कोशिश की, पर आरोपी गण उनसे भी उलझ गए के बाद उन पुलिस वालों ने फोन करके पांच -छह पुलिस वालें और वहां पर बुला लिए । तब जाकर पुलिस वालों ने थोड़ा बहुत बल प्रयोग करके उन्हें उन बदमाशों के चंगुल से बचाया। उनका कहना हैं कि पुलिस कर्मी ने जब उन्हें लहूलुहान अवस्था में पल्ला पुलिस चौकी लेकर पहुंचें तो वहां पर भी नरेश, अजीत , सुजीत,प्रभा उर्फ़ गुड़िया, विभा उर्फ़ सोनी व नितीश के साथ अन्य लोगों ने पुलिस की जिप्सी के शीशे तोड़ दिए और चौकी में जमकर पथराव किया। पुलिस की मानें तो  अजीत अपने  सिर को पत्त्थर से स्वंय फोड़ कर पुलिस को फंसाने कोशिश की। सराय थानें के एसएचओ अनिल कुमार का कहना हैं कि इस मामलें में आरोपी गणों के खिलाफ दो अलग -अलग मुक़दमें दर्ज किए हैं और अभी तक नरेश ,अजीत , सुजीत , नितीश, विभा उर्फ़ सोनी व प्रभा उर्फ़ गुड़िया को गिरफ्तार कर लिया गया हैं। सवाल के जवाव में उनका कहना हैं कि वहां पर अगर भीड़ ना एकत्रित होती तो ऐसा संभव था कि बंदी बनाए गए तीनों को तेजाब से जला दिया होता , पर वह लोग कह रहे हैं कि उनकी जिंदगी पुलिस की वजह से बची हैं तो पुलिस के लिए इससे अच्छी बात और नहीं हो सकती हैं वैसे हम सब ने अपनी डियूटी निभाई हैं।

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