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फरीदाबाद राजनीतिक

फरीदाबाद : विधायिका सीमा त्रिखा पर अभद्र टिप्पणी करने के विरोध में बीजेपी कार्यकर्ताओ ने आप नेता धर्मवीर भडाना का पुतला फूंका और जोरदार प्रदर्शन किया ।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद : हाल ही में बड़खल की विधायिका सीमा त्रिखा के ऊपर आप पार्टी नेता धर्मबीर भड़ाना द्वारा अभद्र टिपण्णी करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है जिसके चलते आज बीजेपी कार्यकर्ताओ ने मेयर सुमन बाला के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन किया और आप नेता का पुतला फूँका। इस मौके पर भारी संख्या में महिलाएं  और बीजेपी कार्यकर्ता मौजूद थे। मेयर सुमन बाला ने कहा कि  जो व्यक्ति औरत की इज्जत करना नहीं जानता उसे राजनिती  करने का कोई हक़ नहीं है।     
उनका कहना हैं कि  बडखल विधानसभा क्षेत्र की महिला विधायक श्रीमती सीमा त्रिखा को अपशब्द बोलने वाले आप नेता धर्मबीर भड़ाना का बी.के. चौक पर पुतला फूंक कर भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपना रोष तो प्रकट किया परंतु सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक मर्यादा का उल्लंघन करने वाले धर्मबीर भड़ाना जैसे स्वयंभू नेताओं को जनता माफ करती रहेगी। 
गौरतलब है कि एन.एच.-2 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद खोखा कालोनी को हटाने के लिए प्रशासन ने ऐलान किया था। ऐसे में अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने के लिए गुजरे जमाने के कुछ नेता भी सामने आकर हो-हल्ला करने लगे। सभी ने सत्तापक्ष के नेताओं पर निशाना भी साधा व उन्हें राजनैतिक शैली में बुरा भला भी कहा परंतु इन सबके बीच अब तक विभिन्न पार्टियों का लबादा उतारकर अब आप पार्टी का मुखौटा पहनने वाले धर्मबीर भड़ाना ने महिला विधायक पर टिप्पणी करते हुए मर्यादा की सारी सीमायें लांघ दी। उन्होंने यहां तक कह दिया कि महिला विधायक हाथों में चूडिय़ां पहनकर सुहागरात मनाती घूम रही है, उसे कालोनी उजडऩे की कोई चिंता नहीं है। 
अब सवाल यह उठता है कि क्या एक महिला के प्रति ऐसी घटिया भाषा का प्रयोग करना चाहिए। क्या धर्मबीर जैसे नेता जिसे केजरीवाल ने फरीदाबाद के बडखल क्षेत्र की कमान सौंप रखी है, ऐसे नेताओं को अपनी पार्टी में रखना चाहिए। धर्मबीर भड़ाना को ऐसी घटिया भाषा का इस्तेमाल करते वक्त इतना ही याद नहीं रहा कि वो जिसके बारे में बोल रहे है, उसी को बहन बनाकर राखी बंधवा चुके है। क्या हमारे समाज में बहन-बेटियों के लिए ऐसी भाषा बोलने वालों को नेता बनाया जा सकता है, धर्मबीर शायद यह भूल गए कि नेता बनने के लिए पार्टियां बदलना ही सब कुछ नहीं होता, भाषा शैली भी राजनैतिक होनी चाहिए। महिला विधायक के प्रति अपशब्द बोलकर उन्होंने जो संकेत दिए है, उससे साबित हो गया कि उनमें क्षेत्र में नेतृत्व देने के गुण नहीं है और जनता ऐसे नेताओं को कभी माफ नहीं करती।
 
 

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