अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: सूरजकुंड रोड पर अरावली क्षेत्र में बनाई गई कांत एन्क्लेव पर 13 निर्माण तोड़े जाने के बाद बार एसोशिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट एल. एन. पाराशर ने प्रतिक्रया देते हुए कहा कि इन निर्माणों को उसी समय तोड़ देना चाहिए था जब सुप्रीम कोर्ट ने इन्हे ध्वस्त करने के आदेश दिए थे।
वकील पाराशर ने कहा कि हरियाणा सरकार और फरीदाबाद के कुछ अधिकारी इन्हे बचाते रहे लेकिन ज्यादा समय तक इन्हे बचा नहीं सके। पाराशर ने कहा कि अरावली के माफियाओं को बचाने के लिए ही हरियाणा सरकार ने पीएलपीए ऐक्ट में बदलाव करने का प्रयास किया था ताकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को ठेंगा दिखाया जा सके लेकिन हरियाणा सरकार की नहीं चली और अब कांत एन्क्लेव के निर्माणों को तोडना पड़ा।
पाराशर ने कहा कि 11 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने कांत एन्क्लेव पर फैसला देते हुए कहा था कि कांत एन्क्लेव की जमीन फॉरेस्ट लैंड है। जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की स्पेशल बेंच ने 18 अगस्त 1992 के बाद हुए अवैध निर्माण को ढहाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा है कि सभी निर्माणों को गिराया जाए। जमीन वापस फॉरेस्ट को दी जाए। पाराशर ने कहा कि अरावली पर अब भी अवैध निर्माण जारी हैं और कोर्ट के आदेश को अब भी ठेंगा दिखाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अरावली मामले को लेकर मैंने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दाखिल की है उसमे मैंने हाल के अवैध निर्माणों के बारे में जानकारी दी है और इन निर्माणों को भी जल्द ध्वस्त करने की मांग करूंगा। पाराशर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट सख्त न होता तो अब तक अरावली का नामोनिशान मिट जाता। उन्होंने कहा कि कांत एन्क्लेव मामले में मैंने भी पार्टी बनने की अपील की थी और अब प्रशासन ने जो कार्यवाही की है उससे मैं कुछ हद तक संतुष्ट हूँ। उन्होंने कहा कि अरावली पर अन्य अवैध निर्माण अगर जल्द तोड़ दिए जाएँ तो कोई भी अरावली का चीरहरण करने का प्रयास नहीं करेगा।