अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: महिलाएं हमारे परिवार एवं समाज का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। बेटी,पत्नी, मां,बहन हर रूप में नारी का योगदान अमूल्य है। हाल ही में सेक्टर-16 स्थित मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में एक ऐसा ही मामला आया, जहाँ एक बेटी ने अपने लिवर का हिस्सा दान कर बीमार माँ को नई जिंदगी दी है। परिजन की जानकारी के अनुसार, मरीज को हेपेटाइटिस सी की समस्या हुई थी। परिजनों ने मरीज का लगभग 6-7 साल तक पंजाब के स्थानीय डॉक्टरों से इलाज कराया। फिर इन्हें पता चला कि लिवर की बीमारी इस स्टेज पर आ चुकी है कि अब लिवर ट्रांसप्लांट कराना ही पड़ेगा। प्रोग्राम क्लीनिकल डायरेक्टर एवं एचओडी- लिवर ट्रांसप्लांट एंड एचपीबी डॉ. पुनीत सिंगला ने बताया कि जब पंजाब के अमृतसर से 65 वर्षीय कुलदीप कौर हमारे पास आई तो उनकी लिवर की समस्या काफी बढ़ी हुई थी। ठीक से जाँच करने पर पता चला कि मरीज को लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता है। बीमार मां को बचाने के लिए बेटा और बेटी दोनों अपना लिवर डोनेट करने के लिए तैयार हुए। 41 वर्षीय बेटी ने अपने पति की सहमति से सबसे पहले मां को लिवर का हिस्सा दान करने का निर्णय लिया। फिर बेटी का मेडिकल फिटनेस टेस्ट किया गया। बेटी मां को लिवर देने के लिए मेडिकली फिट थी। फिर बेटी के लिवर का एक छोटा सा हिस्सा लेकर मां का लिवर ट्रांसप्लांट किया गया। लिवर ट्रांसप्लांट सफल रहा। अब मां और बेटी दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं और सामान्य जीवन जी रही हैं। डॉ. सिंगला ने कहा कि लिवर ट्रांसप्लांट करने में लगभग 12-13 घंटे का समय लगा। ट्रांसप्लांट सफल रहा। हेपेटाइटिस सी एक वायरस है जो लिवर को संक्रमित कर देता है। इसका समय रहते सही से इलाज न होने पर मरीज का लिवर खराब हो जाता है फिर उसे लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। बता दें कि डोनर से मरीज में लगाया जाने वाला लिवर का हिस्सा आकार में बढ़ जाता है और डोनर के शरीर में बचा लिवर का हिस्सा भी फिर से बढ़ जाता है क्योंकि यह हमारे शरीर का एकमात्र ऐसा अंग है जो फिर से आकार में बढ़ जाता है। इस खासियत के कारण ही लिवर ट्रांसप्लांट प्रोसीजर किया जाता है।
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