अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई), नीति अध्ययन और विज्ञान संचार को बढ़ावा देने के लिए, जे.सी. बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद ने सीएसआईआर के राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर), नई दिल्ली के साथ एक समझौता पर हस्ताक्षर किए हैं। एनआईएससीपीआर वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की एक प्रयोगशाला है जो सीएसआईआर के दो संस्थान राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं सूचना स्रोत संस्थान (निस्केयर) और राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं विकास अध्ययन संस्थान (निस्टैड्स) के विलय के बाद वर्ष 2021 में अस्तित्व में आया है। विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में समझौते पर जेसी बोस विश्वविद्यालय कुलसचिव डॉ. एस.के. गर्ग और सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर, नई दिल्ली की ओर से निदेशक प्रो रंजना अग्रवाल ने हस्ताक्षर किये। कार्यक्रम का संचालन निदेशक इंडस्ट्री रिलेशन्स डॉ. रश्मि पोपली ने किया।
इस अवसर पर बोलते हुए प्रो. रंजना अग्रवाल ने कहा कि दोनों संस्थानों की 50 से अधिक वर्षों की लंबी विरासत रही है। जे.सी. बोस विश्वविद्यालय की उद्योग-अकादमिक संबंधों पर अच्छी पकड़ है और पूर्व छात्रों का एक मजबूत नेटवर्क है जबकि सीएसआईआर मुख्य रूप से अनुसंधान एवं विकास संगठन है। इस तरह दोनों संस्थान पुस्तकालयों और प्रयोगशालाओं सहित अन्य संसाधनों को साझा करके अपनी क्षमताओं एवं योगदान से एक दूसरे को मजबूत कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश में विज्ञान को लेकर हमेशा से एक अलग नजरिया रहा है, जिसके कारण विज्ञान समाज से नहीं जुड़ पाया है। सीएसआईआर में हमारे प्रयास विज्ञान को समाज से जोड़ने पर केंद्रित हैं और हम विज्ञान संचार को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं। इस सहयोग से दोनों संस्थान विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार, अनुसंधान, नीति अध्ययन और विज्ञान संचार के क्षेत्र में एक साथ काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञान पत्रकारिता को बढ़ावा देने में भी विश्वविद्यालय बड़ा योगदान दे सकता है। इसके अलावा, विश्वविद्यालय का कम्युनिटी कॉलेज एवं विभिन्न सामाजिक पहल ऐसे क्षेत्र हैं जहां दोनों संस्थान एक साथ मिलकर काम कर सकते हैं। इससे पहले कुलसचिव डॉ. एस.के. गर्ग ने अतिथियों का स्वागत किया और विश्वविद्यालय के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि दोनों संस्थानों के बीच साझेदारी वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान को बढ़ावा देगी जिससे समाज को लाभ होगा।इस अवसर पर डीन प्लेसमेंट, एलुमनाई और कॉरपोरेट अफेयर्स, प्रो. विक्रम सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय ने छात्रों के कौशल और रोजगार क्षमता को और बेहतर बनाने के लिए उत्कृष्टता के नए केंद्र स्थापित किये हैं। साथ ही, विश्वविद्यालय ने शोध प्रकाशन में महत्वपूर्ण सुधार किया है। उन्होंने कहा कि इस सहयोग से विश्वविद्यालय को शोध की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलेगी। इससे पहले, डॉ मोहम्मद रईस ने सीएसआईआर और उसके नेटवर्क के बारे में संक्षिप्त परिचय दिया। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर विविध विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में अपने अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास के लिए जाना जाता है। देशभर में सीएसआईआर की 38 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, 39 आउटरीच केंद्रों, 3 नवाचार परिसरों और 5 इकाइयों का एक गतिशील नेटवर्क है। सीएसआईआर की अनुसंधान एवं विकास में विशेषज्ञता होने के साथ-साथ 4600 सक्रिय वैज्ञानिक तथा लगभग 8000 तकनीकी कर्मियों का अनुभव भी जुड़ा हुआ है। संस्थान नये भारत के लिए नये सीएसआईआर के विजन के साथ काम कर रहा है। कार्यक्रम का समापन डीन (आर एंड डी) प्रो राजेश कुमार आहूजा के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। साथ ही, इस अवसर पर सीएसआईआर का साइंस रिपोर्टर प्रकाशन का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर जे.सी. बोस विश्वविद्यालय से डीन (एफईटी) प्रो. एम.एल. अग्रवाल, डीन (एफआईसी) प्रो. कोमल कुमार भाटिया और लाइब्रेरियन डॉ. पी.एन. के बाजपेयी और एनआईएससीपीआर से चीफ साइंटिस्ट डॉ नरेश कुमार, चीफ साइंटिस्ट डॉ सुजीत भट्टाचार्य, सीनियर प्रिसिपल साइंटिस्ट डॉ विपन कुमार, डॉ कनिका मलिक और डॉ मनीष मोहन गौड़ भी उपस्थित थे।
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