अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: होली पर्व पर श्री श्री 1008 किशोरी शरण महाराज ;बाबा सूरदास तिलपत वाले की परिक्रमा में उमड़े हजारों श्रद्धालुओं ने 15 गांवों से होते हुए करीब 30 किलो मीटर लंबी परिक्रमा पूरी की। श्रद्धालुओं ने दंडवत परिक्रमा कर मनोकामना पूर्ण करने का संकल्प लिया। परिक्रमा में श्रद्धालु भजन.कीर्तन करते हुए चलते है। परिक्रमा में शामिल श्रद्धालुओं का जगह.जगह पर ग्रामीणों द्वारा स्वागत किया गया। परिक्रमा मार्ग में प्रति एक गांव में श्रद्धालुओं के लिए फल एवं प्रशाद और स्वास्थ्य संबधित सुविधा वाले स्टॉल लगाए गए।
आदर्श एवं प्राचीन ऐतिहासिक गांव तिलपत स्थित बाबा सूरदास की स्मृति में आयोजित होने वाली होली परिक्रमा प्रतिवर्ष होली से एक दिन पहले होती है। परिक्रमा में शामिल श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी होती हैं। जिसके चलते हर वर्ष परिक्रमा में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है। दिल्ली एनसीआर के अलावा दूरदराज से बाबा सूरदास के भक्त इस परिक्रमा में शामिल होकर धर्म लाभ उठाते हैं। तिलपत गांव स्थित सूरदास मंदिर से सुबह शुरू होकर परिक्रमा सबसे पहले ददसिया गांवए शेरपुरए ढ़ाढरए किड़ावलीए लालपुरए महावतपुरए भोपानीए देहाए रिवाजपुरए टिकावलीए बादशाहपुरए पलवलीए वजीरपुरए मवई होते हुए एतमादपुर से पल्ला से निकलकर देर शाम तिलपत मंदिर पर संपन्न होती है। परिक्रमा का पड़ाव सभी गांव के मंदिरों पर होता है। जहां पर मंदिर प्रबंधन समिति एवं ग्रामीण मिलकर श्रद्धालुओं की सेवा में जलए फलए दूधए चाय की स्टॉल लगाकर बाबा के भक्तों की सेवा करते हैं।
इस परिक्रमा में सभी भक्तजन बारी.बारी से बाबा सूरदास की विशालकाय चित्र वाली पालकी को लेकर चलते हैं। पालकी के सामने भजन कीर्तन करती मंडली व नृत्य करते श्रद्धालु चलते हैं। बच्चेए बूढ़ेए जवान और महिलाएं सभी बाबा के जयकारों से समूचा परिक्रमा मार्ग गूंजायमान रहता है। मंदिरों पर भक्तों के लिए हलवे का प्रसाद व पानी की व्यवस्था की जाती है। ददसिया के शिव मंदिर में बाबा के भक्तों के लिए हलवे का प्रशाद एवं चायए ढाढर गांव के निकट फल की स्टॉल लगाई गई। गांव पलवली में बरगद पेड वाले चौराहे पर फल की स्टॉल के साथ साथ ग्रामीणों ने स्वास्थ्य संबंधित स्टॉल लगाई जिसमें श्रद्धालुओं को निशुल्क दवाईंया दी गई।
वजीरपुर के श्रीराधावल्लभ मंदिर में श्रद्धालु ओं का ग्रामीणों द्वारा स्वागत किया। श्रद्धालुओं की आस्था..बाबा सूरदास की परिक्रमा होली से दो दिन पहले पिछले 40 सालों से निरंतर निकलती आ रही है। सच्चे मन से की गई मनोकामना के साथ तीन बार की परिक्रमा का फल बहुत सुखदाई होता है। इस परिक्रमा का विशेष महत्व है। सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद बाबा सूरदास तिलपत वाले अवश्य पूर्ण करते हैं।समाजसेवी पंडित देव कुमार शर्मा ने बताया कि बाबा सूरदास की इस पूरे क्षेत्र पर विशेष कृपा है यहाँ कभी कोई प्राकृतिक आपदा नहीं आई। नहरपार के गांवों में इस परिक्रमा का विशेष महत्व है। तीन बार निरंतर परिक्रमा पूर्ण करने पर मनवांछित फल अवश्य मिलता है। यही कारण है कि हर वर्ष होली परिक्रमा में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ रही है।