ये कहना है बार एसोशिएशन के पूर्व प्रधान एल एन पाराशर का जिन्होंने लगभग दो महीने पहले अरावली के चीर हरण की शिकायत, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, मानवाधिकार आयोग, एनजीटी सहित कई बड़े विभागों से की थी। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस शिकायत पर बड़ा ऐक्शन लेते हुए सम्बंधित अधिकारियों को नोटिस भेजा है कि 8 हफ़्तों के अंदर इस मामले पर कार्यवाही करें और शिकायतकर्ता को इस दौरान पूरे मामले की जानकारी देते रहे। आदेश में कहा गया है कि 8 हफ्ते के भीतर कार्यवाही कर आयोग को इसकी सूचना दें। इस मामले के बारे में अधिक जानकारी देते हुए वकील पाराशर ने बताया कि मैंने सितम्बर-अक्टूबर 2018 में अरावली का कई बार दौरा किया था जिस दौरान मैंने देखा कि किसी ने बाहरी राज्यों की जीपीए से हजारों एकड़ अरावली की जमीन खरीद ली है तो किसी ने तमाम अवैध फ़ार्म हाउस बनाये हैं।
वकील पाराशर ने कहा कि मैंने अरावली पर अवैध खनन भी देखा जिसकी शिकायत करने पर खनन विभाग ने कुछ लोगों पर एफआईआर भी दर्ज करवाई।वकील पाराशर ने कहा कि मैंने देखा कि अरावली सरेआम लूटी जा रही है और ऐसा कई विभागों की मिलीभगत से हो रहा है और इस लूट का खामियाजा फरीदाबाद के लगभग 25 लाख लोग भुगत रहे हैं। शहर में प्रदूषण से कोई कैंसर का शिकार हो रहा है तो कोई अन्य जानलेवा बीमारियों की चपेट में है इसलिए मैंने कई बड़े विभागों और पीएम को इसकी शिकायत की और अब नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन ने मेरी शिकायत पर ऐक्शन लिया है। वकील पाराशर ने कहा कि 8 हफ़्तों के भीतर अगर कार्यवाही न हुई तो सम्बंधित अधिकारियों और अरावली के माफियाओं को मैं सुप्रीम कोर्ट में घसीटूंगा। उन्होंने कहा कि मेरी मांग है कि अरावली के सभी अवैध फ़ार्म हाउस, सभी अवैध होटल ढहाए जाएँ और जिसने भी अवैध रूप से अरावली का पत्थर लूटा है, अरावली के पहाड़ को खरीदा है, अरावली के जंगल उजाड़े है उन सभी पर कार्यवाही हो। वकील पाराशर ने कहा कि अरावली की लूट के जिम्मेदार हर किसी पर कार्यवाही जब तक नहीं होती तब तक मेरा अभियान जारी रहेगा।