अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: आज वकीलो ने राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के नाम ए डी सी अपराजिता वरूण को वरिष्ठ अधिवक्ता शिवदत्त वशिष्ठ एडवोकेट के नेतृत्व मे ज्ञापन सौंपा। वशिष्ठ ने कहा हमारी समृद्ध भारतीय संस्कृति एवं सामाजिक समरसता समलैंगिक विवाह के खिलाफ है। यह सुनिश्चित करने का प्रयास करे की समलैंगिक विवाह न्यायपालिका द्वारा वैध घोषित ना किया जाए । क्योंकि उक्त विषय पूर्ण रूप से विधायकों के क्षेत्राधिकार मे आता है। मनोज पंडित एडवोकेट ने कहा यदि समलैंगिक शादी को मान्यता देंगे तो इसका भविष्य क्या होगा ।समलैंगिक विवाह को लेकर पश्चिमी नजरिए के हिसाब से ना सोचकर भारतीय संस्कृति और परंपरा के हिसाब से विचार करना चाहिए । इसे लेकर भविष्य मे बहुत सी कानूनी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे अगर ही जेंडर के लोग शादी करेंगे तो गुजारा भत्ता कौन किसको देगा।
घरेलू हिंसा मे यदि एक ही जैंडर के लोग है तो इसमें पीडित और अभियुक्त पक्ष कौन होगा ।ससुराल, मायका, पितृ धन व मातृधन क्या है इस पर विचार करना होगा। वही इनके द्वारा बच्चे गोद लिए जाने पर कौन माता होगा, कौन पिता होगा यह कैसे तय होगा।अगर इसे लागू किया जाता है तो भारत को अपनी पूरी कानूनी सरचना बदलनी पडेगी। क्योंकि विवाह के कानून की जड़ मे स्त्री,पुरषो के संबंधों को ही निर्धारित किया गया है। समलेगिक कपल (पुरुष – पुरुष या महिला – महिला) आपस मे यौन संबंध बनाकर बच्चे पैदा नहीं कर सकते। इसके या तो वह सैरोगेसी का रास्ता अपनाएंगे या फिर बच्चा गोद लेगे। इसे लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इसका विरोध किया है उनका कहना है कि समलैंगिक जोड़ों को गोद लेने की अनुमति देने खतरे जैसा है। यदि इन्हे बच्चे गोद लेने की अनुमति दे भी जाती है तो ऐसा बच्चो की समाज मे स्वीकारता बहुत ही कम होगी और उनके साथ दूसरे बच्चो द्वारा स्कूल व कॉलेजों मे दुर्व्यवहार किया जाएगा ।बताते है कि हिन्दू धर्म मे विवाह 16 संस्कारों में से 1 है एक जैविक पुरुष व जैविक महिला ने केवल शारीरिक और सामाजिक उद्देश्यों के लिए बल्कि आध्यात्मिक उन्नति के लिए एक दूसरे के साथ विवाह के बंधन में बंधते है। कुछ इसी तरह अन्य धर्मों मे भी शादी को लेकर भिन्न भिन्न मान्यताएं हैं इस मौके महेंद्र चौधरी ,कुलदीप जोशी,संजय दीक्षित,विजय यादव,कमल दलाल ,लक्ष्मण तंवर ,रत्न चन्दीला ,विरमवती खटाना,मितेश राठौड़ ,ललित वर्मा योगेन्द्र कुमार,सागर नागर,अफ़ाक ख़ान,सचिन भटेजा हरदीप विसोयो ,रिषी नागर,प्रदीप कुमार,पंकज शर्मा,जे एस पूरी व अन्य अधिवक्ता गण मौजूद थे।
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