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फरीदाबाद

फरीदाबाद: पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार ने गांव नरियाला को राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2021 से सम्मानित किया।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
फरीदाबाद: पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार हेतु ग्राम पंचायत के उत्कृष्ट प्रयासों के लिए फरीदाबाद के गांव नरियाला को राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2021 से सम्मानित किया गया। इस दौरान जिला की ओर से अतिरिक्त उपायुक्त सतबीर मान ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्बंधित लोगो को सम्मानित करते हुए बधाई दी। उल्लेखनीय है कि प्रकार के अन्य कई पुरुस्कार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री पंचायती राज नरेंद्र सिंह तोमर के करकमलों से आज पंचायती राज दिवस के अवसर पर देश भर की ग्राम पंचायतों को जिला प्रशासन के माध्यम दिए गए। उल्लेखनीय है कि आज  पंचायती राज दिवस वर्चुअल माध्यम से आयोजन किया गया। जिसमें पंचायती राज मंत्रालय देश भर में पंचायतों/राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को बेहतर प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया। विजेता पंचायतों को दी जाने वाली पुरस्कार राशि पहली बार प्रधानमंत्री के एक क्लिक से (अनुदान स्वरूप) पंचायतों के खातों में रियल टाइम में हस्तांतरित की, प्रधानमंत्री द्वारा इस दौरान स्वामित्व योजना का भी संपूर्ण राष्ट्र को समर्पण किया। प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना के अंतर्गत 5002 गांवों के लगभग 4,09,945 संपत्ति मालिकों को वर्चुअल माध्यम से संपत्ति कार्ड/मालिकाना हक़ (संपत्ति पत्रक) वितरित किए गए। कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के चलते देश में अप्रत्याशित स्थिति के बीच 24 अप्रैल (शनिवार) 2021 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस का वर्चुअल माध्यम से आयोजन करने का फैसला किया गया है।

गौरतलब है कि इससे पहले राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस का आयोजन भव्य स्वरूप में किया जाता रहा है, और कई अवसरों पर स्वयं प्रधानमंत्री इन आयोजनों में उपस्थित होते रहे हैं। आज ही के दिन 24 अप्रैल, 1993 को देश में सत्ता के विकेंद्रीकरण की दिशा में ऐतिहासिक अवसर था। जब सत्ता को जमीनी स्तर तक पहुंचाया गया। पंचायती राज व्यवस्था को संस्थागत स्वरूप दिया गया और इसके लिए संविधान में 73वां संशोधन किया गया और इसी दिन से यह प्रभाव में आया। पंचायती राज मंत्रालय प्रत्येक वर्ष 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाता है क्योंकि इसी दिन संविधान में 73वें संशोधन के द्वारा पंचायती राज व्यवस्था अस्तित्व में आई थी। यह आयोजन देश के अलग-अलग हिस्सों से पंचायत प्रतिनिधियों से सीधे बात करने और उनकी उपलब्धियों को सम्मान देने, उन्हें आगे के लिए और सशक्त बनाने एवं प्रेरित करने का अवसर होता है। प्रत्येक वर्ष इस अवसर पर पंचायती राज मंत्रालय देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तथा पंचायतों को लोगों को बेहतर सेवाएं और सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए पुरस्कृत करता है। पंचायतों को यह पुरस्कार विभिन्न श्रेणियों में दिए जाते हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं। दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार (डीडीयूपीएसपी), नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्रामसभा पुरस्कार (एनडीआरजीजीएसपी), ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) सम्मान और ई-पंचायत पुरस्कार (यह सम्मान केवल राज्यों/केंद्र) शासित प्रदेशों को दिए जाते हैं। इस वर्ष विभिन्न चुनौतियां और विषम स्थितियों के बीच भी देश की सभी पंचायतों में कई पंचायतों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। इसके लिए पंचायतों को पुरस्कृत किया गया और अनुदान के रूप में यह पुरस्कार राशि, जो 5 लाख रुपये से लेकर 50 लाख रुपये के बीच विजेता पंचायत को सीधे उसके बैंक खाते में प्रधानमंत्री के एक क्लिक के द्वारा पहुंचआई गई। ऐसा पहली बार होगा जब आयोजन के समय ही पुरस्कृत राशि पंचायतों के खाते में सीधे भेजी गई। राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2021 में विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार के लिए पंचायतों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को चयनित किया गया है, जिसमें दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार (224 पंचायतों को दिया गया है), नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार (30 ग्राम पंचायतों को), ग्राम पंचायत विकास योजना (29 ग्राम पंचायतों को), बाल सुलभ ग्राम पंचायत पुरस्कार (30 ग्राम पंचायतों को) और ई-पंचायत पुरस्कार (12 राज्यों को) दिए गए। राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार देश की पंचायतों की उपलब्धियों को देश भर से साझा करने का एक मंच बने हैं, जिससे संबंधित पक्ष न सिर्फ अपनी जवाबदेही और प्रतिबद्धता के स्तर को बढ़ाने को लेकर प्रेरित होते हैं बल्कि इसके परिणामस्वरूप राष्ट्र लाभान्वित होता है। हमारे देश के सशक्त पंचायती राज संस्थान न सिर्फ भारत को एक राष्ट्र के रूप में मजबूत करने में मददगार साबित हो रहे हैं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी प्रजातांत्रिक व्यवस्था में अपने सकारात्मक योगदान के चलते दुनिया के अन्य देशों के समक्ष उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। वर्ष 2021 के लिए राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों हेतु (मूल्यांकन वर्ष 2019-20) के लिए राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रशासन से सभी त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थानों के लिए ऑनलाईन नामांकन मंगाए गए थे जो चार श्रेणियों दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार, नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार, ग्राम पंचायत विकास योजना सम्मान और बाल सुलभ ग्राम पंचायत सम्मान के अंतर्गत थे। इस वर्ष कुल 74,000 पंचायतों से सफल आवेदन प्राप्त हुए जो पिछले वर्ष के मुकाबले 28% अधिक थे।ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्यों के अंतर्गत उन्नत प्रौद्योगिकी से ग्रामीण क्षेत्रों का सर्वेक्षण और मैपिंग कराने की एक विशिष्ट योजना “स्वामित्व” का शुभारंभ माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 24 अप्रैल, 2020 को किया गया था। वर्ष 2020-21 के दौरान इसकी पायलट परियोजना महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश तथा पंजाब और राजस्थान के कुछ सीमावर्ती गांवों में संचालित की गई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री 4.09 लाख संपत्ति मालिकों को ई-प्रॉपर्टी कार्ड वितरित किए जाने का शुभारंभ भी किया। स्वामित्व योजना पंचायती राज मंत्रालय की केंद्रीय योजना है जिसका शुभारंभ राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर 24 अप्रैल, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। इस योजना को 566.23 करोड़ रुपए की लागत से चरणबद्ध ढंग से 5 वर्षों (2020-2025) की अवधि में संपूर्ण भारत के लगभग 6.62 लाख गाँवों में क्रियान्वित किया जाना है। पायलट परियोजना के अंतर्गत आंध्र प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब तथा राजस्थान के कुछ सीमावर्ती गांवों को मिलाकर लगभग 40,000 गांवों में ड्रोन से मैपिंग की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसके अलावा हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब और राजस्थान में 2020-21 के दौरान पायलट चरण में निरंतर प्रचालन प्रणाली (सीओआरएस) केन्द्रों का एक नेटवर्क भी स्थापित किया जा चुका है। 24 अप्रैल, 2021 को 12वें पंचायती राज दिवस आयोजन के अवसर पर बेहतर कार्य के लिए विभिन्न पंचायती राज संस्थाओं को सम्मानित करने के साथ-साथ प्रधानमंत्री, स्वामित्व योजना के अंतर्गत 5002 गांवों के लगभग 4,09 ,945 संपत्ति मालिकों को वर्चुअल माध्यम से संपत्ति कार्ड/मालिकाना हक़ (संपत्ति पत्रक) वितरित किए, संपत्ति कार्ड प्राप्त कर्ताओं को उनके मोबाइल नंबर पर एसएमएस के द्वारा एक लिंक भी दिया गया। जिससे ज्यादातर संपत्ति मालिक अपनी संपत्ति का दस्तावेज डाउनलोड कर सकते हैं। इसके बाद सरकार संपत्ति मालिकों को उनके संपत्ति कार्ड/मालिकाना हक के दस्तावेज डाक द्वारा वितरित करेगी, जिसमें कोविड महामारी के सभी नियमों का पालन किया जाएगा। संपत्ति कार्ड का वितरण कोविड-19 उपयुक्त व्यवहार के साथ सभी 5002 गाँवों में किया जाएगा जिनमें 1308 गाँव हरियाणा में, 410 गाँव कर्नाटक में, 99 गाँव महाराष्ट्र में, 1399 गाँव मध्य प्रदेश में, 39 गाँव राजस्थान में, 1409 गाँव उत्तर प्रदेश में और 338 गाँव उत्तराखंड में हैं। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर स्वामित्व योजना के संपूर्ण भारत में चरण बद्ध ढंग से क्रियान्वित किए जाने की शुरुआत की, जिसके अंतर्गत 2020-25 के दौरान देश के लगभग 6.62 लाख गांवों में इसे क्रियान्वित किया गया, संबंधी दस्तावेजों के पूर्व से अलग-अलग प्रचलित हैं जैसे हरियाणा में टाइटल डीड, कर्नाटक में ग्रामीण संपत्ति मालिकाना रिकॉर्ड (आरपीओआर), मध्य प्रदेश में अधिकार अभिलेख, महाराष्ट्र में सनद, राजस्थान में पट्टा, उत्तराखंड में स्वामित्व अभिलेख और उत्तर प्रदेश में घरौनी आदि। इस योजना में ग्रामीण भारत का स्वरूप बदलने की क्षमता है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग अपनी संपत्ति के अधिकार संबंधी प्रमाण को बैंकों से लोन लेने के लिए एक वित्तीय दस्तावेज़ के रूप में इस्तेमाल कर सकेंगे, जैसा कि कस्बों और शहरों में होता है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के प्रयोग से लाखों की संख्या में ग्रामीण संपत्ति मालिकों को लाभ पहुँचने के लिए इतना बड़ा अभियान चलाया जा रहा है।

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