अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल ने आज चिकित्सा क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि दर्ज कराते हुए एक 36 वर्षीय महिला टीचर के गॉल ब्लैडर में से 1,170 स्टोन्स सफलतापूर्वक निकाले हैं। डायरेक्टर जनरल सर्जरी,फोर्टिस एस्कॉर्ट्स डॉ. बी डी पाठक के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने इस सर्जरी को अंजाम दिया और मरीज की हालत स्थिर होने के बाद अगले दिन ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। मरीज को इससे पहले, पिछले 2-3 दिनों से पेट में भयंकर दर्द की शिकायत के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मरीज की अल्ट्रासाउंड जांच समेत अन्य डायग्नोस्टिक टेस्ट से पता चला कि उनके गॉल ब्लैडर में कई स्टोन्स (पथरी की समस्या) थे। इनमें से कई स्टोन्स कॉमन बाइल डक्ट में चले गए थे जिनकी वजह से उन्हें पैंक्रियाइटीस की शिकायत भी हो चुकी थी। डॉक्टरों ने कॉमन बाइल डक्ट से स्टोन्स निकालने के लिए शुरू में एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलनजियोपैंक्रियोग्राफी (ईआरसीपी) प्रक्रिया की और इसके बाद सिंगल इंसाइजन लैपरोस्कोपिक सर्जरी की मदद से गॉलब्लैडर में से बाकी स्टोन्स भी निकाले।मामले की जानकारी देते हुए, *डॉ बी डी पाठक ने कहा* , “यह ऐसा दुर्लभ मामला था जिसमें मरीज के गॉलब्लैडर से 1,170 से अधिक स्टोन्स निकाले गए। यदि समय पर मरीज का इलाज नहीं किया जाता तो इन स्टोन्स की वजह से उन्हें जॉन्डिस या पैंक्रियाज़ में सूजन और गॉलब्लैडर में छेद की समस्या भी हो सकती थी, यह एक्यूट कोलेसाइ टिटिस का ऐसा दुर्लभ मामला था जिसकी वजह से गॉलब्लैडर में सूजन और लाली भी आती है। इस मामले से यह संदेश पूरे समाज को जाता है कि कभी भी गॉल ब्लैडर में स्टोन्स की समस्या की अनदेखी नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसकी वजह से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं, और कई बार बीमारियों के अलावा मरीज की मृत्यु तक हो सकती है।”*फैसिलिटी डायरेक्टर योगेंद्र नाथ अवधिया ने कहा,* “डॉ बी डी पाठक के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने इस मामले को सावधानीपूर्वक संभाला और बेहद सटीकता तथा मरीज की देखभाल पर जोर देते हुए सर्जरी की। इन मामलों में डायग्नोस्टिक एप्रोच के साथ-साथ मैनेजमेंट रणनीतियों एवं इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है।
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