अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: गुरूनानक देव जी के प्रकोशोत्सव के अवसर पर न्यू जनता कालोनी स्थित बाबा बुड्डा जी गुरूद्वारे से विशाल नगर कीर्तन निकाला गया जिसमें पंज प्यारो का जोरदार स्वागत युवा समाजसेवी अनिल वासुवेद ने कालोनी वासियों के साथ जोरदार स्वागत किया एवं उनका आशीर्वाद लिया। इस मौके पर अनिल वासुदेव व कपिल वासुदेव ने संयुक्त रूप से कहाकि गुरू नानक देव सिखों के प्रथम गुरू थे। उन्होने कहा कि बचपन से ही नानक के मन में आध्यात्मिक भावनाएँ मौजूद थीं। पिता ने पंडित हरदयाल के पास उन्हें शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजा। पंडितजी ने नानक जी को और ज्ञान देना प्रारंभ किया तो बालक ने अक्षरों का अर्थ पूछा। पंडितजी निरुत्तर हो गए। नानकजी ने क से लेकर ड़ तक सारी पट्टी कविता रचना में सुना दी। पंडितजी आश्चर्य से भर उठे।
अनिल वासुदेव ने कहा कि उन्हें अहसास हो गया कि नानक जी को स्वयं ईश्वर ने पढ़ाकर संसार में भेजा है। इसके उपरांत नानक को मौलवी कुतुबुद्दीन के पास पढऩे के लिए बिठाया गया। नानक के प्रश्न से मौलवी भी निरुत्तर हो गए बचपन से ही नानक के मन में आध्यात्मिक भावनाएँ मौजूद थीं। पिता ने पंडित हरदयाल के पास उन्हें शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजा। पंडितजी ने नानक को और ज्ञान देना प्रारंभ किया तो बालक ने अक्षरों का अर्थ पूछा। पंडितजी निरुत्तर हो गए। नानकजी ने क से लेकर ड़ तक सारी पट्टी कविता रचना में सुना दी। पंडितजी आश्चर्य से भर उठे। उन्हें अहसास हो गया कि नानक को स्वयं ईश्वर ने पढ़ाकर संसार में भेजा है।
इसके उपरांत नानक को मौलवी कुतुबुद्दीन के पास पढऩे के लिए बिठाया गया। नानक के प्रश्न से मौलवी भी निरुत्तर हो गए तो उन्होंने अलफए बे की सीफहीं के अर्थ सुना दिए। मौलवी भी नानकदेवजी की विद्वता से प्रभावित हुए। अनिल वासुदेव व इंशांत कथूरिया ने कहा कि गुरू नानक सिखों के प्रथम गुरु हैं। इनके अनुयायी इन्हें गुरु नानक, गुरु नानक देव जी,, बाबा नानक और नानकशाह नामों से संबोधित करते हैं। लद्दाख व तिब्बत में इन्हें नानक लामा भी कहा जाता है। इस अवसर पर नगर कीर्तन का स्वागत इशांत कथुरिया, युवा कांग्रेसी नेता कपिल वासुदेव, यश कुमार, जतिन ग्रोवर, अमित शर्मा, पीयूष गेरा, पुलकित गेरा, कुनाल कथूरिया आदि ने किया एवं उनका आशीर्वाद भी प्राप्त किया।