अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद : पलवली महा-हत्याकांड में पुलिस प्रशासन ने एक तरफ़ा कार्रवाई कर ,आरोपी पक्ष के कई निर्दोष लोगों के साथ अन्याय किया हैं। अब इस प्रकरण की सीबीआई जांच कराने की मांग उठने लगी हैं। इस मामले में पुलिस कमिश्नर हनीफ कुरैशी का कहना हैं कि पुलिस ने अदालत में चालान तो कल पेश कर दिया हैं पर दो -तीन दिनों में घटना वाले दिन के फुटेज की एफएसएल व ब्लॅस्टिक की रिपोर्ट आ जाएगी तो उससे इस केस का पिक्चर बिल्कुल साफ़ हो जाएगा व आरोपी पक्ष के निर्दोष लोगों को अदालत से राहत मिल सकती हैं। इसके लिए दोनों विभागों के निदेशकों को डियो लेटर भेज दिया गया हैं। इससे उम्मीदें हैं कि निर्दोष लोगों को अदालत से राहत अवश्य मिल सकती हैं।
आरोपी पक्ष के एक रिस्तेदार ने atharv news से बातचीत के दौरान बताया कि पलवली में मारे गए श्रीचंद,राजेंद्र,ईश्वर,नवीन व देवेंद्र को लेकर हम सभी को दुःख हैं पर जो पीड़ित पक्ष के लोग व पुलिस प्रशासन ने जो आरोपी पक्ष के लोगों के साथ अन्याय किया। क्या वह ठीक हैं। उनका कहना हैं कि इस केस में एसआईटी इस वजह से गठित की गई थी कि किसी भी पक्ष के लोगों के साथ नाइंसाफी न हो पर आरोपी पक्ष के निर्दोष लोगों के साथ यह नाइंसाफी कैसे हो गया। उनका कहना हैं कि जिस रात की घटना हैं उस रात को इनमें कई ऐसे लोग हैं जोकि घटना स्थल पर थे ही नहीं, कई ऐसे लोग हैं जिन्हें मालूम ही नहीं हुआ कि पुलिस उन्हें क्यों पकड़ कर ले जा रहीं हैं। उनका कहना हैं कि पुलिस का यह कैसा इंसाफ हैं पांच लोगों के हत्या के बदले 28 लोगों को जेल में बंद कर दिया। जबकि असल में गुनहगार एक से दो लोग हैं बाकी के 26 निर्दोष लोगों को हत्या के केस में जेल बंद दिया।
उनका कहना हैं कि अब वह लोग चाहते हैं कि इस केस की सीबीआई जांच हो ताकि इस केस में असल दोषी जोभी हो उसको सजा मिले, निर्दोषों को बहार किया जाएं। उनका कहना हैं कि पुलिस ने अपनी साख बचाने के लिए कई निर्दोष लोगों को जेल में भेज दिया। जब पुलिस कमिश्नर हनीफ कुरैशी ने निष्पक्ष जांच हेतु एसआईटी टीम बनाई थी उस समय उनसे न्याय की काफी उम्मीद थी पर उन्होंने पीड़ित पक्षों के एक तरफा पक्षपात करके एसआईटी का बेड़ागर्क कर दिया। अब आगे इस तरीके के एसआईटी पर लोग कैसे विश्वास करेंगें। इस प्रकरण में पुलिस कमिश्नर हनीफ कुरैशी का कहना हैं कि इस केस में जितने भी आरोपी हैं उन सभी लोगों के खिलाफ कल चालान अदालत में पेश कर दिया गया हैं और अब जोभी होगा वह सब अदालत में ही होगा। उनका कहना हैं कि डियो लेटर एसएसएल व सीएफएल के निर्देशकों को भेज दिया गया हैं जिसकी रिपोर्ट दो -तीन दिनों में आ जाएगी। यह रिपोर्ट इस केस की दिशा को बदल सकता हैं। सवाल के जवाव में उनका कहना हैं कि दोनों पक्षों का घर आस -पास में ही हैं और इन दोनों का आने जाने का रास्ता भी एक ही हैं।
ऐसे में पुलिस जो कर सकती थी वह कर दी हैं और दो -तीन दिनों जो रिपोर्ट आएगी उन रिपोर्टों को अदालत में भेज दिया जाएगा। बताया गया हैं कि पुलिस ने पांचो पीड़ितों को सुरक्षा के दृष्टि कौन से पांच लाइसेंस दिए हैं ऐसे हालत में क्या दोनों पक्षों के बीच रंजिश कम होगी या आगे और जाएदा बढ़ेगी। खबर हैं कि इस केस में लीलू,बिल्लू, नीलू, नरेंद्र, धर्मेंद्र व सुभाष को मुख्य आरोपी बनाया गया हैं जिसमें दर्शाया गया हैं कि एक राइफल से लीलू ने गोली चलाई,उससे छीन कर पूर्व सरपंच बिल्लू ने गोली चलाई, नरेंद्र व धर्मेंद्र ने अलग -अलग रिवाल्वर से गोली चलाई जबकि दो नाली बंदूक से सुभाष ने गोली चलाई हैं, यानी की इस गोलीकांड में चार हथियारों की इस्तेमाल करने की बात दर्शाई की गई हैं। बचे हुए आरोपियों को पुलिस ने अलग -अलग तरीके से सहायता करना दर्शाया हैं।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपी पक्ष की तरफ से गांव में किसी ने कोई ब्यान नहीं दिया, इसमें एक बड़ा वजह यह भी हैं। बतातें हैं कि पकडे गए आरोपियों में 85 साल से लेकर 17 साल के लड़के व महिलाओं को शामिल किया गया हैं जिसमें असल अपराधी की सहायता करना दर्शाया गया हैं चालान में। ऐसे केस महिला आयोग,मानव अधिकार आयोग, चाइल्ड वैलफेयर कमिशन के लोग क्यों खामोश हैं क्या उनका फर्ज नहीं हैं कि इस प्रकरण में हस्तक्षेप करने और गहराई से मामलें की जांच करें जिससे असल दोषी को सजा मिले और निर्दोषों को कानूनी पछड़ों से बचाया जा सकें।