अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद:अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (एआईसीटीई) द्वारा निर्धारित माॅडल पाठ्यक्रम के अंतर्गत नये शैक्षणिक सत्र में शुरू किये जा रहे तीन सप्ताह के अनिवार्य प्रेरण कार्यक्रम (इंडक्शन प्रोग्राम) को बेहतर ढंग से लागू करने के दृष्टिगत वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद में तीन दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम आज आरंभ हो गया। कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने किया।पंजाब तकनीकी विश्वविद्यालय के सार्वभौमिक मानवीय मूल्य एवं नीतिशास्त्र के अंतर्राष्ट्रीय संसाधन केन्द्र में सहायक कुलसचिव तथा एआईसीटीई द्वारा नामित राज्य अकादमिक समन्वयक श्री जितेन्द्र नरूला उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता रहे तथा तीन दिवसीय कार्यक्रम का संचालन भी करेंगे।
विश्वविद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन डीन (अकादमिक) डाॅ. विक्रम सिंह की देखरेख में किया जा रहा है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डाॅ. एस.के. शर्मा तथा डीन (संस्थान) डाॅ. संदीप ग्रोवर भी उपस्थित थे। इस तीन दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम में फरीदाबाद, गुड़गांव, झज्जर, महेन्द्रगढ़, नूंह, मेवात, पलवल तथा रेवाड़ी के सरकारी व निजी इंजीनियरिंग व प्रौद्योगिकी संस्थानों के लगभग 150 संकाय सदस्य हिस्सा ले रहे है, जिसका उद्देश्य संकाय सदस्यों को अनिवार्य प्रेरण कार्यक्रम के आयोजन के लिए प्रशिक्षित करना है ताकि वे अपने संस्थानों में अनिवार्य प्रेरक कार्यक्रम का आयोजन करने में सक्षम हो सके। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए श्री जितेन्द्र नरूला ने कहा कि एआईसीटीई द्वारा निर्धारित माॅडल पाठ्यक्रम के अंतर्गत नये शैक्षणिक सत्र में शुरू किये जा रहे अनिवार्य प्रेरण कार्यक्रम का उद्देश्य इंजीनियर की पढ़ाई पढ़ने वाले विद्यार्थियों का मानसिक तनाव कम करना तथा मानवीय पहलुओं को लेकर उनकी समझ को विकसित करना है।
उन्होंने कहा कि आमतौर पर इंजीनियरिंग में दाखिला पाने वाले विद्यार्थी पर पढ़ाई को लेकर दबाव रहना है। इसी दबाव को कम करने के लिए नये शैक्षणिक सत्र में पहले तीन सप्ताह ‘स्टूडंेट इंडक्शन प्रोग्राम’ के अंतर्गत विद्यार्थियों को सिर्फ एक्सट्रा करिकुलम एक्टीविटीज करवाई जायेंगी, जिससे विद्यार्थी का जुड़ाव संस्थान तथा शिक्षकों के प्रति बढ़ेगा। इससे पढ़ाई को लेकर उस पर दबाव कम होगा। सत्र को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि नये सत्र से शुरू किया जा रहा स्टूडंेट इंडक्शन प्रोग्राम नये विद्यार्थियों को संस्थान के साथ जोड़ने की एक बेहतरीन पहल है। उन्होंने कहा कि संकाय सदस्यों के लिए यह चुनौतीपूर्ण रहेगा कि वे किस तरह से विद्यार्थियों के साथ जुड़ाव बनाते है और इंजीनियरिंग को लेकर विद्यार्थियों के मन की शंकाओं को दूर करते है। उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं है कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई पढ़ने वाले विद्यार्थी सिर्फ इंजीनियर ही बने।
इसलिए, ऐसे विद्यार्थियों की प्रतिभाओं को पहचाना तथा उन्हें कुछ अलग सीखने के लिए प्रेरित करना भी शिक्षकों का दायित्व है। उन्होंने कहा कि विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली में विद्यार्थियों को अपनी पसंद अनुसार विषय पढ़ने की छूट मिलती है।कुलपति ने कहा कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए मानवीय मूल्यों को समझना बेहद जरूरी है। मावनीय व नैतिक मूल्यों से ही विद्यार्थी में सकारात्मक सोच विकसित होगी,जिससे वह अपने इंजीनियरिंग कौशल को सही दिशा में उपयोग करने में समक्ष हो सकेगा। कुलपति ने सभी संबद्ध कालेजों के प्रतिनिधियों को अपने संस्थानों में स्टूडंेट इंडक्शन प्रोग्राम के आयोजन के लिए तैयारी करने के भी निर्देश दिये। उन्होंने एआईसीटीई के प्रतिनिधियों तथा सभी प्रतिभोगियों कार्यक्रम के लिए शुभकामनाएं दी।
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