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फरीदाबाद

फरीदाबाद: राजपुताना राइफल के शहीद मनोज भाटी का पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया अंतिम संस्कार।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
फरीदाबाद:राजपुताना राइफल के शहीद मनोज भाटी का उनके गांव शाहजहांपुर के सचिवालय में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनके पार्थिव शरीर को सेना की टुकड़ी ने मातमी धुन बजाकर अंतिम राइफलो को झुका कर सलामी दी। वहीं उनके पिता बाबूलाल ने चिता को मुखाग्नि दी। शहीद मनोज भाटी  के अंतिम दर्शन के लिए जिला फरीदाबाद, पलवल सहित अन्य पड़ोसी जिलों तथा दूसरे प्रांतों के लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। शहीद मनोज भाटी अमर रहे भारत के बापू रे अमर रहे- भारत माता की जय- वंदे मातरम के नारों से पूरा फरीदाबाद गुजं उठा। शहीद मनोज भाटी की अंतिम यात्रा राजकीय सम्मान के साथ बल्लभगढ़ के अंबेडकर चौक से शुरू की गई।

उसके बाद चंदावली अटाली, दयालपुर छायंसा , मोटूका, अरवा होती हुई उनके गांव शाहजहांपुर में पहुंची। जहां रास्ते में लाखों लोगों ने आंखों में अश्रु लिए फूल बरसा कर उनकी अंतिम यात्रा के दर्शन किए और  शहीद मनोज भाटी अमर रहे के नारों से सच्ची श्रद्धांजलि दी। उनके पार्थिव शरीर के साथ आए राजपूत राइफल के प्लाटून कमांडर मेजर ओपी सिंह की टीम ने शहीद मनोज भाटी को मातमी धुन बजाकर नौ राइफलों के साथ नायक विनय कुमार के नेतृत्व में प्लाटून की टुकड़ी ने अंतिम सलामी दी। प्लाटून की टुकड़ी में प्रदीप कुमार, जसविंदर कुमार, हरीश कुमार, सैयद अली मोहम्मद, रवि कुमार, महिपाल, नसीब अहमद शामिल थे। इसके अलावा नायक दशरथ की प्लाटून ने उनकी अंतिम यात्रा में सुरक्षा और उनकी रक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।शहीद मनोज का पूरा राजकीय राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया।

राजकीय सम्मान में जिला प्रशासन की तरफ से डीसी यशपाल ने उन्हें  पुष्पचक्र चक्र अर्पित किए। वहीं पुलिस की तरफ से डीसीपी कुशल पाल ने पुष्प चक्र अर्पित किए।शहीद मनोज के पार्थिव शरीर की शव यात्रा पूरे राजकीय सम्मान के साथ यात्रा बल्लभगढ़ के अंबेडकर चौक से हुई थी। जहां पर कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा और एसडीएम बल्लबगढ़ त्रिलोक चंद ने  उनके पार्थिव शरीर को रिसीव करके पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनकी पार्थिव यात्रा शुरू करवाई। वहीं अंतिम दर्शन के लिए कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा प्रदेश सरकार की तरफ से और केंद्र की सरकार की तरफ से केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने उन्हें पुष्प चक्र अर्पित किए।  इसके अलावा कांग्रेस के विपक्ष के नेता विधायक उदयभान सहित विधायक नयनपाल रावत, विधायक राजेश नागर, पूर्व विधायक टेकचंद शर्मा, पूर्व विधायक ललित नागर सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने उन्हें  भावभीनी श्रद्धांजलि व पुष्प चक्र अर्पित किए।जिला सैनिक बोर्ड की तरफ से वेलफेयर ऑफिसर एमपी शर्मा, उपेंद्र सिंह, सुंदरलाल ने भी उनके पार्थिव शरीर को पुष्प चक्र अर्पित किए।फोटोज संग्लन।वर्ष  2017 में शहीद मनोज भाटी राजपूत राइफल सेकंड में भर्ती हुए थे

शहीद मनोज भाटी का जन्म 16 फरवरी 1996 को फरीदाबाद जिला के शाहजहांपुर गांव में हुआ था। वर्ष  2017 में शहीद मनोज भाटी राजपूत राइफल सेकंड में भर्ती हुए थे। फिलहाल वे अपनी सेवाएं जम्मू कश्मीर के राजौरी प्रखल कैंप में दे रहे थे। मनोज के बाबा जगदीश चंद्र ने बताया कि मनोज भाटी की उम्र 26 साल की है और उसकी 14 नवंबर 2021  को ही शादी हुई थी। उनकी शादी  बल्लभगढ़ के पास सीकरी गांव में हुई थी। उनकी धर्मपत्नी का नाम कोमल है। कोमल के पेट में 8 माह का बच्चा भी पल रहा है।मनोज के दो भाई हैं। बड़े भाई सुनील भी आर्मड सेना में है और योगेश काफी लिखा पढा है। अब भी पढ़ाई कर रहा है। उनकी एक बहन आशा है जिनकी शादी कर रखी है। मनोज के पिता बाबूलाल और माता सुनीता देवी है। मनोज के पूरे परिवार सहित अन्य नियर डियर सभी का रो-रोकर उनके अंतिम संस्कार में बुरा हाल था।शहीद मनोज के पड़ोसी देवदत्त शर्मा और बाबा जगदीश चंद्र ने बताया कि हमें शहीद मनोज भाटी की शहादत पर तो गर्व है। परंतु दुख भी है।

हमें गर्व इस बात का है कि हमारा बच्चा भारत मां के नाम काम आया। मनोज ने अपनी जान की बाजी लगाकर कैंप में 50 जवानों  को आतंकवादियों से बचाने का काम किया।मनोज ने अपने माता-पिता, परिवार और गांव का नाम प्रदेश और देश में रोशन किया है। उन्होंने बताया कि मनोज की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई। उसके बाद गांव  छज्जूपुर सर छोटू छोटेलाल स्कूल में 12वीं पास करके शहीद स्मारक राजकीय कालेज तिगांव के ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा था।

बीए फाइनल में ही उसकी नौकरी आर्मी में लग गई और वह एनसीसी का भी बेहतर विद्यार्थी रहा। उन्होंने बताया कि जब से गांव में सूचना मिली है। पिछले 3 दिन से गांव में किसी के घर चुल्हा नही जला है।  मनोज शुरू से ही होनहार और बहुत अच्छा बच्चा था। बहुत ही शांत स्वभाव का रहता था। गांव में किसी के साथ उसने कभी कोई झगड़ा ही नहीं किया। उसके जीवन में शुरू से ही फौज में भर्ती होने का जज्बा था।

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