अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अशोक अग्रवाल एंव दिल्ली की प्रमुख समाजसेविका नूतन शर्मा के संयुक्त प्रयास से जिले के अलग -अलग हिस्सों के 8 जर्जर सरकारी स्कूलों का पुनः निर्माण होने जा रहा हैं। इनमें से एक स्कूल सुरजकुंड रोड स्थित गांव अनंगपुर का हैं। जिसकी शुरुआत लगभग पंद्रह दिन पूर्व जिले के सांसद एंव केंद्रीय राज्य मंत्री कृषणपाल गुर्जर व हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल सिंह ने किया था। इस स्कूल का पूर्ण निर्माण लगभग 15 से 18 महीने के बीच होने की संभावना हैं। इस स्कूल के बन जाने के बाद अनंगपुर गांव, फरीदाबाद के लगभग 2200 बच्चों को बेहतरीन सुविधा और शिक्षा मिल सकेगा। जिससे इन बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सकेगा।
उनकी इस सफल प्रयास का हर कोई तारीफ कर रहा हैं। संभवता आने वाले वक़्त में आम जनता में इस प्रमुख समाजसेविका नूतन शर्मा की डिमांड बढ़ जाएगी। क्यूंकि फरीदाबाद जिले में ज्यादात्तर लोग अख़बारों, टेलीविजन व सोशल मीडिया में छोटे -छोटे कार्यक्रम का फोटों छपवा करके सोहरत हासिल करने की हैं और राजनितिक करने की हैं ना की जमीनी हकीकत में काम करने की हैं। ऐसे लोगों की शहर में भारी कमी हैं। जो जमीनी हकीकत में काम कर सकें।
प्रमुख समाजसेविका श्रीमती नूतन शर्मा ( 58 ) ने विशेष बातचीत में कहा कि उनके परिवार में कुल पांच सदस्य हैं, इनमें से उनके पति गोविंद प्रकाश शर्मा, उम्र 63 साल, बेटा शगुन ,उम्र 34 साल पुत्र वधु अन्नू भरद्वाज ,उम्र 29 साल व पोता अथर्व शर्मा,उम्र ढेड़ साल हैं। उनका कहना हैं कि उन्होनें शुरुआत में दिल्ली की एक स्कूल में शिक्षिका के पद पर नौकरी की, बाद में डिप्टी डायरेक्टर के पद से उन्होनें नौकरी छोड़ दी । उनके पति गोविंद प्रकाश शर्मा , लेक्चरर ज्योग्राफी, दिल्ली से रिटायर्ड हैं। उनका कहना हैं कि वह दोनों पति -पत्नी शिक्षा जगत लगातार जुड़े रहे हैं। इसलिए उनके स्कूल -कॉलेज में बहुत सारे बच्चे ऐसे बच्चे होते थे जिनकी अपनी कोई ना कोई समस्याएं होती थी,जो कभी हस्ते थे, कभी खेलते थे, कभी रोते थे, कभी शरारत किया करते थे, मैं इन बच्चों को कभी डांटती थी, कभी प्यार करती, फिर उन्हें पढ़ाती हैं, इस दौरान उनका एक अलग अनुभव होता था। उनका कहना हैं कि जब सड़कों पर निकलती तो गरीबों के बच्चों को देखती तो उनके दिल से एक अलग से आवाज आती थी की एक वह बच्चे हैं जो स्कूल में पढ़ते हैं एक ये बच्चे हैं जो पढ़ाई के नाम पर कुछ भी नहीं जानते। इस बात का जिक्र अक्सर मैं अपने घर में अपने पति गोविंद प्रसाद शर्मा से करती थी। और आपस में हम दोनों बातें अक्सर किया करते थे की क्यों ना गरीब बच्चों को सही दिशा दिखाया जाए, उन्हें पढ़ाया जाए,उनके प्रयास से किसी बच्चे की जिंदगी बनती हैं तो मेरा क्या जाएगा। उनकी एक सफल प्रयास से इन बच्चों के चेहरे पर मुश्कान आती हैं तो इस से अच्छी बात उनके लिए और क्या हो सकती हैं।
उनका कहना हैं कि बीते 28 सालों में कई संस्थाओं से लगातार जुडी हुई हूँ, इनमें क्राइम फ्री इंडिया फाॅर्स ,दिल्ली की अध्यक्ष, एन जी चैरिटबल ट्रस्ट की अध्यक्ष, कोऑर्डिनेटर: राइट टु एजुकेशन, वेव :फाइट अगेंस्ट डोमेस्टिक वायलेंस,कोऑर्डिनेटर: अब्दुल कलाम ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन, सचिव लायन क्लब ,दिल्ली , भारत विकास परिषद,एनआईटी, फरीदाबाद हैं। इस बीच में उन्होनें दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में जाक -जाकर गरीब को बच्चों को उनके माता -पिता से बातचीत करके पढ़ाई के लिए तैयार किया। उनकी सहायता से उपरोक्त कई संस्थाओं से करवाई हैं। इनमें से कई बच्चे इस वक़्त अच्छे -अच्छे पोस्ट पर नौकरी कर रहे हैं। कभी वह लोग मुझ से फोन पर बात करते रहते हैं उस दौरान उन्हें बहुत ख़ुशी मिलती हैं जब वह कहते हैं आप की कृपा से इस वक़्त किसी काबिल बने हैं। उनका कहना हैं कि लगभग तीन साल पहले दिल्ली के पश्चिम विहार से फरीदाबाद के ग्रीन फिल्ड कालोनी में प्लाट नंबर -3460 में बने एक फ्लैट खरीदने के बाद परिवार सहित शिफ्ट हो गई। इस दौरान उन्होनें बहुत ही समाज की सेवाएं की। लॉक डाउन के दौरान उन्होनें उपरोक्त संस्थाओं और जिला प्रशासन की मदद से जरुरत मंद हजारों लोगों को खाना मुहैया करवा चुकी हूँ। इससे पहले उन्होनें गरीब बच्चों की उज्जवल भविष्य के लिए कुछ अच्छा करना चाह रहीं थी। इससे पहले वह गांव अनंग पुर गांव में गई। वहां देखा की एक सरकारी स्कूल हैं जिनमें लगभग 2200 बच्चे पढ़ते हैं। इस स्कूल की हालात बहुत ही जर्जर हैं।
इस स्कूल में बच्चों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था नहीं थी, बाथरूम जाने के लिए बाथरूम नहीं थे,बच्चे बाथरूम करने के लिए चलती हुई क्लास से उठ कर अपने घर चला जाया करते थे। स्कूल की छत टूट- टूट कर बच्चों के ऊपर गिर रहे थे,जब बारिश होती तो उसका पानी बच्चों के ऊपर टपकती थी। गर्मियों में बिना पंखा का पढ़ना बच्चों के लिए बहुत ही मुश्किल था। उनका कहना हैं कि यह सब जानने के बाद स्कूल के टीचरों से उन्होनें बात की तो वह लोग कहते थे कि इस का स्टीमेट सरकार के पास काफी पहले से ही भेजा हुआ हैं। अभी तक स्टीमेट पास हो कर नहीं आया हैं। जब इस गांव के कई जिम्मेदार लोगों से बातचीत उन्होनें की तो उन्हें अपनी- अपनी बातें बताते जैसे की वह इस स्कूल के लिए कुछ कर ही नहीं सकती हैं। फिर उन्होनें उन्हीं लोगों के साथ मिल कर जिला प्रशासन की सहायता से शुरुआत में हेल्थ चेकअप कैंप लगवाए तो गांव के कुछ लोगों क उन पर थोड़ा – थोड़ा यकीन होने लगा। फिर उन्होनें जिला प्रशासन से मिल कर इस जर्जर स्कूल के पुनः निर्माण करवाने के लिए मिले पर उन्हें कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला। इसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील अशोक अग्रवाल से दिल्ली में मिली और इस स्कूल का कैसे पुनः निर्माण हो इस बारे में बात की और स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को हो रही दिक्कतों से उन्हें अवगत कराया।
उनका कहना हैं कि एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने पूरी बातें सुनने के बाद उनसे कहा कि जिस स्कूल की बात कर रही हो उस स्कूल का फोटों और वीडियो बना लो, इसके अतिरिक्त कुछ और जर्जर स्कूलोँ का वीडियो -फोटों बना कर मेरे पास ले आओ। उन्होनें वैसा ही किया जैसा उन्हें एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने करने के लिए कहा था। यह सब एकत्रित करके एडवोकेट अशोक अग्रवाल को दे दी। इसके बाद एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने निस्स्वार्थ भाव से इस मामले को हरियाणा एंव पंजाब कोर्ट में डाल दिया और कोर्ट ने उनकी बातें सुनने के बाद हरियाणा सरकार को नोटिस कर दिया। उनका कहना हैं कि दूसरे हेयरिंग पर ही हरियाणा सरकार आठ स्कूलों के पुनः निर्माण करने की मंजूरी दे दी। इनमें से एक स्कुल अनंगपुर गांव की स्कुल हैं। इसके लिए हरियाणा सरकार ने 4 करोड़ 65 लाख रुपए मंजूर किए हैं। इस स्कुल का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया हैं। बताया गया हैं कि यह स्कुल अगले 15 से 18 महीने के बीच में नए सिरे से बनकर तैयार हो जाएगी।